Sunday 26 July 2015

संत और संघ का काम एक जैसा


(spmittal.blogspot.in)

संघ के गुरुदक्षिणा समारोह में जैन संत पुलक सागर ने कहा
जैन संत पुलक सागर महाराज ने कहा है कि संत और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम एक जैसा है। संत समाज में धर्म और आध्यात्म का ज्ञान देते है तो संघ देशभक्ति और अनुशासन का पाठ पढ़ाता है। 26 जुलाई को यहां छोटे धड़े की जैन नसियां में संघ के गुरुदक्षिणा समारोह में पुलक सागर ने कहा कि देश की वर्तमान परिस्थितियों में संघ का महत्व और भी बढ़ गया है। संघ का स्वयंसेवक जिस प्रकार अनुशासित रहकर देशभक्ति का परिचय देता है वैसी देशभक्ति और अनुशासन किसी अन्य संस्था में देखने को नहीं मिलता है। उन्होंने कहा कि जब कुछ राष्ट्र विरोधी ताकते देश की एकता अखण्डता को तोडऩे में लगी हुई है तब संघ देश की एकता अखण्डता को मजबूत करने में लगा हुआ है। आज देश में जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता बची है उसका श्रेय सिर्फ संघ को ही जाता है। जिन लोगों ने लम्बे समय तक देश में शासन किया उन्होंने तो हमारी सभ्यता और संस्कृति को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रतिकूल परिस्थितियों में गुजरने के बाद भी संघ संगठन की दृष्टि से आज एक मजबूत स्थिति में खड़ा है। इसके पीछे भारतीय संस्कृति के अनुरुप चलने वाले लाखो-करोड़ों स्वयंसेवक है। देश में जब भी विषम परिस्थितियां पैदा हुई तो स्वयंसेवकों ने ही सबसे पहले प्रभावित लोगों की मदद की है। उन्होंने कहा कि समाज में संघ धार्मिक और आध्यात्मिक की गंगा बहाते है, वहीं अपनी शाखाओं के माध्यम से संघ के स्वयंसेवक अनुशासन और देशभक्ति दिखाते है। उन्होंने कहा कि अजमेर में उनके प्रवचनों के दौरान संघ का गुरुदक्षिणा का समारोह अपने आप में महत्वपूर्ण है। आज ऐसा लगता है कि आध्यात्म भी अनुशासन का मिलन हो गया है। गुरु दक्षिणा पर बोलते हुए जैन संत ने कहा कि जीवन में गुरु का महत्व जबरदस्त है। गुरु के बिना मनुष्य का जीवन अधूरा है। गुरु ही हमें सही मार्ग पर ले जाता है। जो लोग स्वयं को गुरु के बिना विद्वान मान रहे है वे जीवन में भूल कर रहे है। आज भले ही कितने भी विद्वान हो,लेकिन गुरु के बिना आपका कोई महत्व नहीं है। गुरु अपने शिष्य को हमेशा मुसीबतों से बचाता है। गुरु ही हमें धर्म के अनुरुप चलने की शिक्षा देता है। जो लोग धर्म के अनुरुप नहीं चलते उनका जीवन पशु के समान है।
समारोह में संघ के केन्द्रीय कार्यवाहाक हनुमानसिंह राठौड़ ने गुरु दक्षिणा के समारोह के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि संघ में गुरु का विशेष महत्व है, इसलिए वर्ष में एक बार गुरु दक्षिणा का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर स्वयंसेवक जो दक्षिणा देते है, उसी से ही संघ की वर्षभर की गतिविधियां संचालित होती है। राठौड़ ने जैन मुनि पुलक सागर महाराज का आभार जताया और कहा कि उनके सानिध्य में गुरु दक्षिणा का समारोह होना संघ के लिए खास महत्व रखता है। उन्होंने कहा कि संघ की शाखाओं में स्वयंसेवकों को गुरु के प्रति समर्पण और देशभक्ति की शिक्षा दी जाती है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि आज देश में ऐसी ताकते पनप रही है जो हमारी एकता और अखण्डता को खण्डित करना चाहती है, ऐसे में सभी धर्मगुरुओं को एक होकर ऐसी ताकतों से मुकाबला करना चाहिए। समारोह में स्वयंसेवकों ने अपनी क्षमता के अनुरुप कलशों में दक्षिणा डाली। इस अवसर पर संघ के विभाग संघचालक बसंत विजयवर्गीय, महानगर संचालक सुनील दत्त जैन सहित बड़ी संख्या में स्वयंसेवक उपस्थित रहे। समारोह में जैन समाज के लोगों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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