Monday 6 July 2015

एम्बुलेंस के किराए पर प्राइवेट अस्पताल के मालिकों पर कसेगी नकेल। ब्लॉग की खबर रंग लाई।


(spmittal.blogspot.in)

अजमेर के प्राइवेट अस्पतालों के मालिक एम्बुलेंस के किराए के नाम पर मरीजों को जमकर लूटते हैं, इसको लेकर गत 4 जुलाई को मैंने सोशल मीडिया पर एक खबर पोस्ट की थी। इस खबर को जिला प्रशासन ने गंभीरता से लिया और परिवहन विभाग को निर्देश दिए हैं कि तत्काल एम्बुलैंसों का किराया निर्धारित किया जाए ताकि अस्पतालों के मालिक मनमाना किराया नहीं वसूल सकें। अजमेर के सिटी मजिस्ट्रेट हरफूल सिंह यादव ने 6 जुलाई को आरटीओ विनोद कुमार को निर्देश दिए कि प्राइवेट अस्पतालों की एम्बुलैंसों का सर्वे करवा कर किराया निर्धारित किया जाए। किराया निर्धारण में इस बात का ख्याल रखा जाए कि सरकार की ओर से एम्बुलैंस वाहनों को अनेक प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं तथा एम्बुलैंस का उद्देश्य कमाई का नहीं, बल्कि जनसेवा का है। यादव ने कहा कि निर्धारित किराए की सूची को संबंधित अस्पतालों के मुख्य द्वार पर चस्पा किया जाए, साथ ही अजमेर के सरकारी जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के सामने जो एम्बुलैंस पार्किंग स्थल है, उस पर किराया सूची प्रदर्शित होनी चाहिए। यादव ने माना कि कुछ प्राइवेट अस्पतालों के मालिक मरीज के परिजन से मनमाना किराया वसूलते हैं।
टीएमसी की बैठक का इंतजार न हो:
नगरीय परिवहन वाहनों का किराया जिला स्तरीय ट्रेफिक मैनेजमेंट कमेटी (टीएमसी) की बैठक में तय होता है, लेकिन यादव ने परिवहन विभाग से कहा है कि टीएमसी की बैठक तो एक दो माह बाद होगी, इसलिए बैठक का इंतजार नहीं किया जाए। सरकार में जो वैकल्पिक व्यवस्था है, उसके अंतर्गत कमेटी के सदस्यों से सहमति लेकर एम्बुलेंस का किराया तय कर दिया जाए। यादव ने आगामी एक सप्ताह में किराया निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं।
कसेगी नकेल
एम्बुलेंस किराया निर्धारित होने से प्राइवेट अस्पतालों पर नकेल कसेगी, क्योंकि एम्बुलेंसों का उपयोग ट्रावल्स एजेंसी की टैक्सी की तरह हो रहा है। चूंकि परिजन को अपने मरीज की जान बचानी होती है, इसलिए मुंह मांगा किराया देना पड़ता है। धंधेबाज मालिकों की सब संवेदनाएं, तब मर जाती है कि जब शव ढोने के लिए भी मोटी रकम मांगी जाती है। हालात इतने खराब हैं कि प्राइवेट अस्पताल का मालिक जयपुर, दिल्ली, अहमदाबाद आदि के सेटिंग वाले अस्पतालों में ही मरीज को भेजते हैं। ताकि कमीशन भी लिया जा सके। यानि प्राइवेट अस्पतालों की लूट का एक जरिया एम्बुलेंस भी हैं। यही वजह है कि कुछ अस्पतालों ने एम्बुलेंस को कमाई का मुख्य जरिया बना रखा है। अब जब अस्पतालों को परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित किराया लेना होगा तो कमाई बंद हो जाएगी। सिटी मजिस्ट्रेट यादव को इस बात का भी अंदेशा है कि कुछ अस्पताल के धंधेबाज मालिक निर्धारित किराए की अनदेखी का मनमाना किराया वसूलने से बाज नहीं आएंगे, इसलिए यादव ने निर्देश दिए हैं कि कंट्रोल रूम का फोन नम्बर अंकित किया जाए, ताकि शिकायत मिलने पर अस्पताल के खिलाफ कार्यवाही हो सके।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

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