Monday 27 July 2015

आतंकी याकूब की हिमायत होगी तो गुरदासपुर का हमला कैसे रूकेगा


(spmittal.blogspot.in)

देश के लिए यह बेहद ही खतरनाक स्थिति है कि 27 जुलाई  तड़के पाकिस्तान से आए चार-पांच आतंकियों ने पंजाब के गुरदासपुर के दीना नगर के पुलिस स्टेशन पर कब्जा कर लिया। एसपी सहित 10 से भी ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। पाकिस्तान के आतंकियों के सहयोग से ही 1993 में मुम्बई में बम धमाके किए थे और 257 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया। अब जब मुम्बई धमाके के आतंकी याकूब को फांसी का आदेश हुआ है तो मानवाधिकारों का झण्डा लेकर देशभर के 300 से भी ज्यादा लोग याकूब की हिमायत में खड़े हुए। ओवेसी जैसे मुस्लिम नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि याकूब मुसलमान है इसलिए फांसी दी जा रही है। ऐसे लोग अब बताए कि 27 जुलाई को याकूब जैसे आतंकियों ने पंजाब में जो हमला किया, उन आतंकियों का क्या किया जाए? 27 जुलाई को भी आतंकियों ने निर्दोष लोगों की हत्याएं की है। क्या ऐसे आतंकी किसी माफी के काबिल है? जो लोग याकूब की हिमायत कर रहे है, उन्हें गुरदासपुर के ताजा हमलों पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए। पाकिस्तान में रह रहे आतंकियों को यह पता है कि भारत में उनके एक नहीं हजारों हिमायती है। जब सुप्रीम कोर्ट तक के फैसले के बाद याकूब की फांसी को रोका जा रहा हो, तब गुरदासपुर में आतंकी हमले कैसे रूक पाएंगे। जो लोक आतंकियों और आतंकवाद के हिमायती है, क्या उन्हें गुरदासपुर के हमले पर शर्म नहीं आ रही। ऐसे लोग अब क्यों नहीं आतंकवाद के खिलाफ बोलते है। अब तक तो पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर में ही हमले करते थे, लेकिन 27 जुलाई को तो कश्मीर से निकलकर पंजाब तक आ गए। साफ जाहिर है कि आतंकियों को कश्मीर की सीमा से घुसपैठ करवाकर पंजाब तक लाने में इस देश के ही दुश्मनों की मदद रही है। आतंकी जिस तरह सेना की वर्दी पहन कर दीनानगर के थाने में पहुंचे उससे साफ जाहिर है कि भारत में रह रहे दुश्मनों ने मदद की है। यदि भारत में रह रहे दुश्मनों के खिलाफ कार्यवाही हो जाए तो पूरे देश में बवेला मच सकता है, क्योंकि जब पाकिस्तान के आतंकियों का ही समर्थन होता है तो फिर देश के अंदर रहने वाले दुश्मनों के समर्थकों की तो कोई कमी ही नहीं होगी।
हालात बेहद खराब
27 जुलाई को जब हमारे जवान दीनानगर पुलिस स्टेशन के अंदर घुसे आतंकवादियों से मुकाबला कर रहे थे, तब संसद से लेकर सड़क तक का माहौल गैर जिम्मेदाराना था। होना तो यह चाहिए था कि देश की एकता और अखंडता की खातिर सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर आतंकियों का विरोध करना चाहिए था, लेकिन इसकी एवज में राजनीतिक दलों के नेता केन्द्र की सरकार को कोस रहे थे। नेताओं ने यह भी नहीं सोचा कि उनकी इन करतूतों का दीनानगर में उस जवान पर क्या बितेगी जो देश की खातिर आतंकवादियों की गोलियांं खा रहा है। संसद में बैठकर बकवास करना अलग बात है और आतंकवादी की बंदूक के सामने खड़ा होकर देश की सुरक्षा करना अलग बात है।  क्या किसी नेता में इतनी हिम्मत है कि वे अपने बेटे को आतंकियों से लडऩे के लिए भेज दे। ऐसे नेताओं को वाकई शर्म आनी चाहिए।  राजनीतिक मतभेद अपनी जगह हैं, लेकिन कम से कम देश की सुरक्षा का तो ख्याल रखा जाए। जब दुश्मन देश में प्रशिक्षण लेकर आतंकी हमारे देश में घुस आए हैं, तब तो कम से कम सोच समझ कर बोलना चाहिए। गुरदासपुर की घटना के बाद पूरे देश में सुरक्षा अलर्ट जारी कर दिया गया, लेकिन हमारे राजनेता तो बेलगाम होकर बकवास करते हैं। यह इस लोकतंत्र की मजबूरी है कि जो नेता संसद में बैठकर बकवास और हंगामा कर रहे थे, उन्हींं नेताओं की सुरक्षा के लिए हमारा जवान मुस्तेद था। यदि हमारा जवान मुस्तैद न हो तो आतंकी संसद में घुसकर राजनेताओं को भी मौत के घाट उतार दे। समझ में नहीं आता कि जब देश पर आतंकी हमला हो रहा हो, तब भी राजनेता एक जुट क्यों नहीं होते हैं? नेताओं को यह समझना चाहिए कि यदि देश बचेगा तो नेतागिरी होगी यदि देश ही नहीं रहेगा तो फिर नेतागिरी किस पर होगी। अब जब कश्मीर में खुलेआम आईएस के झंडे लहराए जा रहे हो, तब देश की स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। जो पंजाब खालीस्तान आंदोलन के समय जल उठा था, उसी पंजाब में पाकिस्तान के आतंकियों ने दस्तक दे दी है। इससे इस बात का भी अंदेशा होता है कि सीमा पार का आतंकवाद कश्मीर से निकलकर पंजाब तक आ गया है और अब इस आतंकवाद का उत्तर प्रदेश की ओर आने की मंशा है। खुफिया एजेंसियों ने भी माना है कि स्थनीय लोगों की मदद से ही पाकिस्तान से आए आतंकवादी हमला करते हंै।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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