Thursday 9 July 2015

पत्रकारों के सवालों के जवाब डीआरएम सालेचा ने खुलकर दिए।


(spmittal.blogspot.in)

पहली बार हुआ ऐसा
आमतौर पर रेल प्रशासन पर यह आरोप लगता है कि वह जिला प्रशासन और मीडिया से तालमेल बनाकर नहीं रखता। चूंकि अजमेर में चालीस प्रतिशत हिस्से पर रेलवे का कब्जा है, इसलिए यह माना जाता रहा कि विकास में रेलवे सबसे बड़ा बाधक है। लेकिन पिछले डेढ़ वर्ष में डीआरएम नरेश सालेचा ने इस धारणा को बदलने का पूरा प्रयास किया। जिला प्रशासन से लगातार संवाद किया और मीडिया को भी अधिक से अधिक जानकारी उपलब्ध करवाई। मीडिया में आने वाली सभी खबरों पर उचित कार्यवाही भी करवाई। इसी कड़ी में 9 जुलाई को अजयमेरु प्रेस क्लब की ओर से आयोजित मीट द प्रेस कार्यक्रम में डीआरएम सालेचा और अजमेर रेल मंडल के सभी विभागों के प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे। यह पहला अवसर रहा, जब मीडिया के किसी कार्यक्रम में तमाम अधिकारी उपस्थित रहे। शुरुआत में सालेचा ने स्वयं एक-एक अधिकारी का परिचय देते हुए उनके कामकाज की भी जानकारी दी। इसके साथ ही अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष डॉ. रमेश अग्रवाल और अन्य पदाधिकारियों ने डीआरएम सालेचा को बुके भेंट कर स्वागत किया। इस मौके पर डॉ. अग्रवाल ने कहा कि सालेचा के डीआरएम बनने के बाद रेलवे ने भी शहर के विकास में सकारात्मक भूमिका निभाई है।
कार्यक्रम में सालेचा ने पत्रकारों के सवालों के जवाब खुलकर दिए। उन्होंने कहा कि यदि कोई कमी है, तो उसे सामने लाया जाना चाहिए। प्लेट फार्म नम्बर 4 और 5 से ही अधिकांश टे्रनों को गुजारने के सवाल पर सालेचा ने कहा कि एक व दो और तीन पर ट्रेनों को ले जाने के कारण रफ्तार पर प्रतिकूल असर पड़ता है। तकनीकी कारणों की वजह से ही 4 व 5 नम्बर पर ट्रेनों को तो ले जाया जाता है, उन्होंने माना कि इससे यात्रियों को परेशानी होती है, लेकिन रेल प्रशासन की भी अपनी मजबूरी है। यात्रियों को कोई परेशानी न हो इसके लिए गांधी भवन चौराहे से ही स्टेशन परिसर में प्रवेश की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है। ऐसी व्यवस्था की गई है कि वाहन की पार्किंग के बाद यात्री टिकिट लेने के साथ ही स्टेशन पर आ जाए। प्लेट फार्म नम्बर एक पर एक्सीलेटर लगाए गए है। जिनके माध्यम से बड़ी आसानी से किसी भी प्लेटफार्म पर आवागमन किया जा सके। प्लेटफार्म नम्बर 2,3, व 4,5 पर शौचालय बनाने का काम शुरू हो गया है। इसके साथ ही इन प्लेटफार्मों पर शुद्ध पानी का भी इंतजाम कर दिया गया है।
सालेचा ने माना कि गांधी भवन के सामने रेल परिसर में जो पार्किंग स्थल है, उसके ठेकेदार ने शर्तों के विपरीत काम किया था, अब इस ठेकेदार को हटा दिया गया है। पार्किंग का काम रेलवे के कर्मचारी ही संभाल रहे हैं। वाहन मालिकों से निर्धारित शुल्क ही लिया जाए, इसके लिए बड़े-बड़े बोर्ड लगाकर वाहनों का शुल्क लिखा गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले तीन चार सालों में अजमेर रेलवे स्टेशन की काया पलट जाएगी। रेल यात्रियों का प्रवेश और निकास गांधी भवन चौराहे से ही होगा तो गांधी भवन से क्लॉक टावर चौराहे तक के एक किलोमीटर के मार्ग पर यातायात का दबाव कम हो जाएगा। स्टेशन रोड पर बने फुटओवर ब्रिज को भी रेलवे के ओवर ब्रिज से जोडऩे का काम किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त क्लॉक टावर चौराहे के सामने रेलवे मजिस्ट्रेट न्यायालय के बाहर जो रिक्त स्थान पड़ा है, वहां प्लेटफार्म वाले पुल की एक भुजा उतारी जाएगी। ताकि किसी भी प्लेट फार्म पर आने-जाने में यात्रियों को कोई असुविधा नहीं हो। उन्होंने कहा कि तोपदड़ा की ओर एक निकास का प्रस्ताव विचाराधीन है, लेकिन तकनीकी कारणों से फिलहाल संभव नहीं हो रहा है। उनका प्रयास है कि वर्तमान में कचहरी रोड और तोपदड़ा को जोडऩे वाला जो ओवर ब्रिज बना हुआ है, उसे प्लेट फार्म से जोड़ दिया जाए। उन्होंने बताया कि रेलवे के विकास में निजी भागीदारी भी ली जा रही है। स्टेशन परिसर में ही बहुउद्देशीय कॉम्प्लेक्स का निर्माण पीपीपी मॉडल से शुरू हो गया है। गांधी भवन चौराहे पर जो प्रवेश द्वार बन रहा है, उसमें भी दो करोड़ रुपए की राशि ब्यावर स्थित श्री सीमेंट कंपनी द्वारा दी जाएगी। इसके अतिरिक्त क्षेत्रीय सांसद और विधायकों का भी सहयोग लिया जा रहा है। अजमेर स्टेशन के साथ-साथ ब्यावर, उदयपुर, फालना, पालनपुर, आबूरोड आदि प्रमुख स्टेशनों के विकास के कार्य भी जारी है। दिल्ली वाया अजमेर होते हुए अहमदाबाद तक डबल गेज का कार्य भी तेजी के साथ चल रहा है। इस मार्ग पर विद्युतीकरण का काम भी हो रहा है।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

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