Thursday 9 July 2015

जयपुर में यह कैसा चक्का जाम


(spmittal.blogspot.in)

क्या वसुंधरा को हटाने का माहौल बनाया जा रहा है?
एक ओर ललित मोदी के कांड में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे को भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व निर्दोष मान रहा है तो वहीं 9 जुलाई को वसुंधरा की नाक के नीचे जयपुर में ही चक्का जाम हुआ। यह चक्काजाम भी वसु सरकार में शामिल मंत्री और विधायक कर रहे हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि वसु सरकार ने मेट्रो और रिंग रोड के लिए 30 से भी ज्यादा मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जबकि भाजपा को तो हिन्दूवादी पार्टी माना जाता है। 9 जुलाई की बंद की रणनीति समझ से परे है। ऐसा आभास होता है कि सीएम वसु के खिलाफ माहौल तैयार किया जा रहा है। भले ही दिखाने के लिए ललित मोदी कांड में वसु को निर्दोष कहा गया हो, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व का मानना है कि वसु को सीएम पद छोडऩा चाहिए। मंदिरों को ध्वस्त का विरोध तो एक बहाना है, यदि भाजपा के विधायक और मंत्री चाहते तो मंदिर ध्वस्त होते ही नहीं, आखिर प्रदेश में सरकार भी तो भाजपा की ही है। असल में पहले तो सभी चाहते थे कि मंदिर ध्वस्त हो ताकि रिंग रोड बन सके, इसलिए जब जेडीए ने एक के बाद एक मंदिर तोड़े या स्थानान्तरित किए तो किसी ने भी विरोध नहीं किया, उल्टे भाजपा के मंत्रियों ने जेडीए के अधिकारियों की पीठ थपथपाई। पिछले दो-तीन माह में ऐसा लगा ही नहीं कि भाजपा में कोई नाराजगी है, लेकिन पिछले एक सप्ताह में जो माहौल बना, उसमें ऐसा लगा जैसे वसुंधरा राजे ने खड़े होकर मंदिरों को ध्वस्त करवाया है। इसीलिए अपनी ही सरकार के खिलाफ चक्का जाम करने के लिए मंंत्री  और विधायक सड़कों पर बैठ गए। जानकारों का मानना है कि ललित मोदी कांड को ध्यान में रखते हुए ही सीएम राजे पर पद छोडऩे का दबाव बनाया जा रहा है। राष्ट्रीय नेतृत्व को भी पता है कि राजे इतनी आसानी से सीएम का पद नहीं छोड़ेंगी। इसलिए विरोध का माहौल बनाया जा रहा है। आगामी 23 जुलाई को जब संसद सत्र शुरू होगा तो कांग्रेस भी राजे पर हमले तेज करेगी, शायद संसद को भी न चलने दिया जाए। इधर संसद ठप और उधर जयपुर में चक्का जाम से जो माहौल बनेगा उससे राजे का इस्तीफा हो सकता है। देखना है कि राजे अपने ही लोगों का दबाव किस सीमा तक सहन करती है।
(एस.पी. मित्तल) M-09829071511

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