Sunday 12 July 2015

यूपी में राजनीति का घिनौना चेहरा सामने आया।


(spmittal.blogspot.in)

मुलायम पर धमकाने का आरोप लगाने वाले आईपीएस को रेप के केस में फंसाया
पिछले कई दिनों से देश के सबसे बड़े प्रदेश यूपी के पत्रकार बिलबिला रहे हैं। पत्रकारों का कहना है कि सत्तारुढ़ समाजवादी पार्टी के नेताओं के इशारे पर पत्रकारों को न केवल जिंदा जलाया जा रहा है, बल्कि बाहुबलियों के द्वारा सरेआम पिटवाया भी जा रहा है। झूठे मुकदमें तो दर्ज हो ही रहे हैं। ऐसे पत्रकारों को अब थोड़ी राहत मिली होगी, क्योंकि सरकार ने अपने ही आईजी अमिताभ ठाकुर के खिलाफ रेप का मामला दर्ज कर लिया है। जब सरकार अपने आईजी को ही नहीं बख्श रही है तो फिर कलमछाप पत्रकारों की क्या बिसात है। ठाकुर के खिलाफ रेप का मुकदमा तब दर्ज हुआ है, जब ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव का एक ऑडियोटेप जारी किया है। इस टेप में मुलायम आईपीएस ठाकुर को धमका रहे हैं। यूपी में किस की हिम्मत है जो सीएम अखिलेश के पिता मुलायम को चुनौती दे। धमकी वाला टेप चैनलों पर 11 जुलाई की सुबह से ही चलना शुरू हो गया था और चैनल वाले बार-बार कह रहे थे कि उन्हें मुलायम के पक्ष का इंतजार है। मुलायम ने चैनलों को तो कोई जवाब नहीं दिया, लेकिन शाम होते होते गाजियाबाद के गोमती नगर स्थित महिला थाने में ठाकुर के खिलाफ रेप का केस दर्ज करवा दिया। कथित पीडि़ता को पहले डीजीपी मुख्यालय बुलाया और फिर पुलिस संरक्षण में थाने पर भेज दिया। महिला का आरोप है कि एक वर्ष पहले जब वह ठाकुर के घर पर नौकरी मांगने गई थी, तब उनकी पत्नी नूतन ने पहले अपने पति अमिताभ ठाकुर से रेप करवा दिया। उस समय उसके पति साथ थे। एक साल पहले की इस घटना को प्रथम दृष्ट्या सही मानते हुए ठाकुर के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। क्या कोई पत्नी किसी महिला का रेप अपने ही पति से करवा सकती है? इस मामले की सच्चाई तो जांच के बाद ही पता चलेगी, लेकिन इससे यूपी की राजनीति का घिनौना चेहरा सामने आ गया। कहा जा रहा है कि अमिताभ ठाकुर के खिलाफ मामला दर्ज करवाने में अखिलेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री आजम खान की सक्रिय भूमिका है। आजम अब एक तीर से कई निशाने लगा रहे हैं। आजम को भी पता है कि रेप के केस के साथ मुलायम की धमकी वाला मामला भी उछलता रहेगा। यदि पिता-पुत्र अपने ही झंझटों में उलझे रहे तो आजम के मंसूबे पूरे होते रहेंगे। पूरा देश जानता है कि आजम किस मानसिकता के हैं। हो सकता है कि आने वाले दिनों में ठाकुर और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी भी हो। आजम के इशारे पर ही गोमती नगर के एसओ सैय्यद मोहम्मद अब्बास भी सक्रिय हो गए हैं। अपनी गिरफ्तारी की आशंका के चलते ही ठाकुर को हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ रहा है।
यूपी के पत्रकारों को यह समझना चाहिए कि आज जो हालात जम्मू-कश्मीर के हैं, वे ही आने वाले दिनों में यूपी के होंगे। आखिर यूपी में कौन से पत्रकार हैं जो प्रताडि़त हो रहे हैं? पत्रकारों की एक जमात बड़े अखबारों और चैनलों में काम करने वालों की है। ऐसे पत्रकारों के मालिक स्वयं ही सरकार के सामने कटोरा लेकर खड़े हैं। ऐसे पत्रकार वो ही करते हैं जो उनके मालिक कहते हैं। ऐसे मालिकों का अपना एजेंडा है, जबकि दूसरी जमात के वो पत्रकार हैं जो बड़े अखबारों और चैनलों को छोड़ चुके हैं और सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। ऐसे पत्रकारों को अपनी लड़ाई खुद लडऩी पड़ेगी और इस बात का इंतजार करें कि कब सरकार और किसी मीडिया घराने की भिडं़त होती है। जब भिड़ंत हो तो मदद के लिए तैयार रहे। साप्ताहिक, पाक्षिक पत्रिकाएं निकालने वालों को तो पत्रकार माना ही नहीं जाता। भले ही छोटे अखबारों में दैनिक पत्रों से ज्यादा अच्छी खबरें प्रकाशित होती हैं। यूपी के संघर्षशील पत्रकार बताएं कि क्या उनके साथ किसी बड़े आखबार अथवा चैनल के पत्रकार शामिल हैं? फिलहाल तो यूपी के संघर्षशील पत्रकारों को घिनौनी राजनीति को उजागर करना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511

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