Tuesday 1 December 2020

भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव की रणनीति से हैदराबाद से टीआरएस और ओवैसी के एआईएमआईएम में खलबली। हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के 150 वार्डों के लिए एक दिसम्बर को मतदान हुआ। अभी भाजपा के चार और कांग्रेस के दो पार्षद हैं। बिहार चुनाव के परिणाम से उत्साहित हैं भूपेन्द्र यादव।

एक दिसम्बर को हैदराबाद में म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के 150 वार्डों के लिए चुनाव हुआ। परिणाम चार दिसम्बर को आएंगे, तब यह पता चलेगा की भाजपा ने जो ताकत झौंकी उसका कितना असर हुआ। इस बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रचार करने से हैदराबाद के म्यूनिसिपल चुनाव की चर्चा देशभर में हो गई। भाजपा की इस रणनीति के पीछे राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव की सक्रिय भूमिका रही। यादव ने स्वयं हैदराबाद जाकर मोर्चा संभाला ओर मतदान से पहले पूरे हैदराबाद को भगवा रंग में रंग दिया। नड्डा और शाह के रोड शो में जिस तरह भीड़ उमड़ी उससे सत्तारुढ़ टीआरएस और असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी में भी खलबली मच गई। भूपेन्द्र यादव की रणनीति के तहत ही यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ की सभा भी करवाई गई। इस सभा में योगी ने हैदराबाद का नाम वापस भाग्य नगर करने की बात कह कर माहौल को और गर्म कर दिया। कॉर्पोरेशन चुनाव को लेकर यादव ने जो रणनीति बनाई, उससे हैदराबाद प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ता भी उत्साहित हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं को भी पहली बार लगा कि राजनीतिक दृष्टि से हैदराबाद में उनका भी महत्व है। सब जानते हैं कि ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ जहर उगलते हैं, लेकिन भाजपा ने पहली बार ओवैसी को उन्हीं के गृह में चुनौती दी। ओवैसी बंधु जिस हैदराबाद को अपने परिवार की जागीर समझते थे, उसी हैदराबाद में चारों तरफ भाजपा के झंडे लहराए गए। भूपेन्द्र यादव की रणनीति ने ही 29 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति भी हैदराबाद में दर्ज करवा दी। कोरोना संक्रमण की वैक्सीन के सिलसिल में मोदी ने हैदराबाद का भी दौरा किया था। असल में भूपेन्द्र यादव बिहार के चुनाव परिणाम से बेहद उत्साहित हैं। मतदान के बाद जब अधिकांश मीडिया सर्वे आरजेडी को जीता हुआ बता रहे थे, तब परिणाम भाजपा और जेडीयू के पक्ष में आया था। परिणाम के बाद यादव ने बिहार भाजपा की सर्जरी भी कर दी। सुशील यादव जो सिर्फ उपमुख्यमंत्री तक ही सीमित थे, उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश करवा दिया। भाजपा की इस बड़ी सर्जरी पर यादव ने किसी नेता को दर्द भी नहीं होने दिया। जो भाजपा अब तक जेडीयू की बैसाखी पर थी, वह बिहार में अपने पैरों पर खड़ी हो गई है। अब जेडीयू के मात्र 44 विधायक हैं। जबकि भाजपा के 75 विधायक है। नीतिश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री कितने दिन रहेंगे, यह भी भूपेन्द्र यादव की रणनीति पर निर्भर करता है। भूपेन्द्र यादव ने यह सब बिहार के प्रभारी महासचिव की हैसियत से किया। बिहार चुनाव के बाद हुए भाजपा के पुनर्गठन में यादव को गुजरात राज्य का भी प्रभारी बना दिया गया। यानि भूपेन्द्र यादव इस समय देश के दो बड़े राज्यो के प्रभारी हैं। असल में यादव की भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका हो गई है, इसलिए हैदराबाद में भी यादव ने भाजपा की जोरदार चर्चा करवा दी। यादव ने यह तब किया, जब निवर्तमान कॉरपोरेशन में भाजपा के मात्र चार सदस्य हैं। यह बात अलग है कि वर्षों तक आंध्रप्रदेश की सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस के तो मात्र दो ही पार्षद हैं। लेकिन इस बार भूपेन्द्र यादव ने दावा किया है कि हैदराबाद का मेयर भाजपा का होगा। हैदराबाद के मुख्यमंत्री केसीआर भी यादव की रणनीति से चकित हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (01-12-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

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