Thursday 31 December 2020

दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत ने मानी है आध्यात्म की ताकत। यही तो है हमारी सनातन संस्कृति।बीमारी के दौरान समझा ईश्वर का इशारा। देश के बुजुर्ग और बीमार राजनेता ले सकते हैं सीख।

एमजी रामचन्द्रन, जयललिता आदि फिल्म स्टारों की तरह दक्षिण के सुपर स्टार रजनीकांत भी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बन सकते थे। दक्षिण के राज्यों खास कर तमिलनाडु में रजनीकांत की लोकप्रियता आज एमजी और जयललिता से कम नहीं है। अपनी लोकप्रियता को देखते हुए ही अगले विधानसभा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने की घोषणा रजनीकांत ने भी की। इसके लिए पार्टी बनाने की घोषणा भी कर दी गई, लेकिन विगत दिनों रजनीकांत की तीबयत खराब हो गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवना पडा। तमिलनाडु के लाखों लोग चाहते थे कि रजनीकांत जल्द ठीक हो जाएंगे। अपनी नई राजनीतिक पार्टी की घोषणा करें। लेकिन राजनीकांत जब अस्पताल से बाहर आए तो उन्होंने पार्टी बनाने से इंकार कर दिया। रजनीकांत ने कहा कि ईश्वर ने मुझे बीमार कर चेतावनी दी है। मेरे लिए राजनीति से पहले मेरा स्वास्थ्य है। सब जानते हैं कि दक्षिण के करोड़ों लोगों की तरह रजनीकांत भी ईश्वर में जबर्दस्त आस्था रखते हैं। संभवत: अस्पताल में बीमारी के दौरान उनका ईश्वर से सामना हुआ होगा। ईश्वर की सलाह पर ही अब रजनीकांत सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे। असल में यही हमारी सनातन संस्कृति है और इस सनातन संस्कृति में अध्यात्म का समावेश है। करोड़ों लोग अध्यात्म के बारे में जानना चाहते हैं। कई बार कहा जाता है कि भला व्यक्ति में अध्यात्म की शक्ति है। अनेक संत महात्माओं को अध्यात्म की शक्ति वाला माना जाता है। लेकिन राजनीकांत ने यह बता दिया कि गृहस्थ जीवन जीने वाला साधारण व्यक्ति भी ईश्वर का अहसास महसूस कर सकता है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि ईश्वर के वजूद में रजनीकांत की कितनी आस्था होगी। जो व्यक्ति अपनी बीमारी को ईश्वर की चेतावनी से जोड़ कर देखे तो उसकी आस्था का बयान शब्दों में करना मुश्किल है। लेकिन यह कहा जा सकता है कि ईश्वर का अहसास सिर्फ भारत की सनातन संस्कृति में ही किया जा सकता है। अध्यात्म से ओत प्रोत हमारी सनातन संस्कृति मनुष्य को हर कदम पर सीख देती है। मनुष्य को इशारा समझने की जरूरत है। ऐसा नहीं कि ईश्वर ने रजनीकांत को कर्म करने से रोक दिया है? रजनीकांत यदि फिल्म लाइन में सक्रिय होंगे तो ईश्वर की कृपा बनी रहेगी। ईश्वर ने रजनीकांत को सिर्फ राजनीति में सक्रिय होने से रोका है। भारत की राजनीति में जो राजनेता बीमार और बुजुर्ग हैं उन्हें रजनीकांत के प्रकरण से सीख लेनी चाहिए। रजनीकांत कितने समय तक जिंदा रहेंगे यह तो ईश्वर ही जानता है, लेकिन फिलहाल रजनीकांत ने लम्बे समय तक ईश्वर की पूजा अर्चना करने का अधिकार प्राप्त कर लिया है। रजनीकांत अब भले ही राजनीति न करें, लेकिन आज उन्होंने तमिलनाडु में अपना कद बहुत ऊंचा कर लिया है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (31-12-2020)
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