Wednesday 23 December 2020

राजस्थान के संविदा कर्मियों को अभी भी स्थायी होने का इंतजार।विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में वायदा किया था।पंचायत सहायको को तो नरेगा श्रमिकों से भी कम मेहनताना मिल रहा है।

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में चल रही कांग्रेस की सरकार को दो वर्ष पूरे हो गए हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया कि इन दो वर्षों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में जो वायदे किए थे, उनमें से 50 प्रतिशत वायदे पूरे कर दिए हैं। सरकार की दो वर्ष की उपलब्धियों को गिनाने के लिए प्रभारी मंत्री जिला स्तर पर समारोह कर रहे हैं, लेकिन वहीं प्रदेश के विभिन्न विभागों में संविदा पर काम कर रहे करीब डेढ़ लाख कार्मिकों को अभी भी स्थायी होने का इंतजार है। कांग्रेस ने अपने संकल्प पत्र में वायदा किया था कि संविदा कर्मियों को स्थायी किया जाएगा। अब प्रदेश भर के संविदा कर्मी सरकार को अपना वायदा याद दिला रहे हैं। अकेले पंचायतीराज विभाग में 27 हजार संविदा कर्मी हैं। पहले इन्हें विद्यार्थी मित्र का नाम दिया गया और अब पंचायत सहायक के नाम से काम कर रहे हैं। पंचायत सहायकों को 200 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से मेहनताना दिया जाता है, जबकि नरेगा श्रमिक को 220 रुपए प्रतिदिन मजदूरी मिलती है। पंचायत सहायक पंचायतीराज का काम करने साथ शिक्षा विभाग का भी काम करते हैं। इसके अलावा जहां भी मजदूरी की जरुरत होती है, वहां पंचायत सहायक को घुसेड़ दिया जाता है। ऐसे संविदा कर्मियों की पिछले 13 वर्ष से ऐसी दुर्दशा हो रही है। इस दुर्दशा पर चुनाव के समय तो भाजपा और कांग्रेस नेता आसूं बहाते हैं, लेकिन सरकार बनने के बाद दोनों दलों के नेता समुद्र के घडिय़ाल साबित होते हैं। राजस्थान में कांग्रेस के संकल्प पत्र के वायदे को पूरा करने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत ने वरिष्ठ मंत्री बीडी कल्ला की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बना रखी है। पंचायत सहायक संघ के प्रतिनिधि कमल टेलर ने बताया कि दीपावली से पूर्व कल्ला ने घोषणा की थी कि इस बार पंचायत सहायकों को दीपावली का तोहफ़ा मिल जाएगा। लेकिन पंचायत सहायकों को हर वर्ष की तरह इस बार भी काली दीपावली मनानी पड़ी। टेलर ने कहा कि संविदा कर्मी के तोर पर काम करते हुए 13 वर्ष हो गए हैं और कई कर्मियों की उम्र 45 साल तक हो गई है। ऐसे में दूसरी  नौकरी नहीं मिल सकती है। सरकार कानूनी बाधाएं बता कर स्थायी नहीं करती है, जबकि चिकित्सा विभाग में संविदा पर रखे नर्सिंग स्टाफ को नियमित किया गया है। यानि सरकार चाहे तो सब कुछ कर सकती है। कई मामलों में अदालतों में प्रभावी पैरवी कर समाधान निकाला गया है, लेकिन पंचायत सहायकों के मामले में सरकार का रुख नकारात्मक है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9413844235 पर कमल टेलर से ही ला सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (23-12-2020)
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