राजस्थान में भाजपा के दिग्गज नेता रहे घनश्याम तिवाड़ी 12 दिसम्बर को भाजपा में पुन: शामिल हो गए हैं। तिवाड़ी की घर वापसी में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की रणनीति रही है। तिवाड़ी को भाजपा में पुन: शामिल कर पूनिया ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पूनिया ने जहां अपनी ही पार्टी की नेता पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को राजनीतिक संकेत दिए हैं, वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी मुंह तोड़ जवाब दिया है। सब जानते हैं कि वसुंधरा राजे जब भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री थीं, तब तिवाड़ी ने राजे की नीतियों का खुला विरोध किया था। तिवाड़ी ने पहले भारत वाहिनी पार्टी बनाई और फिर कांग्रेस का दामन थाम लिया। पहले बात वासुंधरा राजे की। राजे मौजूदा समय में भी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। लेकिन सब जानते हैं कि राजस्थान में भाजपा को मजबूत करने में राजे की कोई भूमिका नहीं है। राजे की भूमिका को लेकर कई बार सवाल भी उठे हैं। इस संदर्भ में 11 दिसम्बर को प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का बयान बहुत मायने रखता है। पूनिया ने कहा कि अब राजस्थान में भाजपा को किसी चेहरे की जरुरत नहीं है, क्योंकि सबसे बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तौर पर भाजपा के पास है। यहां यह उल्लेखनीय है कि 2018 का विधानसभा का चुनाव राजस्थान में भाजपा में वसुंधरा राजे के चेहरे के नाम पर लड़ा था। तब यही कहा गया कि बहुमत मिलने पर वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री होंगी। लेकिन भाजपा को सरकार बनाने लायक बहुमत नहीं मिला। विधानसभा चुनाव के बाद ही राजे को राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय करने के लिए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया। लेकिन पिछले दो वर्ष में राजे ने भाजपा में राष्ट्रीय स्तर पर भी कोई सक्रिय भूमिका नहीं निभाई है। हालांकि अभी तक भी भाजपा के किसी भी नेता ने राजे की भूमिका पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। लेकिन घोर आलोचक रहे घनश्याम तिवाड़ी को भाजपा में पुन: शामिल कर राजे को राजनीतिक संकेत दे दिए गए हैं। 12 दिसम्बर को तिवाड़ी को शामिल करने के मौके पर हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस में सतीश पूनिया ने कहा कि तिवाड़ी ने खेद प्रकट करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखा था। अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के दिशा निर्देशों के बाद ही तिवाड़ी को शामिल किया जा रहा है। पूनिया ने कहा कि पूर्व में जो नेता किन्हीं कारणों से पार्टी को छोड़ गए थे, उन्हें भी वापस लाने की कवायद चल रही है। पूनिया ने वसुंधरा राजे को ही संकेत नहीं दिए है, बल्कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी मुंहतोड़ जवाब दिया है। सब जानते हैं कि तिवाड़ी ने जब कांग्रेस का दामन थामा था, तब सीएम गहलोत अपनी सभाओं में तिवाड़ी को उपस्थित रखते थे। लोकसभा के चुनाव में गहलोत ने जितनी भी सभाएं की उन सभी में मंच पर तिवाड़ी को बैठाया गया। तब सीएम गहलोत का कहना होता था कि तिवाड़ी जैसे नेता भी भाजपा से बाहर निकल आए हैं। इससे भाजपा की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। यानि तिवाड़ी को आगे रखकर सीएम गहलोत भाजपा पर निशाना साधते थे। यह बात अलग है कि कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में राजस्थान की सभी 25 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। अब जब घनश्याम तिवाड़ी भाजपा में पुन: शामिल हो गए हैं, तो देखना होगा कि सीएम गहलोत की क्या प्रतिक्रिया होती है। अलबत्ता तिवाड़ी ने प्रेसकॉन्फ्रेंस में कहा कि मैंने कभी भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण नहीं की। मैं कांग्रेस की सभा के मंचों पर उपस्थित रहा, लेकिन मैंने कभी भी कांग्रेस के विचारों को आत्मसात नहीं किया। तिवाड़ी ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के प्रति आभार जताते हुए कहा कि जब मैं भाजपा में सक्रिय था, तब मेरे साथ लाखों कार्यकर्ता यही मांग करते थे कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बने और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया जाए। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दोनों मांगे पूरी हो गई है, तब मैं भाजपा से बाहर नहीं रह सकता हंू।
S.P.MITTAL BLOGGER (12-12-2020)
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