Thursday 3 December 2020

अब कौन करेगा एमडीएच मसालों का विज्ञापन? 98 वर्ष की उम्र में महाशय धर्मपाल का निधन। अजमेर में स्वामी दयानंद की निर्वाण स्थली पर विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपया दान दिया। बच्चों के प्रति विशेष स्नेह रहा।

देश-दुनिया में मशहूर एमडीएच मसालों के संस्थापक महाशय धर्मपाल गुलाटी का 98 वर्ष की उम्र में 3 दिसम्बर को निधन हो गया। दिल्ली के बाहर चल रहे किसानों के आंदोलन की वजह से न्यूज चैनलों पर धर्मपाल जी के निधन की खबर प्रमुखता से प्रसारित नहीं हुई। अलबत्ता समाज के हर क्षेत्र में धर्मपाल जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। महाशय धर्मपाल ने दिल्ली में नमक मिर्च बेचने से अपनी जिंदगी शुरू की थी और आज कई हजार करोड़ रुपए का कारोबार है। एमडीएच मसालों का विज्ञापन भी धर्मपाल जी खुद करते रहे। वर्ष 2010 में जब धर्मपालजी अजमेर आए तब उनका पदार्पण मेरे ऑफिस में भी हुआ। इंटरव्यू के दौरान मैंने पूछा कि महाशय जी आप करोड़ रुपए का दान यूं ही कर देते हो, कभी आपके परिवार वाले एतराज नहीं करते? इस पर उन्होंने कहा कि मैं जो विज्ञापन करता हंू उसका कोई मेहनताना नहीं लेता। यदि एमडीएच के विज्ञापन अमिताभ बच्चन करेंगे तो करोड़ों रुपया लेंगे। मैं अपनी मेहनत का पैसा दान करता हंू। मेरे विज्ञापन से ही एमडीएच मसाला खूब बिक रहा है। आज एमडीएच मसालों की शुद्धता ही गारंटी है। धर्मपालजी का बच्चों के प्रति भी विशेष स्नेह रहता था। मेरे पुत्र हर्षित मित्तल से भी उन्होंने स्नेह भाव से मुलाकात की। 100 रुपए के नोट पर अपने हस्ताक्षर कर हर्षित को दिए। तब महाशयजी ने कहा कि नोट पर हस्ताक्षर इसलिए कर रहा हंू ताकि बच्चों में बचत की भावना बनी रहे। चूंकि नोट पर हस्ताक्षर है, इसलिए हर्षित इस नोट को कभी भी खर्च नहीं करेगा। 10 वर्ष पहले कहे ये कथन आज भी सही है, क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर में प्रभावी प्रैक्टिस करने के बाद भी महाशयजी के हस्ताक्षर वाला सौ रुपए का नोट हर्षित ने संभाल कर रखा हुआ है। वर्ष 2010 में हर्षित अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल में दसवीं कक्षा का छात्र था, लेकिन हर्षित के जहन में महाशय जी वाली मुलाकात आज भी ताजा है। धर्मपाल जी ने अजमेर के जयपुर रोड स्थित स्वामी दयानंद की निर्वाण स्थली भिनाय कोठी और ऋषि घाटी स्थित स्वामी दयानंद की उत्तराधिकारी संस्था परोपकारिणी सभा को विकास कार्यों के लिए करोड़ों रुपए का दान दिया है। इन दोनों स्थानों का निखरा स्वरूप धर्मपाल जी की वजह से ही है। परोपकारिणी सभा के प्रमुख स्व. धर्मवीर जी के प्रति महाशय जी का विशेष स्नेह रहा। निर्वाण स्थली पर स्वामी दयांनद की वस्तुएं संरक्षित रहे तथा आर्य समाज के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार होता रहे, इसके लिए महर्षि दयानंद स्मारक ट्रस्ट को दिल खोल कर धनराशि दी। ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने भी महाशयजी की भावना के अनुरूप भिनाय कोठी में विकास कार्य करवाए तथा आर्य समाज की गतिविधियों को संचालित रखा। निर्वाण स्थली पर प्रतिदिन यज्ञ-हवन के साथ साथ आर्य विद्वानों के प्रवचन होते हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (03-12-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511

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