Tuesday 1 December 2020

हैदराबाद का नाम भाग्य नगर क्यों न हो? भारत में सरदार पटेल नहीं होते तो हैदराबाद रियासत पाकिस्तान में होती? मुद्दा असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के चीखने चिल्लाने का नहीं है।

देश के हैदराबाद महानगर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के चुनाव एक दिसम्बर को होने हैं। इस कॉर्पोरेशन का महत्व इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें 5 लोकप्रिय क्षेत्र आते हैं। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी इसी हैदराबाद से लोकसभा के सांसद हैं। यहां से ओवैसी के दादा और पिता भी सांसद रहे हैं। यह सीट ओवैसी परिवार की ही मानी जाती है। चुनाव में तो म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के हैं, लेकिन इस चुनाव की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। चुनाव में हैदराबाद का नाम बदलने का मुद्दा छा गया है। जब से हैदराबाद का नाम भाग्य नगर रखने की आवाज आई है, तब से असदुद्दीन और उनके भाई अकबरुद्दन ओवैसी का गुस्सा सातवें आसमान पर हैं। दोनों भाई अब उन लोगों के बाप को बीच में ला रहे हैं जो हैदराबाद का नाम भाग्य नगर करना चाहते हैं। सवाल ओवैसी बंधुओं के चीखने चिल्लाने का नहीं है। सवाल यह है कि हैदराबाद का भाग्य नगर नाम क्यों नहीं रखा जाए? 1947 में जब धर्म के आधार पर पाकिस्तान अलग राष्ट्र बन गया तो फिर गुलामी के दौर के नाम अभी तक क्यों चल रहे हैं? इतिहास गवाह है कि 17वीं शताब्दी तक हैदराबाद को भाग्य नगर के रूप में ही जाना जाता था। सब जानते हैं कि आक्रमकारियों ने भारत की सनातन संस्कृति के प्रतीत धार्मिक स्थलों को तोड़ा और नष्ट किया। यहां तक कि शहरों के नाम भी आक्रमकारियों ने अपने अनुरूप रख लिए। भगवान राम के जन्म स्थल अयोध्या को फैजाबाद तथा प्रयागराज को इलाहबाद घोषित कर दिया। हालांकि अब अयोध्या और प्रयागराज तो अपने मूल स्वरूप में लौट आए हैं, लेकिन अभी भी ऐसे चिन्ह हैं जिन्हें भारत के अनुकूल होना चाहिए। भारत एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश है, इसलिए ओवैसी बंधुओं को बोलने की पूरी छूट हैं, लेकिन ओवैसी बंधुओं को भी हैदराबाद के नाम भाग्य नगर करने पर ऐतराज नहीं होना चाहिए। सब जानते हैं कि 1947 में देश के विभाजन के समय हैदराबाद की रियासत तो पाकिस्तान में शामिल होना चाहती थी, लेकिन तब केन्द्रीय गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हैदराबाद को भारत में बनाए रखा। यदि पटेल नहीं होते तो हैदराबाद को भारत में रखना मुश्किल था। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यदि हैदराबाद पाकिस्तान में चला जाता तो भारत की भौगोलिक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह माना कि हैदराबाद में ओवैसी बंधुओं को चाहने वाले अधिक हैं, लेकिन अब हैदराबाद भी भारत का ही अंग हैं। S.P.MITTAL BLOGGER (29-11-2020) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9509707595 To Contact- 9829071511 Attachments area

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