Sunday 13 December 2020

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बताएं कि अजमेर जिला परिषद के नवनिर्वाचित भाजपा सदस्यों को कितने में खरीदा?कांग्रेस के समर्थन से जिला प्रमुख बनी हैं भाजपा की बागी श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा। जीतने के तुरंत बाद अशोक गहलोत का आभार जताया।

सब जानते हैं कि गत जुलाई माह में जब सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 विधायक दिल्ली चले गए थे, तब राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हायतौबा मचा दी। सीधे तौर पर आरोप लगाया कि भाजपा के नेता विधायकों को 35-35 करोड़ रुपए में खरीद रहे हैं। दिल्ली जाने वाले विधायकों के खिलाफ मुकदमें तक दर्ज कर लिए। कांग्रेस में सारी बगावत सचिन पायलट के नेतृत्व में हुई लेकिन सीएम गहलोत ने भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि गहलोत अभी तक भी विधायकों के बिकने का कोई सबूत नहीं दे सके हैं। सप्ताह भर पहले भी गहलोत ने कह दिया कि उनकी सरकार गिराने का फिर से षडय़ंत्र हो रहा है। इस बार भी भाजपा पर ही आरोप लगाया गया। कांग्रेस में जब भी कोई असंतोष होता है तो गहलोत सीधे तौर पर भाजपा को जिम्मेदार ठहरा देते हैं। इसलिए अब सीएम गहलोत से ही पूछा जा रहा है कि अजमेर जिला परिषद के भाजपा सदस्यों को कितने में खरीदा है? भाजपा को 32 में से 21 वार्डों में जीत मिली, लेकिन फिर भी जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार महेनद्र सिंह मझेवला को मात्र 9 मत प्राप्त हुए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इशारे पर भाजपा के 12 सदस्यों ने बगावत कर दी। भाजपा की बागी उम्मीदवार श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा  जिला प्रमुख बन जाएं। इसलिए कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार श्रीलाल तंवर ने ऐन मौके पर अपना नाम वापस ले लिया। कांग्रेस सभी 11 सदस्यों की मदद से श्रीमती पलाड़ा अजमेर की जिला प्रमुख बन गई। सीएम गहलोत के पिछले बयानो को सही माने तो श्रीमती पलाड़ा की बगावत वैसी ही थी जैसी जुलाई में सचिन पायलट ने की थी। पायलट दिल्ली से बैरंग लौट आए, लेकिन अजमेर में गहलोत ने जो षडयंत्र किया उसकी वजह से भाजपा का जिला प्रमुख नहीं बन सका। इस राजनीतिक षडयंत्र में सीएम गहलोत की भूमिका रही, इस बात का पता श्रीमती पलाड़ा और उनके पति भंवर सिंह पलाड़ा के बयान से चलता है। जीतते ही पलाड़ा दम्पत्ति ने सीएम अशोक गहलोत का आभार जताया। जब विधायकों की कीमत 35 करोड तक लग सकती है, तब भाजपा के नवनिर्वाचित सदस्यों की कीमत 20-25 लाख रुपए तो लगी होगी ही? सीएम गहलोत तो खुद मानते हैं कि राजनीतिक का पाला मुफ्त में नहीं बदला जाता। अब ऐसा तो हो नहीं सकता कि कांग्रेस के विधायक 35 करोड़ रुपए लें और भाजपा के सदस्य मुफ्त में ही अशोक गहलोत के साथ चले जाएं। अब सीएम गहलोत को ही बताना होगा कि अजमेर में भाजपा के 12 सदस्यों को कितने में खरीदा है? कांग्रेस में तो विधायक डेढ़ साल बाद बिक रहे थे, जबकि अजमेर में भाजपा के सदस्य तो निर्वाचन के चार दिन बाद ही बिकने के लिए बाड़े में पहुंच गए। खास बात तो यह है कि ऐसे सदस्य ने निर्वाचन की शपथ तक नहीं ली थी, जो सदस्य भाजपा के चुनाव चिन्ह पर जीते वो अशोक गहलोत के एक इशारे में कांग्रेस के साथ आ गए। ऐसे सदस्य अब अपने निर्वाचन क्षेत्र में किस मुंह से जाएंगे? सीएम गहलोत को यह भी बताना चाहिए कि अजमेर में किसने गद्दारी मक्कारी, धोखेबाजी और विश्वास घात किया?
S.P.MITTAL BLOGGER (13-12-2020)
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