Monday 28 December 2020

रीट लेवल प्रथम की परीक्षा में बीएड के विद्यार्थियों को शामिल करने पर बीएसएटीसी के विद्यार्थियों को ऐतराज। हजारों युवाओं ने जयपुर में निकाला मौन जुलूस।बीएसटीसी और बीएड के विद्यार्थियों की योग्यता में बहुत अंतर है। 31 हजार शिक्षकों की भर्ती में बीएसटीसी के विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन होगा।

28 दिसम्बर को जयपुर में बीएसटीसी उत्तीर्ण हजारों विद्यार्थियों ने मौन जुलूस निकाला। विद्यार्थियों के मांग है की शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) के लेवल प्रथम में बीएड के विद्यार्थियों को शामिल नहीं किया जाए। बीएसटीसी के विद्यार्थियों का कहना है कि अब तक रीट परीक्षा के प्रथम लेवल में बीएसटीसी उत्तीर्ण युवाओं को ही भाग लेने का अवसर मिलता था। लेकिन इस बार राज्य सरकार ने प्रथम लेवल का परीक्षा में बीएड के विद्यार्थियों को भी शामिल करने का निर्णय लिया है। यदि बीएड के विद्यार्थी शामिल होते हैं तो शिक्षक भर्ती परीक्षा में बीएसटीसी के विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन होगा। बीएसटीसी के विद्यार्थियों का कहना है कि योग्यता में बीएड के विद्यार्थी आगे हैं। बीएसटीसी तो 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कर ली जाती है, जबकि बीएड की योग्यता के लिए स्नातक की अनिवार्यता है। ऐसे में 12वीं कक्षा और स्नातक उत्तीर्ण युवक की योग्यता में अंतर होता है। जब बीएड के विद्यार्थी 12वीं कक्षा उत्तीर्ण बीएसटीसी के विद्यार्थियों के साथ रीट की परीक्षा देंगे तो बीएसटीसी के विद्यार्थियों को मेरिट में आने का अवसर ही नहीं मिलेगा। सरकार ने रीट परीक्षा के लिए यह जो निर्णय लिया है, वह पूरी तरह असंवैधानिक है। सरकार को अपना निर्णय बदलना चाहिए। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के लाखों विद्यार्थी शिक्षक बनने से वंचित हो जाएंगे। यहां यह उल्लेखनीय है कि सरकार ने रीट परीक्षा के लिए 25 अप्रैल की तारीख घोषित कर दी है। रीट के परिणाम के आधार पर ही राज्य में 31 हजार शिक्षकों की भर्ती होगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-12-2020)
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