Wednesday 18 November 2015

क्या मायने रखते हैं आतंकवाद पर बराक ओबामा और दरगाह दीवान आबेदीन के बयान



कुख्यात इस्लामिक आतंकी संगठन आईएस के हाल ही के फ्रांस हमले के बाद अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि आतंकवाद पर मुस्लिम प्रतिनिधियों को जितनी मजबूती के साथ विरोधी करना चाहिए, उतना होता नहीं है। इसलिए आतंककारियों के हौंसले बुलंद होते हैं। बराक ओबामा के विचारों के आसपास ही मुस्लिम धर्मगुरु जैनुअल आबेदीन ने कहा है कि आतंकवाद के विरोध में मुसलमानों को एकजुट होना चाहिए। सब जानते हैं कि बराक ओबामा की पृष्ठ भूमि मुस्लिम परिवार की रही है तथा जैनुअल आबेदीन अजमेर स्थित संसार प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान हैं। दीवान की हैसियत से ही आबेदीन का दुनियाभर के मुसलमानों के बीच मान सम्मान है। आबेदीन ने फ्रांस पर हुए आईएस के हमले के बाद एक बयान जारी कर कहा कि  आतंकवादी इस्लाम के ही दुश्मन नहीं है, बल्कि मानवता के दुश्मन भी हंै। दुनियाभर में आतंकवाद और चरमपंथियों की चुनौतियों से मुकाबले के लिए इमामों, धार्मिक नेताओं और अन्य विद्वानों को आगे आना चाहिए। उन्होंने माना कि कुछ लोग इस्लाम की छवि खराब कर रहे हैं। दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे आतंकवाद के संदर्भ में ओबामा और दीवान आबेदीन के बयान कितने मायने रखते हैं,इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा। ऐसा नहीं कि इन दोनों नेताओं ने पहली बार बयान दिया हो। दुनिया में जब-जब भी आईएस जैसे आतंकी संगठन हिंसक वारदातें करते हैं, तब-तब ओबामा और आबेदीन ऐसे ही बयान जारी करते हैं, लेकिन न तो ओबामा की पहल पर मुस्लिम प्रतिनिधियों ने मजबूती के साथ आतंकारियों का विरोध किया और न ही दीवान आबेदीन के आह्वान पर मुसलमान आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हुए। इसमें कोई दोराय नहीं कि इन दोनों ही नेताओं के बयान हर समय एक अच्छी पहल होते हंै, लेकिन यह देखने में आया है कि आतंकवादी एक के बाद एक बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं। 
यहां यह बात भी महत्त्वपूर्ण है कि इस्लामी आतंकी संगठन सिर्फ ईसाई अथवा हिन्दुओं को ही निशाना नहीं बनाते, बल्कि मुस्लिमों को भी बेरहमी से मौत के घाट उतारते है। गत वर्ष पाकिस्तान में एक सैनिक स्कूल में आतंकी हमला कर छोटे-छोटे मुस्लिम बच्चों को बेदर्दी से मौत की नींद सुला दिया गया। जिन भी इस्लामिक देशों में आतंकी वारदातें हो रही हैं, वहां आंतकियों के सामने सरकारें लाचार हैं। वर्तमान में इराक, इरान, अफगानिस्तान, बंग्लादेश, पाकिस्तान, सीरिया आदि देशों के ऐसे ही हालात हैं। ओबामा कोई सात साल पहले जब अमरीका के राष्ट्रपति बने थे, तब यह उम्मीद जताई गई थी कि यूरोप के देशों के संबंध इस्लामिक देशों से सुधरेंगे। इसके लिए ओबामा ने भी इराक से अमरीकी फौजों को वापस बुलाने का फैसला किया। लेकिन इसके बावजूद भी संबंधों में अपेक्षित सुधार नहीं हो पाया। अब तो इस्लामिक आतंकी संगठन ओबामा को भी अपना दुश्मन नम्बर वन मानते हैं। यूरोप और इस्लामिक देशों के बीच जो तनावपूर्ण हालात हैं, उसका सबसे ज्यादा असर भारत पर पड़ेगा। वैसे भी भारत की सीमाएं पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंग्लोदश आदि से लगी हुई हैं। ऐसे माहौल में ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान का बयान आतंकी संगठनों को सकारात्मक सोच के साथ ग्रहण करना चाहिए। सब लोग मानते हैं कि आतंकवाद के इस माहौल में ख्वाजा साहब का सूफीवाद ही शांति का रास्ता निकाल सकता है। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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