Friday 6 November 2015

शराबबंदी के धरने के टेंट को फेंक कर दिया नए एसपी को सैल्यूट।



पुलिस ने दिखाया अपना चेहरा। 
6 नवम्बर को अजमेर कलेक्ट्रेट के बाहर सुबह के समय एक साथ दो महत्त्वपूर्ण घटनाएं हुई। पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार पीयूसीएल, आर्यसमाज और लोक संघर्ष मोर्चा की ओर से कलेक्ट्रेट के बाहर धरना दिया जाना था। लेकिन जब धरने के लिए टेंट लगाने का प्रयास किया गया तो पुलिस ने न केवल टेंट वाले की पिटाई की, बल्कि टेंट फेंक दिया। फलस्वरूप इन संस्था के पदाधिकारियों को कलेक्टे्रट के फुटपाथ पर बैठकर ही धरना देना पड़ा। धरने में शहर भर के जागरुक नागरिक और प्रशासन की कमेटियों में शामिल प्रतिनिधि भी थे। एक ओर शहर के गणमान्य व्यक्ति कलेक्ट्रेट के फुटपाथ पर बैठे थे, तो वहीं कलेक्टे्रट परिसर में नए एसपी डॉ. नितिन दीप ब्लग्गन को पुलिस के छोटे-बड़े अधिकारी सैल्यूट मार रहे थे। डॉ. ब्लग्गन के कक्ष के बाहर गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया। लोकतंत्र में बार-बार यह दावा किया जाता है कि अफसर नौकर हैं और जनता मालिक। लेकिन 6 नवम्बर को अजमेर पुलिस ने लोकतंत्र की हत्या करते हुए मालिक समझी जाने वाली जनता को फुटपाथ पर बैठाया और नौकर समझे जाने वाले एसपी को मालिक मानते हुए गार्ड ऑफ ऑनर दिया। जो लोग इस जनता के वोट से सरकार में बैठे हैं, उन्हें शर्म आनी चाहिए। यह सही है कि नए एसपी डॉ. ब्लग्गन ने यह नहीं कहा होगा कि शहर के प्रमुख लोगों को कलेक्ट्रेट के फुटपाथ पर बैठा दिया जाए और उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाए। लेकिन पुलिस के चापलूस अधिकारियों ने अपने बॉस को खुश करने के लिए लोकतंत्र की हत्या करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। डॉ. ब्लग्गन ने 6 नवम्बर को ही अजमेर के एसपी का पदभार संभाला है। यदि डॉ. ब्लग्गन ने नकेल नहीं कसी तो ऐसे अधिकारी नए एसपी की छवि खराब कर देंगे।
शराबबंदी और छाबड़ा को लेकर था धरना
हाल ही में जयपुर में सर्वोदय कार्यकर्ता और पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा का जिस प्रकार निधन हुआ, उसके विरोध में तथा पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर धरना रखा गया था। पीयूसीएल के पदाधिकारी डी.एल.त्रिपाठी, अनंत भटनागर, ओ.पी.रे, रमेश लालवानी, शेखजादा जुल्फीकर चिश्ती, राजकुमार नाहर आदि ने कहा कि राज्य की वसुंधरा सरकार ने छाबड़ा से पूर्ण शराबबंदी को लेकर जो वायदा किया था, उसे पूरा नहीं किया और जब दो अक्टूबर से आमरण अनशन शुरू किया तो सरकार ने छाबड़ा से बात तक नहीं की। 32 दिनों तक अनशन पर रहने के बाद गत एक नवम्बर को छाबड़ा का निधन हो गया। प्रतिनिधियों ने कहा कि छाबड़ा के बलिदान के बाद सरकार को चरणबद शराबबंदी लागू करनी चाहिए। 
कौन देगा अनुमति:
पुलिस ने जब टेंट फेंक दिया तो पीयूसीएल के प्रतिनिधि डी.एल. त्रिपाठी, अनंत भटनागर, ओ.पी. रे आदि ने यह जानना चाहा कि आखिर कलेक्टे्रट के बाहर टेंट लगाने की अनुमति कौन देगा। क्योंकि इससे पहले तक कभी भी अनुमति नहीं ली गई। इस पर पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि टेंट की परमिशन सिटी मजिस्ट्रेट देंगे। तीनों प्रतिनिधियों ने सिटी मजिस्ट्रेट हरफूल सिंह यदाव से मुलाकात की, लेकिन यादव ने टेंट लगाने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। यादव का कहना रहा कि पुलिस ही अनुमति देगी। इस पर तीनों प्रतिनिधियों ने एएसपी सिटी अवनीश से मुलाकात की। अवनीश ने कहा कि टेंट की अनुमति देना पुलिस का काम नहीं है। अवनीश ने सिटी मजिस्ट्रेट के कथन को सही नहीं माना और पीयूसीएल के प्रतिनिधियों के सामने ही फोन पर सिटी मजिस्ट्रेट से बात की और उन्हें बताया कि पुलिस एक्ट के नियमों के मुताबिक प्रशासन ही अनुमति देता है। लेकिन जब अवनीश को कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो उन्होंने कहा कि इस संबंध में जिला कलेक्टर से बात की जाएगी। अवनीश ने स्वीकार किया टेंट लगाने की अनुमति के मुद्दे पर जिला प्रशासन और पुलिस में तालमेल नहीं है। लेकिन इसके बावजूद भी अवनीश ने कलेक्ट्रेट के बाहर टेंट लगाने की सहमति नहंी दी। फलस्वरूप शहर के प्रमुख नागरिकों को फुटपाथ पर बैठकर ही शराबबंदी के लिए धरना देना पड़ा। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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