Tuesday 17 November 2015

सोलह साल बाद जंजीरों से मुक्त हुआ नरपत



जी मरूधरा चैनल की स्टोरी बनी मददगार
अजमेर जिले की पीसांगन पंचायत समिति के मेवाडिय़ा गांव का मानसिक विक्षिप्त युवक नपरत नायक 17 नवम्बर को सोलह साल बाद लोहे की जंजीरों से मुक्त हो पाया है। 35 वर्षीय नायक का अब यहां के सरकारी अस्पताल में इलाज हो रहा है। नरपत मेवाडिय़ा गांव के एक पेड़ से जंजीरों से बंधा हुआ है, इसको लेकर 15 नवम्बर को जी मरूधरा न्यूज चैनल पर स्टोरी चली। चैनल के अजमेर स्थित प्रभारी मनवीर सिंह स्वयं मेवाडिय़ा गांव पहुंचे और मौके से ही लाइव कार्यक्रम चलाया। यह वाकई ही दर्दनाक था कि मानसिक रूप से विक्षिप्त 35 वर्षीय युवक लोहे की जंजीर से बंधा है। गांव वाले ही नरपत को भिखारी की तरह खाद्य सामग्री डाल जाते थे। नरपत के लिए दु:खद बात यह भी रही कि उसके पिता का निधन हो गया और उसकी मां नेत्रहीन है। चूंकि नरपत हिंसक घटनाएं कर रहा था इसलिए उसके भाई उसे बचपन से ही चेन से बांध गए। जी मरूधरा की स्टोरी के बाद जिला प्रमुख वंदना नोगिया मेवाडिय़ा गांव पहुंची और नरपत को जंजीरों से मुक्त करवाया। नोगिया ने तहसीलदार ताराचंद और कार्यवाहक एसडीएम राधेश्याम के समक्ष भी इस बात को लेकर नाराजगी प्रकट की कि नरपत का इलाज कराने के बजाय जंजीर से बांध गया है। इसके लिए नोगिया ने क्षेत्र के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों को भी लापरवाह माना। नरपत की आर्थिक स्थिति को देखते हुए पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा और जिला परिषद के सदस्य रविकुमार ने पांच-पांच हजार की आर्थिक सहायता की है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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