Friday 6 November 2015

मनमोहन सिंह को अब समझ में आया कि असहमति को दबाना गलत है।



6 नवम्बर को जवाहरलाल नेहरू की 125वीं जयंती के मौके पर दिल्ली में आयोजित एक समारोह में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने कहा कि असहमति को दबाया जाना गलत है। वर्तमान केन्द्र सरकार पर हमला करते हुए सिंह ने कहा कि बोलने और विचार व्यक्त करने वालों पर कट्टरपंथियों द्वारा हमला किया जा रहा है। सरकार बल से नहीं बल्कि मूल्य और नैतिक चरित्र से चलती है। सब जानते हैं कि मनमोहन सिंह 10 वर्ष तक उस सरकार के पीएम रहे जिसमें बोलने की आजादी थी ही नहीं। पीएम जैसे ताकतवर व्यक्ति को भी किस तरह दबाया जाता है इसका सबसे ज्यादा अनुभव खुद मनमोहन सिंह को है। डीएमके से जुड़े मंत्रियों ने 2जी स्पेक्ट्रम की लूट में मनमोहन सिंह को दबाया क्या यह किसी से छिपा है। खुद मनमोहन सिंह 10 वर्ष तक अपनी जुबान बंद रखे रहे और अब मात्र 17 माह की नरेन्द्र मोदी की सरकार से उन्हें असहमति की बात समझ में आ रही है। असहमति को किस तरह दबाया जाता है यह भी मनमोहन सिंह ही जानते हैं। मनमोहन सिंह इस देश के 10 वर्ष तक प्रधानमंत्री इसलिए रहे कि उन्होंने वो ही किया जो सोनिया गांधी ने चाहा था। यदि मनमोहन सिंह असहमति प्रकट करते तो पीएम की कुर्सी पर एक दिन भी नहीं रह सकते थे। मनमोहन सिंह को आज यह याद आ रहा है कि सरकार का मूल्य और नैतिक चरित्र होता है। मनमोहन सिंह उस दिन को भूल गए जब उनके पोते समान राहुल गांधी ने जनप्रतिनिधियों से संबंधित सरकार के बिल को फाड़कर फेंक दिया था। जो बिल केन्द्रीय मंत्रिमंडल में मंजूर किया गया उस बिल के प्रस्ताव को लाइव प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने फाड़कर फेंका। पूरे देश ने देखा कि किस तरह से राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह का अपमान किया। यदि उस समय मूल्य और चरित्र की समझ होती तो मनमोहन सिंह को पीएम की कुर्सी छोड़ देना चाहिए थी। यह माना कि मनमोहन सिंह प्रवृति से एक शरीफ इंसान हैं लेकिन कुछ भी बोलने से पहले मनमोहन सिंह को इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि उस कांग्रेस गठबंधन सरकार का 10 वर्षों तक नेतृत्व किया है। जिस कांग्रेस की नीतियों की वजह से आज देश इन हालातों में खड़ा है तथा मनमोहन सिंह आपातकाल के दौर को भूल गए। कांग्रेस की सरकार ने आपातकाल में क्या जुल्म नहीं ढहाए। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस ने असहनशीलता को लेकर देश में जो माहौल बनाया है उसी में अब मनमोहन सिंह को भी शामिल कर लिया गया है। अपनी शराफत की नजर में मनमोहन सिंह अभी राजनैतिक हमलों से बचे हुए थे लेकिन अब मनमोहन सिंह का भी बचना मुश्किल है। लोकतंत्र में जवाब दूसरों को कटघरे में खड़ा कर सकते हैं तो दूसरे लोग भी आप पर हमला करेंगे ही।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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