Friday 20 November 2015

आखिर वसुंधरा के रिसर्जेंट में पीएम नरेन्द्र मोदी नहीं आए।



दो दिन का रिसर्जेन्ट राजस्थान 20 नवम्बर को एक ही सत्र के बाद समाप्त हो गया। उद्घाटन अथवा समापन समारोह में पीएम नरेन्द्र मोदी को बुलाने के लिए राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने हर संभव कोशिश की थी। खुद राजे दिल्ली में मोदी से मिली और निमंत्रण दिया। इतना ही नहीं अरुण जेटली, नितिन गडकरी जैसे अपने समर्थकों को से भी पीएम पर दबाव डलवाया कि थोड़ी देर के लिए जरूर आएं। यह भी बताया गया कि देशी विदेशी निवेश के लिए पिछले दो साल से सरकार तैयारी कर रही है, लेकिन इन सब प्रयासों के बावजूद भी पीएम मोदी वसुंधरा के रिसर्जेंट में शामिल नहीं हुए। ऐसा नहीं कि पीएम विदेश यात्रा पर पर हो। 
19 और 20 नवम्बर को रिसर्जेंट राजस्थान इसलिए किया गया, क्योंकि इन दिनों पीएम भारत में ही है। जो जागरुक दर्शक न्यूज चैनल देखते हैं और अखबार पढ़ते हैं उन्होंने भी यह देखा होगा कि 19 और 20 नवम्बर को पीएम मोदी दिल्ली से बाहर किसी समारोह में भी नहीं दिखे। इतना ही नहीं कोई विदेशी शिष्टमंडल भी पीएम से मिलने नहीं आए। यानि दोनों दिन पीएम मोदी दिल्ली के सरकारी आवास 7 रेसकोर्स पर ही थे। कोई पूर्व निर्धारित कार्यक्रम न होने के बाद भी मोदी का रिसर्जेंट राजस्थान में नहीं आना चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि अरुण जेटली से लेकर नरेन्द्र तोमर तक केन्द्रीय मंत्री शामिल हुए, लेकिन पीएम की उपस्थित में रिसर्जेंट राजस्थान को जो ऊंचाईयां मिलनी थी, वह नहीं मिल पाई। दो दिन के समारोह में पीएम मोदी का कोई संदेश भी पढ़कर नहीं सुनाया गया। आमतौर पर किसी समारोह में अतिविशिष्ट व्यक्ति किन्हीं कारणों से उपस्थित नहीं हो पाता है। तो कम से कम अपना संदेश तो भिजवाता ही है। कहा जा रहा है कि मोदी के नहीं आने से देश के कई बड़े उद्योगपति भी समारोह में नहीं आए। 
90 में 45 उद्योगपति ही शामिल हुए। सवाल उठता है कि आखिर पीएम मोदी क्यों नहीं आए? क्यों मोदी वसुंधरा सरकार से नाराज है? सब जानते हैं कि राजे को लेकर केन्द्र में कांग्रेस ने संसद को ठप कर रखा है। गत मानसून सत्र में कांग्रेस लगातार राजे से इस्तीफे की मांग करती रही, अब शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में भी कांग्रेस अपनी मांग पर कायम है। यानि सवा महीने के शीतकालीन सत्र को भी कांग्रेस चलने नहीं देगी। कांग्रेस का अडिय़ल रवैया कितना सही अथवा गलत है। यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन संसद के नहीं चलने से पीएम मोदी राजनीतिक दृष्टि से दबाव में बताए जाते हैं। भले ही चुनावी सभाओं में मोदी कांग्रेस पर कितना भी हमला करें, लेकिन संसद का नहीं चलना मोदी को भी अखरता है। कहीं ऐसा तो नहीं शीतकालीन सत्र में होने वाली बड़ी राजनीतिक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी वसुंधरा के रिसर्जेंट में नहीं आए। वसुंधरा के लिए यह पेरशानी का सबब है कि उनके खास माने जाने वाले राजस्थान के खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में पड़े हुए हैं। राजे ही खान विभाग की केबिनेट मंत्री भी हैं। इसी प्रकार क्रिकेट के भस्मासुर ललित मोदी से कोई 12 करोड़ रुपए शेयर के नाम पर लेने के गंभीर आरोप भी राजे पर हैं। देखना है कि पीएम मोदी के नहीं आने के परिणाम क्या सामने आते हैं। 
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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