Friday 20 November 2015

बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना।



नीतीश के शपथ ग्रहण में राहुल कुछ ऐसे ही लगे।
हमारे देश में एक रोचक मुहावरा है- बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। इस मुहावरे का अर्थ सब जानते हैं इसलिए मैं यहां इसकी व्याख्या नहीं कर रहा हूं लेकिन लगता है कि 20 नवम्बर को पटना में नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने उपस्थिति दर्ज करवाकर यह मुहावरा स्वयं पर चरितार्थ कर लिया है। नीतीश ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में उन नेताओं और मुख्यमंत्रियों को बुलाया, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस को उखाड़ फेंका है। ममता बनर्जी ने कांग्रेस से ही बगावत कर पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को पूरी तरह मिट्टी में मिला दिया। महाराष्ट्र में कांग्रेस शरद पवार की एनसीपी के भरोसे है। जम्मू-कश्मीर में फारूख अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला के रहमोकरम पर राहुल की पार्टी है। अरविन्द केजरीवाल ने तो दिल्ली में कांग्रेस का निशान ही मिटा रखा है। कांग्रेस के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि 70 विधायकों में से एक भी कांग्रेस का नहीं है। खुद नीतीश कुमार ने भी अपने बिहार में कांग्रेस का बैण्ड बजा रहा है। इस बार चुनाव में लालूप्रसाद यादव की मेहरबानी रही, जिसकी वजह से समझौते में कांग्रेस को 40 सीटें मिली और 27 उम्मीदवार विधायक बन गए। राहुल इस बात से उत्साहित हो सकते हैं कि बिहार में उनके 27 विधायक हैं। नीतीश कुमार ने अपने शपथ ग्रहण में यह प्रदर्शित किया कि गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई नेता उनके साथ हैं। हालांकि इसमें मुलायम और मायावती अपवाद रहे,  लेकिन शपथ ग्रहण समारोह में जिस प्रकार राहुल गांधी ने वीआईपी अंदाज में एन्ट्री की, उससे यह भी पता चलता है कि राहुल गांधी को राजनीति में अभी बहुत कुछ सीखना है। टीवी पर प्रसारित लाइव कार्यक्रम में लोगों ने देखा कि समारोह के अन्त में राहुल आए और कोने पर लगी एक कुर्सी पर बैठ गए। इसी पंक्ति में 9 राज्यों के सीएम और दिग्गज नेता बैठे हुए थे। जब फारूख अब्दुल्ला ने राहुल को देखा तो उन्होंने पहल कर राहुल को सभी नेताओं से मिलवाया। यानि राहुल उन सभी नेताओं से मिले, जिन्होंने अपने-अपने राज्यों में कांग्रेस का खात्मा कर दिया। इस समय लोकसभा में कांग्रेस के मात्र 44 सांसद हैं जो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के टीएमसी के आसपास ही है। यदि कांग्रेस को मिटाने वाले नेताओं से मिलकर राहुल गांधी खुश हो रहे हैं तो फिर भगवान ही रक्षा करे।
तेजस्व बने डिप्टी सीएम
ऐसा प्रतीत होता है कि बिहार में लालू ने अभी से ही नीतीश को नीचा दिखाने का काम शुरू कर दिया है। लालू के दबाव से ही नीतीश को 20 नवंबर को लालू के बेटे तेजस्व यादव को डिप्टी सीएम बनाने की घोषणा करनी पड़ी यानि जो नीतीश कुमार पांचवीं बार सीएम बने और कई बार केन्द्रिय मंत्री रह चुके उन्हें लालू के 26 वर्षीय बेटे को डिप्टी सीएम बनाना पड़ा है। लालू के दूसरे बेटे तेजप्रताप यादव ने भी कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है। लालू का परिवार 9 बच्चों के साथ कुल 11 सदस्यों का है। इसमें सेअब तक पांच सदस्य सक्रिय राजनीति में हैं। लालू, राबड़ी, दोनों पुत्र तथा बेटी मीसा यादव लालू की अन्य बेटियां भी आने वाले दिनों में राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाएंगी।

No comments:

Post a Comment