Thursday 26 November 2015

शराबबंदी पर नीतीश कुमार से प्रेरणा ले वसुंधरा राजे।



बिहार के गत चुनावों में नितीश कुमार ने वायदा किया था कि सीएम बनने पर प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी कर दी जाएगी। 26 नवम्बर को नीतीश कुमार ने अपना वायदा निभाते हुए आगामी 1 अप्रैल 2016 से सम्पूर्ण बिहार में शराब की बिक्री पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है। सब जानते हैं कि राजस्थान के मुकाबले बिहार पिछड़ा हुआ प्रदेश है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब बिहार में पूर्ण शराबबंदी हो सकती है तो राजस्थान में क्यों नहीं? क्या राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे बिहार के सीएम नीतीश कुमार से कोई प्रेरणा लेंगी? राजस्थान में तो पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने शराब बंदी की मांग को लेकर अपनी जान भी दे दी और इन दिनों उनकी पुत्रवधु पूजा छाबड़ा जयपुर में अनशन कर रही हैं। यह माना कि सरकार को शराब की बिक्री से मोटी कमाई होती है, लेकिन जब पिछड़ा हुआ बिहार कमाई का मोह छोड़कर शराब बंदी लागू कर सकता है तो फिर राजस्थान जैसा विकासशील प्रदेश क्यों नहीं कर सकता? यह तर्क बेमानी है कि शराब बंदी के बाद भी अवैध रूप से शराब की बिक्री होती है। गुजरात में शराब बंदी है और वहां अवैध शराब भी बिक रही है, लेकिन इसके बावजूद भी बिहार जैसे प्रदेश ने शराब बंदी की घोषणा की है। यानि शराब बंदी के फायदे ज्यादा है। शराब से भले ही सरकार को आय होती है। लेकिन इसकी बिक्री से जो सामाजिक बुराई होती है, उससे परिवार के परिवार बर्बाद हो जाते हैं। परिवार में शराब एक व्यक्ति पीता है, लेकिन बुराइयों का खामियाजा परिवार के सभी सदस्यों को उठाना पड़ता है। सीएम वसुंधरा राजे परिवार की उस महिला से पीड़ा जाने तो स्वयं शराब न पीती हो। हालांकि उच्च वर्ग में महिलाएं भी शराब का सेवन करने लगी हैं, इसलिए वसुंधरा राजे को ऐसी किसी महिला से राय नहीं लेनी चाहिए जो स्वयं शराब का सेवन करती हो। मध्यमवर्गीय परिवार का मुखिया जब रोज शराब पीकर घर आता है तो सबसे ज्यादा पीड़ा उसकी पत्नी और बेटियों को होती है। वसुंधरा राजे स्वयं एक महिला हैं, इसलिए महिला का दर्द आसानी से समझ सकती हैं।

(एस.पी. मित्तल)
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