Tuesday 18 August 2015

बाड़ाबंदी से पहले सीएम वसुंधरा ने देवनानी और भदेल को भिजवाए निर्देश

रिसोर्ट में बंद हो गए भाजपा के उम्मीदवार
अजमेर नगर निगम के साठ वार्डों के चुनाव का परिणाम 20 अगस्त को आएगा और 21 अगस्त को विजयी पार्षद मिलकर मेयर का चुनाव करेंगे। चूंकि भाजपा को 60 में से 40-45 उम्मीदवारों के जीतने की उम्मीद है, इसलिए 18 अगस्त को ही भाजपा के सभी साठ उम्मीदवारों को एक रिसोर्ट में बंद कर दिया गया है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अजमेर शहर के दोनों भाजपा विधायकों वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल को सख्त निर्देश भिजवा दिए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि अब उम्मीदवारों के बीच उत्तर और दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का कोई भेद नहीं होना चाहिए। भले ही पूरा चुनाव दोनों विधायकों ने अपने-अपने नजरिए से लड़ा हो।
सब जानते हैं कि भदेल वार्ड 43 के भाजपा उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह शेखावत और देवनानी वार्ड 56 के उम्मीदवार धर्मेन्द्र गहलोत को मेयर बनवाना चाहते हैं। दोनों ने अपने-अपने क्षेत्रों से भाजपा के उम्मीदवार भी इसी नजरिए से तय किए। यदि विजयी उम्मीदवारों की राय को माना जाता तो शेखावत के पक्ष में माहौल था, लेकिन अब सभी उम्मीदवारों को एक साथ एकत्रित कर दिया गया है। भाजपा की रीति-नीति को जानने वाले समझते हैं कि अब वो ही होगा जो उच्च स्तर पर तय हुआ है। यानी भाजपा ने बगावत की संभावना को खत्म कर दिया है। आम उम्मीदवारों के साथ ही मेयर पद के प्रबल दावेदार भी हैं। इन उम्मीदवारों को भी अलग से लॉबिंग करने की इजाजत नहीं दी गई है। 20 अगस्त को परिणाम के बाद जिस उम्मीदवार की हार हो जाएगी, उसे तो ससम्मान बाड़े से बाहर निकाल दिया जाएगा, लेकिन जो उम्मीदवार चुनाव जीत जाएंगे, उन्हें अगले दिन मेयर के चुनाव हो जाने के बाद ही बाहर निकलने की इजाजत दी जाएगी।
एमपीएस स्कूल में आए उम्मीदवार
किसी रिसोर्ट में जाने से पहले सभी साठ उम्मीदवारों को वैशाली नगर स्थित एमपीएस स्कूल में एकत्र किया गया। इस स्कूल के ट्रस्टी भाजपा के वरिष्ठ नेता शिव शंकर हेड़ा है। हेड़ा ने सभी उम्मीदवार को सूचीबद्ध किया। बाद में सभी उम्मीदवारों को स्कूल की एक कक्षा में बैठाया गया। यहां पर वरिष्ठ नेताओं ने उम्मीदवारों को गोपनीयता और पार्टी के प्रति निष्ठा का पाठ पढ़ाया गया। यह भी कहा गया कि कोई भी उम्मीदवार न तो अपने रिश्तेदारों से संपर्क करेंगा और न ही किसी मीडियाकर्मी से बात करेगा। सभी उम्मीदवारों के मोबाइल फोन भी वरिष्ठ नेताओं ने ले लिए हैं, ताकि कोई उम्मीदवार बाहर संपर्क नहीं कर सके। माना जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मेयर के चुनाव में पूरी तरह सक्रिय हो गया है। संघ की दखल की वजह से ही अब तक की राजनीति को बेअसर कर दिया गया है। मेयर के दावेदार जिस उम्मीदवार ने केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से एप्रोच की थी, उसे भी यह संदेश दे दिया गया है कि अब इधर-उधर हाथ-पैर मारने से कुछ नहीं होगा।
शेखावत का मामला उलझा
मेयर के लिए वार्ड 43 के भाजपा उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह शेखावत की दावेदारी सबसे मजबूत मानी जा रही हैं। शेखावत को महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल का भी समर्थन है, लेकिन कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने शेखावत के नाम पर ऐतराज जताया है। इसी के साथ शेखावत के विरोधियों ने भाजपा हाईकमान को यह भी जानकारी दी है कि माधव नगर हाऊसिंग सोसायटी के बहुचर्चित भूमि घोटाले में शेखावत की भूमिका रही थी। सोसायटी को जब नियमों के विरुद्ध भूमि का आवंटन किया, तब शेखावत नगर निगम अजमेर के सभापति थे। हालांकि बाद में राज्य सरकार ने सोसायटी को भूमि का आवंटन निरस्त कर दिया, लेकिन इस घोटाले से जुड़ी पूरी फाइलों को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के पास भेज दिया गया।
गहलोत की सीडी भी भेजी
मेयर के दूसरे प्रबल दावेदार धर्मेन्द्र गहलोत से जुड़े एक प्रकरण की सीडी भी भाजपा के प्रदेश नेताओं को भेजी गई है। यह सीडी तब की है कि जब गहलोत नगर परिषद के सभापति थे और उनका पुलिस से जोरदार झगड़ा हुआ था, तब पुलिस ने गहलोत के खिलाफ राजकाज में बाधा डालने का मुकदमा भी दर्ज किया था। गहलोत के विरोधी यह भी तर्क दे रहे हैं, जब इस बार मेयर का पद सामान्य वर्ग के लिए है, तो फिर ओबीसी के गहलोत को क्यों मेयर बनाया जा रहा है।
वहीं दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक भदेल से रंजिश रखने वाले कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने गहलोत को भरोसा दिलाया है कि भाजपा में शक्ति प्रदर्शन के समय दक्षिण क्षेत्र के कंाग्रेस के पार्षद गहलोत का समर्थन कर सकते हैं। मालूम हो कि कांग्रेस के इसी नेता के पास चुनाव की बागडोर थी।
जे.के.शर्मा और आर्य की खुल सकती है लॉटरी
मेयर के प्रबल दावेदार शेखावत और गहलोत का मामला उलझता है, तो फिर जे.के.शर्मा और सोमरत्न आर्य की लॉटरी खुल सकती है। जे.के.शर्मा पर भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र सिंह यादव का हाथ है, लेकिन यादव बिहार में व्यस्त होने की वजह से अपेक्षित मदद नहीं कर पा रहे हैं, वहीं आर्य का मामला अभी पार्षद चुनाव में ही उलझा हुआ है। आर्य की जीत को फिलहाल पक्की नहीं माना जा रहा है, लेकिन यदि आर्य पार्षद बन गए तो फिर मेयर बनने की संभावना भी है।
कांग्रेस में नहीं है उत्साह
मेयर को लेकर कांग्रेस के उम्मीदवारों में कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा है और न ही कांग्रेस के बड़े नेता अपने उम्मीदवारों की बाड़ाबंदी कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि परिणाम से पहले ही हथियार डाल दिए हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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