Wednesday 26 August 2015

शेखावत की बगावत की गाज भाजपा संगठन और दोनों मंत्रियों पर गिरेगी।

नगर निगम अजमेर के मेयर के चुनाव में शहर जिला भाजपा के महामंत्री सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने जो बगावत की उसका खामियाजा अब भाजपा के शहर अध्यक्ष अरविंद यादव और शहर के दोनों मंत्री वासुदेव देवनानी व अनिता भदेल को उठाना पड़ेगा। जानकार सूत्रों के अनुसार निगम चुनाव के प्रभारी राज्यसभा सांसद रामनारायण डूडी और बीरमदेव सिंह ने प्रदेश नेतृत्व को जो रिपोर्ट दी है उसमें माना है कि शहर अध्यक्ष यादव का संगठन पर कोई प्रभाव नहीं है। इसी प्रकार भाजपा कार्यकर्ता देवनानी और भदेल के बीच बंटा हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि यदि संगठन की भूमिका प्रभावी होती तो निगम चुनाव में भाजपा की हालत इतनी खराब नहीं होती। शहर में एक लाख सदस्य बनाने का दावा किया गया, लेकिन निगम के चुनाव में भाजपा को 96 हजार वोट ही प्राप्त हुए। रिपोर्ट में भाजपा संगठन को अजमेर में नगण्य माना गया। इसी प्रकार दोनों पर्यवेक्षकों ने प्रदेश नेतृत्व को देवनानी और भदेल की आपसी खींचतान से अवगत कराया। सूत्रों की माने तो यादव की शहर अध्यक्ष पद से शीघ्र छुट्टी होने वाली है। अब ऐसा अध्यक्ष बनाया जाएगा जो देवनानी और भदेल पर भी नियंत्रण रख सके। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अजमेर नगर निगम के चुनाव में हुई बगावत से बेहद नाराज है। भाजपा से बगावत करने वाले शेखावत को राजे व्यक्तिगत तौर पर जानती है। राजे की सोच रही कि अजमेर ऐसा फार्मूला निकाला जाना चाहिए था, जिसमें शेखावत को बगावत नहीं करनी पड़ती। भाजपा के लिए यह शर्मनाक रहा कि राज्य में दो मंत्री केन्द्र में एक मंत्री, संगठन में एक राष्ट्रीय महामंत्री होने के बाद भी बगावत हो गई। हालांकि देवनानी और भदेल को मंत्री पद से हटाने पर तो विचार नहीं हो रहा, लेकिन दोनों पर नियंत्रण करने पर कार्यवाही हो रही है। मुख्यमंत्री ने दोनों मंत्रियों की आपसी खींचतान पर भी नाराजगी जताई है। एक विचार यह भी है कि शहर भाजपा को देहात भाजपा में मर्ज कर दिया जाए। अजमेर में शहर और देहात को मिलाकर 9 विधानसभा क्षेत्र है, जबकि अलवर में 11 विधानसभा क्षेत्र आते है। अलवर में शहर और देहात का एक ही संगठन है। इसी प्रकार 10 विधानसभा वाले नागौर में भी भाजपा का एक ही जिला अध्यक्ष है। अजमेर में नगर निगम के चुनाव के साथ-साथ किशनगढ़ व केकड़ी नगर परिषद तथा सरवाड़ व बिजयनगर नगर पालिका के चुनाव भी हुए। बिजयनगर को छोड़कर शेष तीनों निकायों में भाजपा की जीत हुई है। अजमेर शहर के 60 वार्डों में से 31 पर ही भाजपा उम्मीदवार जीत पाए। उसमें भी शेखावत की बगावत के बाद भाजपा के 30 पार्षद ही रह गए है। गत लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जिस कांग्रेस का दम निकल गया था, वह कांग्रेस नगर निगम के चुनाव परिणाम से सांस लेने लगी है। कांग्रेस के 22 उम्मीदवार निगम चुनाव जीते है, जबकि 7 वार्डो में निर्दलीय विजयी हुए है। यानि इन चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच बराबर का मुकाबला हो गया। कांग्रेस के समर्थन से ही भाजपा के बागी शेखावत ने मेयर के चुनाव में 30 मत हासिल किए थे। तकदीर की पर्ची भाजपा के उम्मीदवार धर्मेन्द्र गहलोत की निकली इसलिए शेखावत अजमेर के मेयर नहीं बन सके।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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