Wednesday 12 August 2015

हाईकोर्ट के फैसले पर क्यों चुप है भाजपा-कांग्रेस।

निगम चुनाव का असली मुद्दा तो यही है।
अब यह तय हो गया है कि अजमेर नगर निगम के चुनाव में न भाजपा और न कांग्रेस अपना घोषणा पत्र जारी करेगी। यानि दोनों दलों के उम्मीदवार बगैर कोई वायदा किए लोगों के वोट हासिल कर लेंगे। पांच वर्ष राजनेताओं को कोसने वाले जागरुक नागरिक भी खामोश हैं। कांग्रेस-भाजपा से कोई यह पूछने वाला नहीं है कि आखिर शहर के विकास के लिए उनके पास क्या विजन है। निगम चुनाव का सबसे महत्त्वपूर्ण फैसला गत 4 अगस्त को हाईकोर्ट का हुआ है। मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी ने अपने आदेश में साफ लिखा है कि सभी अवैध निर्माणों को तोड़ा जाए। यह काम नगर निगम को ही करना है। यूं तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही निगम पर कब्जा होने का दावा कर रही हैं, लेकिन दोनों के ही नेता हाईकोर्ट के फैसले पर चुप्पी साधे हुए है। जबकि निगम प्रशासन को आदेश की पालना 4 सितम्बर तक करनी है। इसमें कोई दो राय नहीं जो लोग पार्षद का चुनाव लड़ रहे हैं वे या उनके परिचितों के अवैध निर्माण हैं। ऐसे में हाईकोर्ट का फैसला बेहद महत्त्वपूर्ण है। चुनाव के तुरंत बंाद ही निगम के सीईओ एच.गुइटे को हर हालत में अवैध होटलों, कॉम्प्लेक्सों आदि पर बुलडोजर चलाना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो 4 सितम्बर को अजमेर का कोई भी नागरिक हाईकोर्ट में न्यायालय की अवमानना का मामला दर्ज करवा सकता है। सीईओ गुइटे यह नहीं चाहेंगे कि उनके खिलाफ हाईकोर्ट कोई कार्यवाही करे। भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों को बताना चाहिए कि कोर्ट के फैसले पर उनकी क्या राय है। जिन प्रभावशाली लोगों ने कांग्रेस के कब्जे वाले निगम में धनबल के दम पर अवैध निर्माण किए हैं, वे भी जानना चाहते हैं कि भाजपा कांग्रेस की क्या राय है। कुछ अवैध निर्माणकर्ता तो उम्मीदवारों को आर्थिक मदद कर रहे हैं। कुछ ने अपने अवैध कॉम्प्लैक्स ही चुनाव कार्यालय के लिए दे दिए हैं। लेकिन ऐसे लोगों को राहत मिलना मुश्किल है, क्योंकि फैसला मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी ने दिया है। फैसले में कोई गुंजाइश ही नहीं रखी गई है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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