Saturday 22 August 2015

क्या सीएम वसुंधरा राजे ने करवाई अजमेर भाजपा में बगावत

आमतौर पर यही माना जा रहा है कि सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने भाजपा से बगावत कर अजमेर नगर निगम के मेयर का जो चुनाव लड़ा, उसके पीछे अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल की शह है। लेकिन शेखावत की राजनीति को जानने वाले मानते है कि शेखावत की बगावत के पीछे प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे की शह रही है। राजे और शेखावत एक ही जाति के हैं, इसलिए राजे मौके-बे-मौके शेखावत का राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। अजमेर में जब भी राजे का कोई कार्यक्रम हुआ, तब शेखावत ही सबसे नजदीक रहे। निगम के चुनाव से पहले राजे ने स्पष्ट कर दिया था कि मेयर का उम्मीदवार वो ही होगा, जिसका समर्थन ज्यादातर पार्षद करेंगे। यह निर्देश इसलिए ही दिए गए ताकि शेखावत आसानी से मेयर बन जाए। शेखावत को उम्मीद थी कि दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के 32 वार्डो में से 25 में भाजपा उम्मीदवार जीतेंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दक्षिण क्षेत्र में मात्र 12 उम्मीदवार ही जीते, जबकि शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के उत्तर क्षेत्र से 28 में से 19 उम्मीदवार जीत गए। यही वजह रही कि मेयर की उम्मीदवारी में शेखावत के बजाए देवनानी और उनके उम्मीदवार धर्मेन्द्र गहलोत का पलड़ा भारी हो गया। सीएम राजे के फार्मूले से ही गहलोत को मेयर का उम्मीदवार घोषित किया गया। यह सही है कि पार्षदों के परिणाम से पहले तक श्रीमती भदेल शेखावत की उम्मीदवारी का समर्थन कर रही थीं, लेकिन परिणाम के बाद पार्टी का फैसला स्वीकार करते हुए गहलोत का समर्थन किया। लेकिन तब तक शेखावत ने बगावत का झंडा उठा लिया। सवाल उठता है कि सीएम राजे ने स्वयं शेखावत से बात क्यों नहीं की? क्या शेखावत में इतनी हिम्मत थी कि वे राजे के कहने के बाद भी कांग्रेस से मिलकर बगावत करते? असल में राजे ने शेखावत को खुला छोड़ दिया। यही वजह रही कि शेखावत ने अनिता भदेल के मंत्री पद की परवाह भी नहीं करते हुए कांग्रेस के समर्थन से मेयर का नामांकन दाखिल कर दिया। यह शेखावत का ही दमखम था कि साठ में से तीस पार्षदों के मत प्राप्त कर भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार गहलोत से बराबरी कर ली। वह तो पर्ची ने साथ नहीं दिया, नहीं तो शेखावत ही अजमेर के मेयर होते।
शेखावत कोई अनिता भदेल के दम पर राजनीति नहीं करते हैं। भाजपा की राजनीति में वसुंधरा राजे की शह से शेखावत प्रभावी रहे हैं। जानकारों की माने तो वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव के बाद जब भाजपा में प्रतिपक्ष के नेता के लिए घमासान मचा था तब वसुंधरा राजे ने भाजपा के विधायकों की अपने समर्थन में दिल्ली में बड़े नेताओं के घरों पर परेड कराई थी, तब भाजपा विधायक भदेल को दिल्ली ले जाने का जिम्मा शेखावत पर ही सौंपा गया था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शेखावत सीएम राजे के कितने नजदीक रहे। पिछले दिनों शेखावत सिर्फ राजे से मिलने मुंबई तक गए। शेखावत की यह हवाई यात्रा भी चर्चा का विषय रही थी। शेखावत की बगावत से भाजपा की जबरदस्त बदनामी हुई है। कुछ भाजपाई कांग्रेस को कोस रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने तो भाजपा की फूट का ही फायदा उठाया है। यही तो राजनीति है। 129 निकायों के चुनाव में अजमेर में ही नगर निगम के चुनाव थे। वैसे भी अजमेर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट का चुनाव क्षेत्र है। पायलट का प्रयास था कि सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक से भाजपा को मात दी जाए। पायलट के लिए तो इससे बढिय़ा राजनीतिक मौका हो ही नहीं सकता था। अब भले ही पर्ची से गहलोत मेयर बन गए हो लेकिन कांग्रेस ने भाजपा की इज्जत तो चौराहे पर नीलाम कर ही दी है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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