Friday 28 August 2015

टीवी और मोबाइल से रक्षा हो बहनों की

29 अगस्त को देश भर में रक्षा बंधन का पर्व मनाया जा रहा है। आमतौर पर इस पर्व को बहन-भाई के रिश्तों का पर्व माना जाता है। जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो भाई उसकी रक्षा का संकल्प लेता है। भारतीय संस्कृति में हर भाई अपनी बहन की रक्षा करता ही है, लेकिन आज यह जरूरी हो गया है कि बहन की रक्षा टीवी और मोबाइल से की जाए। समाज में बहनों को सबसे बड़ा खतरा टीवी और मोबाइल से है। टीवी पर जिस तरह अश्लील और परिवार को विखंडित करने वाले सीरियल प्रसारित हो रहे है उससे बहनें भी भटक रही हैं। गंभीर बात तो यह है कि हमारी बहनों को ही बहुत ही भद्दे तरीके से टीवी पर प्रस्तुत किया जाता है। शायद ही कोई सीरियल होगा जिसमें बहनों को सेक्स के बतौर प्रस्तुत नहीं किया गया हो। टीवी सीरियल सिर्फ बहनों की वजह से ही चल रहे है। मनोरंजन वाले सीरियल ही नहीं डांस या अन्य प्रतिभाओं को दिखाने के बहाने नग्न व अद्र्धनग्न प्रस्तुत किया जाता है। धन्य हैं वे माता-पिता जो अपनी जवान बेटियों को ऐसे सीरियलों में भाग लेने के लिए भेज देते है। भाई बेचारा क्या करे, जब माता-पिता ही अपनी बेटी को अश्लील डांस करते हुए देखकर खुश हो रहे हैं। मोबाइल ने तो सत्यानाश ही कर दिया है। कॉलेज तो छोडि़ए स्कूल जाने वाली बहनों के पास भी स्मार्ट फोन है। इस मोबाइल फोन में भी इंटरनेट कनेक्शन है। जब नेट कनेक्शन है तो फिर स्कूल में पढऩे वाली बहनें दुनिया भर की जानकारी रखती हैं। सवाल उठता है कि जो बहन स्कूल अथवा कॉलेज में पढ़ती है उसे मोबाइल फोन की क्या आवश्यकता है? क्या घर से स्कूल आने-जाने के बीच इतना जरूरी काम है जो मोबाइल पर बात करनी जरूरी है। जो बहनें अपने घर से बाहर जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करती हैं उन्हें मोबाइल की आवश्यकता हो सकती है लेकिन अपने ही शहर में पढऩे वाली बहनों को इसकी क्या आवश्यकता? स्कूल व कॉलेज में जिन बहनों के दोस्त बन जाते है उनकी तो मुसीबतें और बढ़ जाती हैं। जब किसी दोस्त का फोन घर पर आता है तो बहन को घर से बाहर निकल कर बात करनी पड़ती है। कई बार ऐसी दोस्ती जानलेवा साबित होती है। मैं किसी भी बहन की आजादी के खिलाफ नहीं हूं। जब हम आधी आबादी को बराबर की जिम्मेदारी देना चाहते हैं तो भाई और बहन में फर्क नहीं हो सकता। लेकिन जब सुविधा के ऐसे साधन बहनों को गलत रास्तों पर  ले जाए तो फिर विचार तो होना ही चाहिए। रक्षा बंधन पर्व एक ऐसा अवसर है जब बहनों को उनकी सुरक्षा के बारे में गंभीरता के साथ समझाया जा सकता है। मेरा दावा है कि जो बहनें ना तो गंदे टीवी सीरियल देखती हैं और ना मोबाइल फोन रखती हैं उनका जीवन उन बहनों से बेहतर है जो सीरियलों के साथ-साथ मोबाइल का भी इस्तेमाल करती हैं। यह माना कि शिक्षा के लिए लेपटाप, मोबाइल जैसे साधन जरूरी हो गए है। मगर ऐसे साधनों का उपयोग सिर्फ शिक्षा के लिए ही होना चाहिए। रक्षा बंधन के पर्व पर सिर्फ भाई ही बहनों की रक्षा करने का संकल्प ना ले बल्कि माता-पिता को भी सुरक्षा का संकल्प लेना चाहिए। मैं यह बात विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आज बहनों की रक्षा टीवी और मोबाइल से करने की जरूरत है। कुछ लोगों को मेरी यह बात रूढि़वादी लग सकती है, लेकिन टीवी और मोबाइल से जिन बुराईयों ने जन्म लिया है उस परिपेक्ष्य में देखा जाए तो मेरा यह कथन समाज के लिए सही है। मैं कई मौकों पर यह बात पहले भी लिख चुका हूं कि बहनों को घर-परिवार में भारतीय संस्कृति के अनुरुप रखना चाहिए। घर में एक टीवी हो जिसको परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर देखें। पुत्री अपनी माता और पुत्र अपने पिता के साथ सोए। ऐसा ना हो कि पति-पत्नि अपने बेडरूम में और बेटी और बेटा अपने-अपने स्टडी रूम में अलग-अलग सोए। बहन की रक्षा करने का दायित्व सिर्फ भाई पर ही नहीं है जबकि स्वयं बहन और माता-पिता पर भी है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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