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चीफ जस्टिस अम्बानी ने दिया सख्त आदेश
चीफ जस्टिस सुनील अम्बवानी और जस्टिस अजीत सिंह ने आदेश दिए है कि अजमेर नगर निगम को अवैध कॉम्पलेक्स सीज करने ही होंगे। सीज की कार्यवाही के बाद ही कम्पाउंड का काम किया जा सकता है।
5 अगस्त को रवि नरचल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अम्बवानी ने कहा कि नगर निगम ने जिन 490 कॉम्पलेक्सों के निर्माण को अवैध माना है उन्हें सबसे पहले सीज किया जाना चाहिए। इसके साथ ही जो नए निर्माण अवैध हुए है उनको भी तत्काल सीज किया जाए। सीज की कार्यवाही के बाद कम्पाउण्ड का काम शुरू किया जाए। नियमों के तहत जो निर्माण मंजूर हो सकते हैं उन्हें जुर्माना लेकर स्वीकृति दी जाए, लेकिन जो निर्माण स्वीकृत नहीं हो सकते, उन्हें तत्काल प्रभाव से तोड़ दिया जाए।
डीएलबी के काम पर नाराजगी
चीफ जस्टिस अम्बवानी ने डीएलबी के निदेशक के कामकाज पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब नगर निगम किसी अवैध निर्माण को सीज अथवा तोडऩे की कार्यवाही शुरू करता है तो कॉम्पलेक्स का मालिक डीएलबी के निदेशक से स्टे ले लेता है। स्टे के नाम पर कई वर्ष गुजार दिए जाते है, इतना ही नहीं निदेशक नगर निगम से रिकॉर्ड भी मंगवा लेता है। यह परम्परा पूरी तरह न्याय के विरूद्ध है। अम्बवानी ने अपने आदेश में कहा कि अब डीएलबी के निदेशक को किसी मामले में स्टे देना है तो उसे स्टे का कारण लिखना होगा। इसके साथ ही अगली तिथि पर ही प्रकरण का निस्तारण करना होगा। अजमेर नगर निगम की सीज की कार्यवाही के विरोध में जितने भी मामलों में डीएलबी के निदेशक ने स्टे दे रखे हैं उन सभी मामलों का निस्तारण अगली सुनवाई पर अनिवार्य रूप से हो जाना चाहिए और यदि अगली सुनवाई की तिथि पर निदेशक निस्तारण नहीं करते है तो मेरे इस आदेश से ऐसे सभी मामलो में स्टे खारिज हो जाएगा।
सुनवाई के दौरान महाअधिवक्ता एनएम लोढ़ा ने कहा कि इन दिनों अजमेर में नगर निगम के चुनाव चल रहे है। ऐसे में सीज की कार्यवाही होना कठिन है। इस पर चीफ जस्टिस अम्बवानी ने कहा कि चुनाव के नाम पर अतिक्रमणकारियों को कोई मोहलत नहीं दी जा सकती है। उन्होंने कहा कि निगम को तत्काल हाइकोर्ट के आदेशों की पालना करनी चाहिए।
अवैध कॉम्पलेक्सों के मालिकों की ओर से पैरवी कर रहे वकील दिलीप शर्मा के बीच में बोलने पर भी अम्बवानी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जब महाअधिवक्ता जवाब दे रहे हैं तो बीच में बोलने की जरूरत ही नहीं है। जस्टिस अम्बवानी ने कहा कि न्यायालय को बार काउंसिल ऑफ इंडिया में शिकायत करने के लिए बाध्य न किया जाए। इसके साथ ही एडवोकेट शर्मा से जुड़े सभी प्रकरणों पर सख्त आदेश जारी किए गए।
याचिका का निस्तारण
चीफ जस्टिस अम्बवानी और जस्टिस अजीत सिंह ने इसके साथ ही रवि नरचल की जनहित याचिका का भी निस्तारण कर दिया। खण्डपीठ ने कहा कि आज के आदेश के बाद याचिका पर सुनवाई की कोई गुंजाइश नहीं है। जो आदेश दिया गया है उसकी पालना अजमेर नगर निगम को तत्काल करनी चाहिए।
अम्बवानी के आदेश से अवैध कॉम्प्लेक्स मालिकों को निराशा हाथ लगी है। हाईकोर्ट के आदेशों के विरुद्ध पर सुप्रीम कोर्ट में जाने पर विचार हो रहा है। वहीं जनहित याचिका दाखिल करने वाले नरचल का कहना है कि यदि निगम के कार्यवाही नहीं की तो अवमानना का मामला हाईकोर्ट में दायर किया जाएगा।
(एस.पी. मित्तल)M-09829071511
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