Saturday 8 August 2015

कौन बिगाड़ रहा है नसीराबाद के हालात

भारतीय थल सेना की महत्वपूर्ण छावनी वाला नसीराबाद शहर गत 5 अगस्त से बंद पड़ा है। बेमियादी बंद को खुलवाने के लिए 8 अगस्त को अजमेर की कलेक्टर आरुषी मलिक, एसपी विकास कुमार, एडीएम किशोर कुमार आदि बड़े अधिकारी नसीराबाद पहुंचे और बूचडख़ाना हटाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों से मुलाकात की। लेकिन इस वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकला इसलिए अब 9 अगस्त और उसके आगे भी नसीराबाद बंद रहेगा। इस बीच समिति ने संयोजक मिश्रीलाल जिंदल और उपाध्यक्ष सुनील गदिया भी 6 अगस्त से आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं। इतना ही नहीं जिंदल की पत्नी कृष्णा जिंदल भी आमरण अनशन पर बैठ गई हैं। 8 अगस्त को भी जब प्रशासन और समिति के पदाधिकारियों के बीच वार्ता हो रही थी तब बंद पड़े बाजारों में हजारों लोग रैली निकाल रहे थे। इसमें कोई दो राय  नहीं कि नसीराबाद में चल रहे बूचडख़ानों से आम लोगों का जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। लोगों में इस बात की भी नाराजगी है कि मुस्लिम समाज के लोगों ने सरकारी जगह पर कब्जा कर बूचडख़ाने बना रखे हैं। रोजाना हजारों बेजुबान पशुओं को काटा जाता है। पशुओं का खून नसीराबाद की नालियों में बहता है और पशुओं की खाल और अवशेष इधर-उधर पड़े रहते हैं। एक तरह से पूरा नसीराबाद ही बूचडख़ाना बना हुआ है। यही वजह है कि इस बार नसीराबाद के लोगों ने कमर कस ली है। नसीराबाद के लोगों को राजनेताओं खासकर भाजपा से जुड़े नेताओं के रवैये के प्रति भी नाराजगी है। इस समय अजमेर से भाजपा के सांसद केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री सांवरलाल जाट हैं। जाट चाहें तो प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि जाट अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में ईमानदारी की भूमिका नहीं निभा रहे हैं। जहां तक कांग्रेस के क्षेत्रीय विधायक रामनारायण गुर्जर का सवाल है तो गुर्जर का विधायक होना या ना होना बराबर है। इसे नसीराबाद के लोगों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि राज्य और केन्द्र में भाजपा का शासन होने के बाद बेजुबान पशुओं का कटना बंद नहीं हो रहा है। जहां तक जिला प्रशासन का सवाल है तो वह तमाशबीन बना हुआ है। संघर्ष समिति के प्रतिनिधियों ने बार-बार कहा है कि उन्हें बूचडख़ानों से कोई ऐतराज नहीं है। यदि जिला प्रशासन नसीराबाद शहर के बाहर जमीन आवंटित कर विधिवत बूचडख़ाने चलाना चाहे तो चला सकता है। नसीराबाद के लोगों की मांग तो अवैध बूचडख़ाने हटाने की है और यह मांग भी तब है जब कोर्ट ने आदेश दे रखे हैं। समिति का आरोप है कि जिला प्रशासन न्यायालय की भी अवमानना कर रहा है। असल में पूरे घटनाक्रम को प्रशासन सही तरीके से हैंडिल कर ही नहीं पा रहा है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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