Friday 7 August 2015

दरगाह क्षेत्र के जर्जर भवन भी टूटेंगे

आनासागर को भी कराए अतिक्रमण से मुक्त
राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सुनील अम्बवानी और न्यायाधीश अजीत सिंह की खंडपीठ ने आदेश दिया  है कि अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह के क्षेत्र में जो भी जर्जर भवन हैं, उन्हें भूस्वामी के खर्चे पर तोड़ दिया जाए। ऐतिहासिक आना सागर के भराव क्षेत्र में हुए अतिक्रमणों को भी तीस दिन की अवधि में तोड़ा जाए।
खंडपीठ ने अजमेर निवासी रवि नरचल की जनहित याचिका पर अंतिम आदेश देते हुए नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गहरी नाराजगी जताई है। निगम ने अवैध कॉम्प्लेक्सों  और निर्माणों की 490 सम्पत्तियों की सूची पेश की है। लेकिन इसमें से मात्र एक निर्माण को तोड़ा गया है। 25 सम्पत्ति सीज तथा 83 में न्यायालय ने चार्जशीट पेश की गई है। निगम की कार्यवाही के दौरान ही 9 अवैध निर्माणकर्ता डीएलवी से स्टे ले आए। खंडपीठ ने कहा कि निगम की यह कार्यवाही संतोष जनक नहीं है। आगामी तीस दिनों में निगम को सभी अवैध कॉम्प्लेक्स और निर्माणों को सीज करना है। सीज के बाद ही कम्पाउंड का काम हो और फिर अवैध निर्माण को तत्काल तोड़ दिया जाए। न्यायाधीशों ने कहा कि दरगाह क्षेत्र में जो जर्जर भवन हैं, उन्हें बिना भेदभाव के तत्काल तोड़ा जाए। तोडऩे के खर्चे की वसूली भूस्वामी से की जाए। शहरी क्षेत्र में भविष्य में कोई अवैध निर्माण न हो, इसकी जिम्मेदारी नगर निगम की है। खंडपीठ ने इस बात पर अफसोस जताया कि निगम के अधिकारी होंठ हिलाकर मौखिक तौर पर कहते रहते हैं। जिन अतिक्रमणकारियों ने डीएलवी के निदेशक से निगम के खिलाफ स्टे ले रखा है, उस पर आगामी सुनवाई की तिथि पर निर्णय हो जाना चाहिए। यदि सुनवाई के दिन निर्णय नहीं होता है तो हमारे इस आदेश से स्टे स्वत: ही खारिज हो जाएगा।
आना सागर पर सख्त
न्यायाधीश अम्बवानी और अजीत सिंह ने ऐतिहासिक आनासागर पर सख्त रुख अपनाते हुए आदेश दिए कि आना सागर की परिधि और उसके बाद 250 मीटर क्षेत्र में जो भी निर्माण हो रखे हें, उन्हें तत्काल प्रभाव से तोड़ दिया जाए। उन्होंने कहा कि जब आना सागर के सम्पूर्ण भराव क्षेत्र को नो-कंस्टे्रक्शन जोन घोषित कर रखा है तो फिर अभी तक भी निर्माण कैसे बने हुए हैं। आदेश में कहा गया कि आना सागर की चार दीवारी बनाई जाए ताकि कोई भी व्यक्ति निर्माण नहीं कर सके। हाईकोर्ट के इस आदेश से आना सागर के किनारे बनी करणी विहार कॉलोनी एवं अन्य आवासीय कालोनियों पर तलवार लटक गई है। इसी प्रकार गोविंदम् समारोह स्थल, वृंदावन रेस्टोरेंट आदि व्यावसायिक संस्थानों के टूटने की नौबत आ गई है।
होटल और कॉम्प्लैक्सों पर भी गिरेगी गाज
खंडपीठ ने इन अवैध कॉम्प्लैक्सों के मालिकों के प्रति भी सख्त रुख अपनाया जो राहत  प्राप्त करने के लिए न्यायालय में आए थे। न्यायाधीशों ने कहा कि केसरगंज क्षेत्र में जगदीश चन्द्र अग्रवाल प्रकाशचंदवानी, अशोक डंडवानी, शिवम खेमानी आदि ने जो भूमि खरीदी उस पर 41 फिट ऊंचा कॉम्प्लेक्स बनाने की अनुमति निगम ने दी थी, लेकिन आज मौके पर 51 फिट ऊंचा कॉम्प्लेक्स बना हुआ है। निगम को चाहिए कि कॉम्प्लेक्स के अवैध निर्माण को तत्काल तोड़ दे। इसी प्रकार नगर निगम के सामने चूड़ी बाजार में चन्द्रशेखर राठौड़ व सुधा राठौड़ द्वारा बनाई गई होटल अजमेर इन, केसरगंज में दौलत और सुरेश की ममता साड़ी संस्थान, अशोक कुमार करमचंदानी ने स्टार मैरीज गार्डन, लोहागल रोड पर महेश तेजवानी की होटल आदि के संबंध में भी खंडपीठ ने सीज करने के आदेश जारी किए।
कोई भी दर्ज करवा सकता है अवमानना का मामला
खंडपीठ ने रवि नरचल की जनहित याचिका का तो निस्तारण कर दिया, लेकिन साथ ही अपने आदेश में लिखा कि यदि नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण न्यायालय के आदेशों की पालना नहीं करते हैं तो अजमेर का कोई भी नागरिक न्यायालय की अवमानना का मामला उच्च न्यायालय में दर्ज करवा सकता है। न्यायालय के इस आदेश से अतिक्रमणकारियों, अवैध कॉम्प्लेक्स मालिकों, जर्जर भवन स्वामियों आदि में हड़कंप मचा हुआ है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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