Wednesday 23 September 2015

आर.के.मार्बल के 25 ठिकानों पर आयकर के छापे। चर्चाओं का बाजार गर्म।

देश के सुप्रसिद्ध आर.के.मार्बल संस्थान के 25 से भी ज्यादा ठिकानों पर 23 सितम्बर को आयकर विभाग ने छापामार कार्यवाही की है। संस्थान के मालिक अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी और विमल पाटनी के साथ-साथ उनके सीए सुभाष अग्रवाल, सी.एम.अग्रवाल, पवन बाकलीवाल, आर.के.गुप्ता आदि के दफ्तरों निवास और अन्य स्थानों पर दस्तावेजों की छानबीन की है।
घोटाले का हो सकता है असर:
एसीबी ने अभी हाल ही में जो खान आवंटन और घूसखोरी का मामला उजागर किया, उसी की जांच में आर.के.मार्बल का नाम भी सामने आना बताया जा रहा है। खान विभाग के प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी और आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी की गहरी मित्रता उजागर हुई है। आरोप है कि अशोक सिंघवी को रिश्वत देकर खाने आवंटित करवाई जाती है। एसीबी ने पिछले दिनों रिश्वत की पांच करोड़ रुपए की राशि बरामद भी की है। एसीबी ने सिंघवी सहित खान विभाग के अतिरिक्त निदेशक पंकज गहलोत सहित आठ लोगों को पकड़ रखा है। एसीबी ने रिश्वतखोरी की जो जांच की उसी में आर.के.मार्बल संस्था का नाम सामने आया है। जानकारों की माने तो एसीबी को अशोक सिंघवी से भी बड़े घोटाले उजागर होने की उम्मीद है। इस कार्यवाही से देश के मार्बल उद्योग में खलबली मच गई है। संयुक्त टीम ने आर.के.मार्बल के दिल्ली, मुम्बई, अहमदाबाद, भोपाल, जयपुर, किशनगढ़, चित्तौड़, उदयपुर, राजसमंद व बांसवाड़ा आदि स्थानों पर कार्यवाही को अंजाम दिया है। अशोक पाटनी के राजनीतिक प्रभाव को देखते हुए कार्यवाही के समय बड़ी संख्या में सशस्त्र पुलिस बल को तैनात किया गया। संयुक्त टीम ने छापे की कार्यवाही को पूरी तरह गोपनीय रखा।
वंडर सीमेंट को हुआ खान का आवंटन:
अशोक पाटनी के मालिकाना हक वाली मैसर्स वंडर सीमेंट लिमिटेड को नियमों के विरुद्ध 255 हैक्टेयर खनन भूमि का आवंटन राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने गत मार्च माह में किया। इतनी बड़ी खनन भूमि चित्तौड़ जिले के कारुंदा गांव में दी गई। इस खनन भूमि का आवंटन सरकार की खान नीति की घोषणा से पांच दिन पहले किया गया। सरकार ने वंडर सीमेंट को ही नहीं बल्कि इमामी सीमेंट, लाफार्ज व श्रीसीमेंट को भी खनन भूमि का आवंटन किया। एसीबी की जांच में यह सामने आया है कि प्रमुख शासन सचिव अशोक सिंघवी ने खानों का आवंटन रिश्वत लेकर की किया है। मार्च माह में जब इन सीमेंट कंपनियों को गुपचुप तरीके से आवंटन किया गया था, तब वसुंधरा राजे सरकार ने विरोध को दबा दिया। चूंकि ये चारों सीमेंट कंपनियां मीडिया में भी विज्ञापन देती है, इसलिए मीडिया ने भी आवंटन में हुए घोटाले को प्रकाशित और प्रसारित प्रमुखता के साथ नहीं किया।
आईजी एन.एम.दिनेश की भूमिका:
23 सितम्बर को आर.के.मार्बल पर छापामार कार्यवाही में एसीबी के आईजी एन.एम.दिनेश की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है। एन.एम.दिनेश वहीं है जिन्होंने आर.के.मार्बल के मालिकों के चक्कर में 7 वर्ष जेल में काटे हैं। दिनेश जब उदयपुर के एसपी थे, तब आर.के.मार्बल के मालिक अशोक पाटनी को उदयपुर के आदतन अपराधी सोराबुद्दीन की ओर से जान से मारने की धमकी मिली थी। इस धमकी का ऐसा चक्र घूमा कि सोराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति का एनकांउटर हो गया। इस एनकाउंटर के लिए दिनेश को जेल जाना पड़ा। यह बात अलग है कि इसी एनकाउंटर में अशोक पाटनी के भाई विमल पाटनी का नाम भी आया था, लेकिन विमल पाटनी को एक दिन भी जेल में नहीं रहना पड़ा।
छापे की कार्यवाही पर आश्चर्य:
23 सितम्बर को आर.के.मार्बल पर जो छापामार कार्यवाही हुई, उस पर राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। सब जानते हैं कि प्रदेश और केन्द्र में सरकार किसी की भी हो, लेकिन अशोक पाटनी का दबदबा हर सरकार में रहता है। राजस्थान के मुख्यमंत्री के पद पर चाहे कांग्रेस के अशोक गहलोत हो या भाजपा की वसुंधरा राजे। हर सीएम को अशोक पाटनी के किशनगढ़ स्थित आर.के.मार्बल संस्थान में आकर नमक खाना ही पड़ता है। इसी प्रकार केन्द्र के अधिकांश मंत्री भी अशोक पाटनी के तलुए चाटते देखे गए हैं। केन्द्र में यूपीए के शासन में जब वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने राजस्थान से राज्यसभा का चुनाव लड़ा, तब आर.के.मार्बल संस्थान की ओर से अखबारों में विज्ञापन दिए गए। यही वजह है कि ताजा छापेमारी पर आश्चर्य हो रहा है। चर्चा इस बात की है कि आर.के.मार्बल के ठिकानों को ठिकाने लगाने का निर्णय सरकार के किस स्तर पर हुआ है। अब उन चर्चाओं को ओर बल मिला गया है, जिनमें कहा जा रहा है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के निर्देश के बाद ही राजस्थान में खान घोटाला उजागर किया गया। हालांकि प्रदेश के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने ऐसी चर्चाओ को खारिज कर दिया, लेकिन आर.के.मार्बल पर हुई कार्यवाही से उन्हीं चर्चाओं को बल मिलता है। राजस्थान के जिन खानमंत्री राजकुमार रिंणवा के आदेश से आर.के.मार्बल को वंडर सीमेंट के लिए 255 हैक्टेयर खान भूमि मिली, क्या वहीं रिंणवा की सरकार छापा डलवा सकती है? खैर जिस भी स्तर पर आर.के.मार्बल के खिलाफ कार्यवाही हुई, वह स्तर ईमानदार माना जाएगा। अब यह अशोक पाटनी को सोचना है कि सरकार का कौनसा स्तर ईमानदार रह गया।
पाटनी बंधु जैन संत की शरण में:
आर.के.मार्बल और वंडर सीमेंट के मालिक अशोक पाटनी, सुरेश पाटनी और विमल पाटनी इन दिनों जैन संत विद्यासागर महाराज की शरण में है। पाटनी बंधु प्रति वर्ष जैन समाज के क्षमावणी पर्व के अवसर पर जैन संत को संरक्षण में ही होते हैं। पाटनी बंधु जैन संतों के प्रति बेहद श्रद्धाभाव रखते हैं। विद्यासागर महाराज मध्य प्रदेश में विराजमान है।
किशनगढ़ में फैक्ट्रियां ठप:
आर.के.मार्बल संस्थान पर देशव्यापी छापामार कार्यवाही से किशनगढ़ के मार्बल उद्योग पर भी असर पड़ा है। छापे की जानकारी जैसे ही मिली। वैसे ही अधिकांश फैक्ट्रियों में कामकाज ठप हो गया। मार्बल व्यावसायी छापे की अधिक से अधिक जानकारी लेने में जुट गए। मालूम हो कि आर.के.मार्बल की खदानों से जो मार्बल पत्थर निकलता है, उसे रियायती दर पर किशनगढ़ के फैक्ट्री मालिकों को दिया जाता है। आर.के. का मार्बल लेने के लिए फैक्ट्री मालिक एप्रौच भी लगाते हैं, यही वजह है कि अनेक फैक्ट्रियां आर.के. रहमो करम पर ही है।
पीरदान की बददुआएं:
आर.के.मार्बल के मालिकों पर कोईआरोप साबित होते हैं या नहीं, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल जो मुसीबत आई है, उसमें पीरदान राठौड़ की बददुआएं शामिल हो सकती हैं। राठौड़ पूर्व में अशोक पाटनी के सहयोगी रहे थे। राठौड़ के अनेक ट्रोलों से ही पाटनी का मार्बल राजसमंद से किशनगढ़ तक आया था। अब पीरदान संड़क पर है, उसके सारे ट्रॉले बिक गए हैं और उसे जीवन यापन करने की समस्या भी खड़ी हो गई है। पीरदान का आरोप है कि आर.के.मार्बल के अत्याचारों की वजह से उसकी व परिवार की दुर्दशा हुई है। पीरदान कलेक्ट्रेट के बाहर फुटपाथ पर बैठ कर आर.के.मार्बल के अत्याचारों के खिलाफ अकेले ही धरना दे रहा है। पुलिस ने पीरदान की दोनों पुत्रियों और एक पुत्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। हालांकि छापेमारी कार्यवाही में पीरदान की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन पीर दान की ईश्वर ने तो सुनी ही होगी।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

1 comment: