अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आर.के.मार्बल संस्थान पर 23 सितम्बर को आयकर विभाग ने जो छापामार कार्यवाही की, उसको लेकर मीडिया का क्या रुख रहा है, उसे 24 सितम्बर को पाठकों ने देख लिया। जो अखबार मालिक ईमानदार पत्रकारिता का दावा करते हैं, उनके अखबार में यह पता ही नहीं चला कि आर.के.मार्बल पर छापा पड़ा या नहीं। किसी ने नाम छापा तो किसी ने बगैर नाम के ही खबर लगा दी। टीवी चैनलों का रवैया भी कुछ ऐसा ही रहा। जिन चैनलों पर वंडर सीमेंट के विज्ञापन चले या चल रहे हैं, उन्होंने छापे की खबर एक बार भी नहीं चलाई। खैर यह मीडिया का अपना मामला है। लेकिन 23 सितम्बर को आर.के.मार्बल को लेकर सोशल मीडिया पर मैंने जो ब्लॉग पोस्ट किया, उसकी चर्चा देशभर में हुई। मुझे किशनगढ़ से लेकर कोलकाता और दिल्ली, मुम्बई तक से फोन आए। मैं स्वयं ही वाट्स एप पर 250 ग्रुप से जुड़ा हुआ हंू। लेकिन मुझे बताया गया कि आर.के.मार्बल की खबर सैकड़ों ग्रुप में अलग से पोस्ट की गई। यानि सोशल मीडिया ने टीवी चैनलों एवं आखबारों की कमी को पूरा कर दिया। मेरे ब्लॉग और फेसबुक पर अधिकतर पाठकों ने छापे की कार्यवाही की प्रशंसा की है, जबकि कुछ लोगों ने नाराजगी भी जताई है। सभी प्रतिक्रियाएं देखी जा सकती हैं। मैंने अपना कार्य किया है, जिसे मैं आगे भी ईमानदारी और निडरता के साथ जारी रखूंगा। मैं यहां एक बात और कहना चाहता हंू कि बहुत से ब्लॉगर मेरी पोस्ट को चुरा कर अपने नाम से पोस्ट कर रहे हैं। ऐसे लोग अपने दिल पर हाथ रख कर बताएं कि क्या यह उचित है? जो आपने लिखा ही नहीं, उसे अपने नाम से लिखा हुंआ मानकर पोस्ट करना, क्या शर्मिंदगी वाला काम नहीं है। मैंने देखा कि एक महिला ने जब फेसबुक पर आर.के.मार्बल की मेरी खबर अपने नाम से पोस्ट की उस महिला को ढेर सारी प्रशंसा मिली। क्या ऐसी प्रशंसा की वो हकदार है? मैं मेरी खबर लेने के खिलाफ नहीं हंू। अच्छा तो कि मेरी खबर में मेरा नाम रहने दिया जाए। और नाम हटाया जाता है तो कम से कम स्वयं का फर्जी नाम न लगाया जाए। उम्मीद है कि खबर चुराने वाले मेरी भावनाओं को समझेंगे।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
Thursday 24 September 2015
आर.के.मार्बल, मीडिया और मेरा ब्लॉग
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