यह सवाल इसलिए उठा है कि पुलिस को अभी तक भी ऐसा कोई सूत्र हाथ नहीं लगा है, जिसके जरिए आनंदपाल तक पहुंचा जा सके। कुख्यात अपराधी आनंदपाल गत 3 सितम्बर को पुलिस पर हमला कर फरार हो गया था। यह तब हुआ, जब उसे नागौर के डीडवाना के न्यायालय से वापस अजमेर जेल लाया जा रहा था। पुलिस ने 15 सितम्बर को जिन चार व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है,वो तो पहले दिन से ही पुलिस की हिरासत में थे। 16 सितम्बर से शुरू हुए विधानसभा सत्र में सरकार ने अपनी नाकामयाबी को छिपाने के लिए एक दिन पहले हिरासत को गिरफ्तारी में बदल दिया। सरकार और पुलिस के आलाधिकारी कह रहे हैं कि इन चार व्यक्तियों की गिरफ्तारी से आनंदपाल जल्द पकड़ा जाएगा। जिस पुलिस कमांडो शक्ति सिंह को महत्त्वपूर्ण सूत्र माना जा रहा है। वह शक्ति सिंह तीन सितम्बर से ही पुलिस की गिरफ्त में है। यदि शक्ति सिंह को कोई सुराग उगलना होता तो वह उगल देता। यह वही शक्ति सिंह है, जिस पर आनंदपाल के समर्थकों ने जाते वक्त फायरिंग की थी। इसके अतिरिक्त पुलिस ने अजमेर के गंज थाने के अदातन अपराधी केसर सिंह को गिरफ्तार किया है। केसर सिंह भाजपा के एक प्रभावशाली नेता का गुर्गा है। इसी प्रकार महेन्द्र सिंह तो आनंदपाल का ही रिश्तेदार है। पुलिस ने उस निर्मल सिंह को भी गिरफ्तार दिखा दिया है, जिसने आनंदपाल के सुरक्षा कर्मियों को बेहोशी वाली मिठाई खिलाई थी। लेकिन पुलिस ने उन आधा दर्जन बदमाशों में से एक की भी गिरफ्तारी नहीं की है, जो दिन दहाड़े कड़ी सुरक्षा के बीच आनंदपाल को छुड़ा कर ले गए। पुलिस के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी कि अभी तक उस स्टेशन वेंगन वाहन का भी पता नहीं चला है, जिसमें भरकर आनंदपाल के समर्थक वारदात स्थल पर आए थे। यूं दिखाने के लिए गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से लेकर एडीजीपी एन.आर.के.रेड्डी तक अजमेर आ गए हैं। गृह सचिव ए.मुखोपाध्याय और प्रमुख शासन सचिव दीपक उप्रेती को भी जांच के नाम पर अजमेर नागौर लाया गया है, लेकिन सरकार और पुलिस की लाख कोशिश के बाद भी आनंदपाल को पकडऩे के लिए कोई सूत्र नहीं मिला है। इससे राजस्थान पुलिस की योग्यता का अंदाजा लगता है। यदि आनंदपाल अकेले फरार हो जाता तो माना जा सकता है कि वह किसी गुफा में जाकर छिप गया है, लेकिन आनंदपाल तो अपने साथ दो और कैदियों को ले गया। आधा दर्जन समर्थक आनंदपाल के साथ पुलिस की दो एके-47 राइफल भी छीन कर ले गए। पुलिस अभी तक उन अपराधियों की भी पहचान नहीं कर सकी है, जो आनंदपाल को अपने साथ ले गए। पुलिस अधिकारी माने या नहीं, लेकिन साफ लगता है कि सरकार की ताकत से ज्यादा एक कुख्यात अपराधी की ताकत है। सरकार को अपनी पुलिस की विफलता पर अफसोस होना ही चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
Wednesday 16 September 2015
क्या आनंदपाल पुलिस की पकड़ से बाहर हो गया है।
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