Wednesday 2 September 2015

मोदी जी देश के युवाओं को आपसे ही उम्मीद, भ्रष्टाचार मिटाने पर खरे उतरना

पीएम नरेन्द्र मोदी यदि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर देश के युवाओं की राय जानना चाहते हैं तो उन्हें मेरा यह ब्लॉग गंभीरता के साथ पढऩा चाहिए। दो सितम्बर को देश के प्रमुख शिक्षण संस्थान मेया गल्र्स स्कूल अजमेर में हिन्दी वाद-विवाद प्रतियोगिता हुई। इस प्रतियोगिता में देशभर के पब्लिक स्कूलों के विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। इस प्रतियोगिता में मुझे भी निर्णायक के तौर पर बुलाया गया। मुझे यह उम्मीद नहीं थी कि दसवीं और बारहवीं में पढऩे वाले विद्यार्थी देश की राजनीति और ताजा हालातों के बारे में इतनी समझ रखते हैं। प्रतियोगिता का विषय था -भ्रष्टाचार मुक्त भारत महज एक नारा है। मोदी जी इस विषय के पक्ष और विपक्ष में युवाओं को अपने तर्क रखने थे। मोदी जी आपको यह जानकार खुशी होगी कि इस विषय के विरोध में जिन युवाओं ने अपने तर्क रखे, उन सभी ने माना कि नरेन्द्र मोदी भारत को भ्रष्टाचार मुक्त कर सकते हैं। युवाओं का तर्क था कि कोयला खदानों की नीलामी और स्क्रेपटम की बिक्री में आपने यह साबित कर दिया कि यदि ईमानदारी के साथ काम हो तो सरकार की आय बढ़ सकती है। युवाओं ने कहा कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मोदी ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत का नारा दिया था। इस नारे पर भरोसा कर ही मोदी की भाजपा को सरकार बनाने के लिए पूर्ण बहुमत दिया। युवाओं ने यह भी कहा कि यूपीए की सरकार में आए दिन घोटाले उजागर हो रहे थे, लेकिन मोदी की सरकार में कोई घोटाला सामने नहीं आया है। युवाओं ने यह भी माना कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सरकार के साथ आम नागरिक को भी सहयोग करना चाहिए। जो लोग यह कहते है कि भ्रष्टाचार मिट नहीं सकता, उन्हें यह समझना चाहिए कि भ्रष्टाचारी चीन और पाकिस्तान से नहीं आए। भ्रष्टाचारी तो इस देश के ही है। मोदी जी प्रतियोगिता के हर युवा ने यह माना यदि सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार समाप्त हो जाए तो फिर नीचे के स्तर पर भी भ्रष्टाचार को मिटाया जा सकता है और यह कार्य आप यानी नरेन्द्र मोदी प्रभावी तरीके से कर सकते हैं। जब हम अंग्रेजों से सत्ता छीनकर आजाद हो सकते हैं तो भ्रष्टाचार क्यों नहीं मिटा सकते। भारत में तो राजा हरीशचंद्र जैसे लोग हुए है जो ईमानदारी की मिसाल हैं। पृथ्वीराज चौहान नेत्रहीन होने के बाद भी जब मोहम्मद गौरी को मौत के घाट उतार सकते हैं तो क्या हम भ्रष्टाचार को समाप्त नहीं कर सकते। युवाओं ने यह भी माना कि आपने विदेशों में भारत का रूतबा बढ़ाया है।
मोदी जी विरोध भी सुनो:-
प्रतियोगिता में जिन युवाओं ने पक्ष में विचार रखे उन्होंने देश की ताजा स्थिति को तर्कपूर्ण तरीके से रखा। युवाओं ने जिस समझपूर्ण ढंग से अपने विचार रखे, उस पर पीएम मोदी को सोचना चाहिए। अब की बार मोदी सरकार के नारे का हवाला देते हुए युवाओं ने जानना चाहा कि क्या मोदी सरकार के शासन में भ्रष्टाचार मिट गया? राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे और आईपीएल के पूर्व कमीश्नर ललित मोदी को लेकर जो कुछ भी हुआ, उससे मोदी सरकार की छवि न केवल खराब हुई, बल्कि लोगों का भरोसा भी कम हुआ। विपक्ष में रहते हुए मोदी कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के जो आरोप लगाए थे वैसे ही आरोप ललित मोदी और वसुंधरा राजे के बीच हुए 12 करोड़ के लेनदेन के थे, लेकिन मोदी ने राजे के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। मोदी जी युवाओं को यह भी पता है कि अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आपने बाबा रामदेव की पतंजलि योग पीठ को 151 जिलों में एक-एक लाख रुपए अनुदान दिया। इतना ही नहीं उद्योगपति और आपके मित्र मुकेश अम्बानी को लाभ पहुंचाने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया। युवाओं ने कहा कि कथनी-करनी में अंतर नहीं होना चाहिए। उन्होंने जानना चाहा कि जब एक सांसद अपने चुनाव पर दस से बीस करोड़ रुपए खर्च करता है, तब भ्रष्टाचार कैसे मिट सकता है। युवाओं ने शिक्षण संस्थानों को भी नहीं बख्शा। पब्लिक स्कूलों को लूट का अड्डा बताते हुए युवाओं ने कहा कि बिना डोनेशन के एडमीशन नहीं होता। युवाओं ने न्याय पालिका को भी नहीं बख्शा। पंजाब हाईकोर्ट के एक जज के घर से 50 लाख रुपए बरामद होने का मामला भी उठाया गया। युवाओं ने मीडिया की भी आलोचना भी की और कहा कि मीडिया बिका हुआ है। जो संस्थान और सरकार विज्ञापन देती है उसी के अनुरूप खबरें चलाई जाती हैं। सरकारी नौकरी में 35 वर्ष तक काम करने के बाद पेंशन मिलती है लेकिन सांसद और विधायकों को पांच वर्ष बाद ही पेंशन मिलने लग जाती है। सरकारी कर्मचारी और अधिकारी रिश्वत के बिना काम ही नहीं करते। एक बार सांसद और विधायक बनने के बाद पांच वर्ष एक मतदाताओं का शोषण किया जाता है। युवाओं ने पश्चिम बंगाल की सी.एम. ममता बनर्जी के शारदा घोटाले, तमिलनाडु की सी.एम. जयललिता के भ्रष्टाचार के बारे में भी जानकारी दी। वहीं दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल की सरकार की प्रशंसा और आलोचना भी की। दिल्ली की जनता ने 49 दिन की केजरीवाल सरकार के कामकाज को देखते हुए भी दूसरी बार 70 में से 67 विधायक केजरीवाल के जितवाए लेकिन अब केजरीवाल सरकार के चार-चार मंत्री, विधायक जेल में बंद हैं।
इन विद्यार्थियों ने लिया भाग:-
प्रतियोगिता में मेयो गल्स कॉलेज की छात्रा अनुष्का खन्ना, राधिका जोशी व शमिष्ठा रानावत, जेनेसिस ग्लोबल स्कूल नोएडा के छात्र विश्वजीत नेहरा, अनावी बग्गा, भाविल गुप्ता, संस्कार वैली स्कूल भोपाल के छात्र आदित्य जैन, ईशान पाहवा, अवि वधवा, जोधामल स्कूल जम्मू के छात्र मोहित शर्मा, मुस्कान बुद्धि व शिवम, शेरवुड स्कूल नैनीताल के छात्र प्रियांशु अग्रवाल, समर्थ कोदेसिया, अपूर्व शाह, महाराज सवाई मानसिंह स्कूल जयपुर के छात्र श्रेयांश जैन, श्रेयांश शर्मा, लावण्या मेगन, एल.के. सिंघानिया एज्युकेशन सेन्टर गोटन की छात्रा सेजल जैन, रविजा भारद्वाज, जयप्रकाश मून्दड़ा आदि शामिल थे। प्रतियोगिता को सफल बनाने में मेयो गल्र्स कॉलेज स्कूल की हिन्दी विभाग की अध्यक्ष श्रीमती आशा भंडारी, शिक्षिका श्रीमती कुन्दन सिंह, माधुरी वर्मा, लतारानी गर्ग, सुदीप्ती आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई।
युवा क्या सीख लें:-
प्रतियोगिता की समाप्ति पर मुझे भी युवाओं को संबोधित करने का अवसर मिला। मैंने भी यह उम्मीद जताई कि भारत को भ्रष्टाचार मुक्त करने के लिए मोदी सरकार प्रयास तो कर रही है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्रीय मंत्री और राज्यों में बैठे मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अभी दृढ़ संकल्प नहीं हैं। इसीलिए संसद का मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया। संसद में सांसदों ने जिस तरह से आचरण किया उससे देश का युवा अपने जनप्रतिनिधि से क्या सीख लें? हम स्कूल कॉलेज में युवाओं से तो अनुशासन की उम्मीद करते हैं, लेकिन जिस संसद में देश की नीतियां तय होती है, उस संसद में हमारे ही सांसद हंगामा करते हैं। ऐसे जनप्रतिनिधियों पर युवाओं को शर्म आती है। इससे यदि सत्ता में बैठे लोगों को कोई सबक लेने की जरूरत हो तो अवश्य लेनी चाहिए। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में सुप्रसिद्ध साहित्यकार और लेखक उमेश चौरसिया, वरिष्ठ पत्रकार संतोष गुप्ता तथा रीजनल कॉलेज के व्याख्याता आयुष्मान गोस्वामी थे।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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