Monday, 21 September 2015

क्या गुलाब कोठारी से चर्चा के बाद दिया मोहन भागवत ने आरक्षण पर बयान

राजस्थान के सबसे बड़े अखबार पत्रिका के 21 सितम्बर के अंक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत का आरक्षण के बयान प्रकाशित हुआ है। प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित इस बयान में कहा गया कि आरक्षण  पर एक गैर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की कमेटी बनाई जाएं। यह कमेटी आरक्षण की उपयोगिता पर नए सिरे से विचार करें भागवत ने यह बयान 20 सितम्बर को जोधपुर में स्वयंसेवकों की एक सभा को संबोधित करते हुए दिया। पत्रिका में भागवत के इस बयान के साथ ही भागवत और कोठारी में हुई थी चर्चा शीर्षक से एक और खबर प्रकाशित की गई है। इस खबर में बताया गया कि पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने गत 15 सितम्बर को जयपुर में भागवत से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में ही आरक्षण सहित देश के अन्य मुद्दों पर दोनों में चर्चा हुई। इस खबर का निष्कर्ष यह रहा कि कोठारी के साथ जो चर्चा हुई थी उसी के अनुरुप 20 सितम्बर को भागवत ने आरक्षण पर बयान दिया। इसमें कोई दोराय नहीं कि गुलाब कोठारी न केवल एक सफल संपादक बल्कि विद्वान भी है। ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि जब अखबार का मालिक ही संपादक का काम करता हो। अपनी बेबाक लेखनी की वजह से कई बार कोठारी और पत्रिका के परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन मेरा ऐसा मानना है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपनी सोच और विचार किसी के कहने और सुनने से नहीं बनाता, देशहित में संघ का अपना विचार है। जयपुर में गत 12 और 13 सितम्बर को संघ की ओर से देशभर के ब्लॉगर और स्तम्भ लेखकों की एक संगोष्ठी हुई थी। इस संगोष्ठी में मैंने भी भाग लिया। संगोष्ठी के अंतिम दिन 13 सितम्बर को भागवत ने देश की प्रमुख समस्याओं ओर मुद्दो पर अपने विचार रखे। भागवत और संघ के इन विचारों को मैंने 14 और 15 सितम्बर के चार ब्लॉग में विस्तार के साथ लिखा है। 15 सितम्बर को पोस्ट हुए मेरे एक ब्लॉग का शीर्षक था संघ प्रमुख भागवत मानते है गांव बनने चाहिए स्मार्ट/ आरक्षण पर बने गैर राजनीतिक प्रतिनिधियों की कमेटी। इस ब्लॉग में मैंने वही लिखा जो भागवत ने 20 सितम्बर को जोधपुर में कहा। इससे यह प्रतीत होता है कि संघ का विचार और नीतियां पहले से ही निर्धारित होती है। मेरी यह पोस्ट spmittal.blogspot.in पर आज भी पढ़ी जा सकती है। मैं कोई श्रेय नहीं लेना चाहता लेकिन इस मौके पर यह बताना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र में चलने वाली सरकार भी संघ के विचारों का अनुसरण करती है। संघ के विचार जन भावनाओं से जुड़े होते है। 15 सितम्बर को ही पोस्ट ब्लॉग में शहर के बजाय गांव को स्मार्ट बनाने के बारे में लिखा गया था। दो दिन बाद की जब केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई तो स्मार्ट विलेज का निर्णय लिया गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि जब गांव स्मार्ट हो जाएंगे तो शहरों पर बोझ कम होगा।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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