Thursday 24 September 2015

काश! फोर्टिस के अस्पतालों में गरीबों का इलाज हो पाता।

मानव सेवा से ही मिलेगी मन की शांति।
मीडिया में जोर शोर से यह प्रसारित हो रहा है कि फोर्टिस अस्पतालों के मालिक सरदार शिविंदर सिंह अरबों की सम्पत्ति का त्याग कर एक जनवरी 2016 से राधा स्वामी सत्संग व्यास से जुड़ रहे हैं। इस धार्मिक संस्थान में शिविंदर सिंह की क्या भूमिका होगी, यह आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन सवाल उठता है कि क्या शिङ्क्षवदर को राधा स्वामी संस्थान में मन की शांति मिलेगी? इसमें कोई दो राय नहीं कि लाखों श्रद्धालु राधा स्वामी सत्संग में शांति की तलाश करते हैं, लेकिन शिङ्क्षवदर तो अपने ऐसे संस्थान को छोड़कर जा रहे हैं, जहां सही मायने में मन की शांति मिल सकती है। सभी धर्मों में मानव सेवा को ही भगवान की सेवा माना गया है। शिविंदर भी जानते हैं कि उनके फोर्टिस अस्पतालों में धनवान व्यक्ति ही इलाज करवा सकता है। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार के लोग तो फोर्टिस अस्पताल की ओर देख भी नहीं सकते हैं। धनवानों का इलाज करते हुए ही शिविंदर आज तीस से भी ज्यादा अस्पतालों के मालिक हैं तथा उनके पास अरबों रुपए की सम्पत्ति है। अच्छा होता कि शिविंदर ऐसी योजना बनाते, जिससे फोर्टिस अस्पतालों में गरीबों का भी इलाज हो पाता। यदि शिविंदर ऐसा करते हैं तो गरीब आदमी तो उन्हें जीते जी भगवान मान लेगा। जिस गरीब को फोर्टिस में नई जिन्दगी मिल जाएगी, वह तो शिविंदर को भगवान ही मानेगा। और जब हजारों गरीब लोग शिविंदर को दुआएं देंगे तो फिर उन्हें मन की शांति के लिए इधर-उधर भटकने की जरुरत नहीं होगी। फोर्टिस अस्पताल सिर्फ धनवानों के लिए बना रहे और शिविंदर मन की शांति तलाशे, ऐसा संभव नहीं होगा। जो मध्यम वर्गीय परिवार फोर्टिस में इलाज करवाता है, वह फोर्टिस के मालिकों को कभी भी दुआएं नहीं देता। गरीब क्या देता है, यह फोर्टिस के डॉक्टरों और कर्मचारियों को अच्छी तरह पता है। शिविंदर अभी तो मात्र 40 वर्ष के ही हैं। यदि इस उम्र में अपने अस्पतालों में मानव सेवा का प्रण ले लिया तो अगले दस वर्षों में ही शिविंदर अपने आप भगवान बन जाएंगे या यंू कहे कि गरीबों की दुआओं से शिविंदर को ऐसी मन की शांति मिलेगी, जिसका अनुसरण करने के लिए अन्य लोग भी उत्सुक रहेंगे। मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि वह शिविंदर को फोर्टिस अस्पतालों को नहीं छोडऩे दे, बल्कि शिविंदर को इतनी अक्ल और ताकत दे कि वे गरीबों का नि:शुल्क या रियायती दर पर इलाज करवा सके। यदि शिविंदर रोजाना सौ या दो सौ मरीजों का इलाज नि:शुल्क करवा देंगे तो फोर्टिस का खजाना खाली नहीं होगा। शिविंदर के पास तो मन की शांति बांटने का खजाना है। समझ में नहीं आता कि वे किस शांति की तलाश में जा रहे हैं। मेरा शिविंदर से भी आग्रह है कि वे एक बार मानव सेवा भी करके देंखे। जो वे चाहते हैं, अवश्य मिलेगा। जहां तक शिविंदर की वर्तमान घोषणा का सवाल है तो वे अस्पतालों की बागडोर अपनी पत्नी और चार बच्चों को सौंपकर जा रहे हैं। शिविर के बड़े भाई मलविंदर सिंह और उनका परिवार भी फोर्टिस को और बढ़ाने के लिए तैयार है। यानि शिविंदर के बाद भी फोर्टिस के अस्पताल सोना-चांदी कूटते रहेंगे।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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