Monday 21 September 2015

यह सद्भावना बिगाडऩे की कोशिश है।

ख्वाजा साहब की दरगाह में नहीं मिले बम
21 सितम्बर को मुस्लिम माह जिल हज्जा की छठी पर जब सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन की दरगाह में हजारों जायरीन मौजूद थे, तब किसी शरारती व्यक्ति ने अजमेर पुलिस के कंट्रोल रूम के 100 नम्बर पर सूचना दी कि दरगाह परिसर में जिंदा बम रखे गए हैं। यह सूचना एक बार नहीं, बल्कि दो बार दी गई। कंट्रोल ने रूम इस सूचना को तत्काल पुलिस अधीक्षक विकास कुमार को दी गई। चूंकि मुस्लिम माह की हर छह तारीख को दरगाह में जियारत का खास धार्मिक महत्त्व होता है, इसलिए इस दिन सामान्य से ज्यादा जायरीन आते हैं। हर छठी पर प्रात: 9 बजे धार्मिक रस्में दरगाह में शुरू होती है। इसलिए जायरीन बड़ी संख्या में देर रात को ही दरगाह में आकर बैठ जाते हैं। 21 सितम्बर को प्रात: 6:20 पर बम की सूचना आई तो जायरीन की इतनी भीड़ में बम ढूंढना पुलिस के लिए चुनौती पूर्ण  काम था। एक बार तो पुलिस अधिकारियों के हाथ-पांव भी फूल गए। एसपी ने बम की सूचना की जानकारी तुरंत डीजी मनोज भट्ट को दी। उच्चस्तरीय विचार विमर्श के बाद निर्णय लिया गया कि सम्पूर्ण दरगाह परिसर को खाली करवाया जाए। पुलिस प्रशासन नहीं चाहता था कि बम फटने से कोई बड़ा हादसा दरगाह में हो जाए। पुलिस कर्मियों ने पूरी सतर्कता और समझदारी के साथ दरगाह परिसर को खाली करवाया। इसके बाद दरगाह के चप्पे-चप्पे की सघन तलाशी ली गई। बम निरोधक दस्ते ने भी गहन पड़ताल कर बम तलाशें, लेकिन पुलिस को कोई भी विस्फोटक पदार्थ दरगाह परिसर में नहीं मिला। कोई 9:30 बजे प्रशासन ने जायरीन को फिर से दरगाह में प्रवेश की अनुमति दे दी। इसके बाद भी दरगाह में छठी की धार्मिक रस्में शुरू हो पाई।
माहौल बिगाडऩे की कोशिश:
बम की सूचना देकर शरारती तत्वों ने अजमेर का माहौल बिगाडऩे की कोशिश की। ख्वाजा साहब की दरगाह का महत्त्व सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में है। दुनिया भर के मुसलमान दरगाह में जियारत के लिए आते हैं। शरारती तत्वों को यह पता था कि दरगाह में होने वाली वारदात की गूंज विश्वभर में होगी। भले ही शरारती तत्वों ने दरगाह में बम न रखे हो, लेकिन प्रशासन के सामने विकट स्थिति उत्पन्न तो कर ही दी। छठी के दिन हजारों जायरीन को दरगाह से बाहर निकालना बहुत कठिन कार्य था। ऐसे में दरगाह के अंदर बेवजह का विवाद भी हो सकता था। इस मामले में दरगाह के खादिम समुदाय की भी सराहना करनी होगी कि उन्होंने प्रशासन को पूरा सहयोग दिया। साथ सिटी मजिस्ट्रेट हरफूल सिंह यादव ने भी  कड़ी मेहनत की। जिला प्रशासन की ओर से अकेले यादव ने ही मोर्चा संभाल रखा था। कलेक्टर आरुषि मलिक तो स्थिति सामान्य होने के बाद ही दरगाह पहुंची।
खामियां उजागर:
दरगाह परिसर में भले ही बम न मिले हो, लेकिन दरगाह की सुरक्षा को लेकर अनेक खामियां उजागर हुई हंै। तलाशी के दौरान पुलिस को बड़ी संख्या में दरगाह परिसर में बैग मिले हैं। सवाल उठता है कि जब दरगाह में बैग ले जाने पर रोक लगी हुई है, तो इतने बैग कहां से आ गए? जाहिर है कि सुरक्षा कर्मियों को चकमा देकर बैग दरगाह के अंदर लाए गए। दरगाह के सभी चारों दरवाजों पर मैटल डिटेक्टर और दो पर स्केनर लगे हुए हैं। हर वक्त पुलिस कर्मी भी मौजूद रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी दरगाह के अंदर प्रतिबंधित सामग्री मिलना सुरक्षा में चूक ही मानी जाएगी। दरगाह के अंदर जगह-जगह खादिम समुदाय की अलमारियां व सामान भी रखा हुआ है। कई बार यह सुझाव आया है कि दरगाह के अंदर बड़ी अलमारियां और बक्से रखे हुए उन्हें हटाया जाए। लेकिन प्रशासन को ऐसी सामग्री को हटाने में सफलता नहीं मिली है।
हैदराबाद से आया फोन:
प्राथमिक जांच में यह पता चला है कि हैदराबाद से खरीदी गई सिम से ही पुलिस कंट्रोल रूम पर फोन किया गया। पुलिस को फोन नम्बर तो मिल गया है, लेकिन अभी तक भी फोन करने वाले व्यक्ति के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिली है। माना जा रहा है कि फर्जी नाम से सिम जारी करवाई गई।
सुरक्षा कड़ी हो- दीवान:
ख्वाजा साहब की दरगाह के दीवान सैय्यद जैनुअल आबेदीन ने सरकार से मांग की है कि दरगाह परिसर की सुरक्षा कड़ी की जाए। इसके लिए सख्त से सख्त कदम उठाए जाए। जायरीन को भी पहचान के बाद ही दरगाह में प्रवेश दिया जाए। दीवान ने शरारती तत्वों की घोर निंदा की है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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