Tuesday 8 September 2015

क्या सरकारी वकील की राय से चीफ जस्टिस का फैसला बदल गया।

अजमेर के आनासागर की परिधि उलझन में
अजमेर के ऐतिहासिक आनासागर को बचाने को लेकर पांच अगस्त को तत्कालीन चीफ जस्टिस सुनील अंबवानी ने जो आदेश दिया था, उसे अब राजस्थान के अतिरिक्त महाधिवक्ता एस के गुप्ता की राय से बदला जा रहा है। चीफ जस्टिस का फैसला और सरकारी वकील गुप्ता की राय भी अंग्रेजी में है, इसलिए हिन्दी अनुवाद करने पर उलझन हो गई है। आठ सितम्बर को गुप्ता की वैधानिक राय निगम प्रशासन को मिल गई। इस राय के बारे में आयुक्त एच गुईटे ने बताया कि अब आनासागर की परिधि को बीच सेन्टर से नापा जाएगा यानि वर्तमान में आनासागर में जो पानी भरा हुआ है, उसका एक केन्द्र बिन्दु निर्धारित करने के बाद चारों और 250 मीटर माना जाएगा। इस परिधि में जो भी निर्माण हुआ है, उन्हें हटाया जाएगा। लेकिन वहीं निगम प्रशासन ने यह भी फैसला लिया कि नोटिफाइड परिधि के बाद 250 मीटर के क्षेत्र को नो कंस्ट्रक्शन जोनÓ घोषित किया जाएगा। असल में चीफ जस्टिस अंबवानी के फैसले और सरकारी वकील गुप्ता की वैधानिक राय में ही तालमेल नहीं हो रहा है।
मेयर के लिए मुसीबत :
असल में चीफ जस्टिस अंबवानी का फैसला मेयर धर्मेन्द्र गहलोत के लिए मुसीबत बन गया है। गहलोत ने गत माह ही जिस वार्ड 56 से पार्षद का चुनाव जीता वह वार्ड आनासागर के किनारे ही बना हुआ है। गहलोत पर यह भी दबाव है कि उनके वार्ड का एक भी मकान न टूटे। इसीलिए निगम प्रशासन ने शुल्क देकर अतिरिक्त महाधिवक्ता एस के गुप्ता से वैधानिक राय ली है। यदि गुप्ता की राय को हाईकोर्ट के आदेश के अनुरुप माना जाए तो फिर आनासागर के किनारे और भराव क्षेत्र में बने मकान, दुकान, मॉल, कॉम्पलेक्स, होटल, समारोह स्थल, आवासीय कॉलोनियां नहीं टूटेंगी। वैसे भी इतने बड़े आबादी क्षेत्र को हटाना मुश्किल ही है। इस बीच प्रभावशाली लोग हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर कर रहे है। यदि एडवोकेट गुप्ता की राय पर अमल किया जाता है तो आनासागर के बीच बने टापू और करणी विहार कॉलोनी पर गाज गिर सकती है वहीं महावीर कॉलोनी, अरिहन्त कॉलोनी, सागर विहार, वृंदावन रेस्टोरेंट, गोविन्दम समारोह स्थल आदि को सुरक्षित माना जा रहा है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

No comments:

Post a Comment