Thursday 10 September 2015

सोशल मीडिया को गंभीर बनाए। पुष्टि के बाद ही खबर चलाएं।

कुशलगढ़ की घटना से सबक लें।
जो लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं, उनकी यह भी जिम्मेदारी है कि वह पुष्टि के बाद ही कोई खबर चलाएं और दूसरे की पोस्ट भी संभल कर करें। कोई भी गलत खबर माहौल को खराब कर सकती है, जिस तरह से सोशल मीडिया पर खबर वायरल होती है, वह अपने आप में प्रसार का चमत्कार ही है।
मैं वाट्स एप पर कोई 250 ग्रुप से जुड़ा हुआ हंू। ब्लॉग पर भी 25 हजार से ज्यादा पाठक हो गए हैं। इसके अतिरिक्त ट्विटर और व्यक्तिगत नम्बरों के माध्यम से भी मेरी खबरों को पड़ा जाता है। मेरे पास भी प्रदेश और देशभर से खबरें आती हैं। इसी क्रम में 10 सितम्बर को बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ उपखंड से एक खबर मुझे प्राप्त हुई। इस खबर में मुस्लिम महासभा के प्रतिनिधि युनूस चोपदार ने क्षेत्र के डीएसपी सवाई सिंह भाटी की कार्य प्रणाली पर गहरी नाराजगी जताई। चोपदार का आरोप था कि महासभा की ओर से शहीद अब्दुल हमीद की शहादात को याद करने के लिए 10 सितम्बर को एक कार्यक्रम रखा गया। लेकिन डीएसपी भाटी ने मुस्लिम सभा का यह कार्यक्रम नहीं होने दिया। चोपदार का कहना रहा कि परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का कार्यक्रम नहीं होने से महासभा में नाराजगी भी है। चोपदार ने मुझसे भी कहा कि इस घटनाक्रम पर मैं जरूर लिखूं। चूंकि यह मामला देश के एक वीर जवान की शहादत से जुड़ा हुआ था। इसलिए मैंने कुशलगढ़ के डीएसपी सवाई सिंह भाटी का पक्ष भी जाना। भाटी ने बताया कि शहीद अब्दुल हमीद का कार्यक्रम 10 सितम्बर को ही कुशलगढ़ की मस्जिद के बाहर हुआ है। इस कार्यक्रम पर किसी भी प्रकार से रोक नहीं लगाई गई है। कार्यक्रम में महासभा के प्रतिनिधियों ने शहीद की वीरता के बारे में भी बताया। भाटी का कहना रहा कि पूरा कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से सम्पन्न हुआ है। मौके पर पुलिस ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। पुलिस का यह प्रयास रहता है कि कुशलगढ़ में सद्भावना का माहौल बना रहे।
शहादत पर नाज
मुस्लिम महासभा का कोई कार्यक्रम हो या नहीं, लेकिन देश के सवा सौ करोड़ लोगों को अब्दुल हमीद की शहादत पर नाज है। 1965 में जब भारत का युद्ध पाकिस्तान के साथ हुआ तो अब्दुल हमीद ने पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा दिए। हमीद ने अपनी टुकड़ी के साथ पाकिस्तान के सात टैकों को नष्ट कर दिया। हमीद ने युद्ध में जो वीरता दिखाई उसी की वजह से भारत सरकार ने हमीद को परमवीर चक्र प्रदान किया। पचास वर्ष बाद भी आज देशवासियों को अब्दुल हमीद की शहादत पर नाज है। अब्दुल हमीद किसी एक समुदाय के नहीं थे, बल्कि युद्ध में उन्होंने पूरे देश का नेतृत्व किया। अब्दुल हमीद का जितना सम्मान किया जाए, उतना कम है। अब्दुल हमीद सही मायने में देश भक्त थे। बांसवाड़ा और कुशलगढ़ के प्रशासन को भी अब्दुल हमीद की शहादत को नमन करना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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