Wednesday 2 September 2015

सीएम वसुंधरा राजे सार्वजनिक तौर पर उपस्थिति दर्ज क्यों नहीं करवा रही हैं

दो माह से भी ज्यादा का समय गुजर गया, लेकिन इस अवधि में राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे को किसी भी सार्वजनिक समारोह में नहीं देखा गया। राजे या तो सचिवालय में रहीं या फिर धौलपुर के अपने राजमहल में। दिल्ली भी गई तो चुनिंदा उद्योगपतियों और केन्द्रीय मंत्रियों से मिलकर वापस जयपुर आ गईं। ऐसा नहीं कि राजे को प्रदेश भर से सार्वजनिक समारोह के निमंत्रण नहीं मिल रहे हैं। ऐसा भी नहीं कि राजे को किसी परियोजना का शिलान्यास अथवा उद्घाटन करने के लिए भी नहीं बुलाया जा रहा हो। आमतौर पर प्रदेश के सीएम को सरकारी और गैर सरकारी समारोह में जाना ही होता लेकिन सीएम राजे की सार्वजनिक समारोह में लम्बे समय से गैर मौजूदगी कई सवाल खड़े कर रही है। जब से क्रिकेट के भस्मासुर ललित मोदी के साथ व्यावसायिक संबंध उजागर हुए तब से राजे सार्वजनिक समारोहों से बच रही हैं। संसद का मानसूत्र सत्र भी राजे के इस्तीफे की मांग को लेकर ठप रहा। भले ही राजे और ललित मोदी के संबंधों को लेकर देशभर में हंगामा हुआ हो लेकिन स्वयं राजे ने सफाई में एक शब्द भी नहीं बोला। कांग्रेस ने जब भी संसद और संसद के बाहर आरोप लगाए तब राजे की ओर से प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी व विश्वासपात्र मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने ही जवाब दिए हैं। सवाल उठता है कि राजे जब इस पूरे प्रकरण में स्वयं को दोषी नहीं मानती तो फिर जनता का सामना क्यों नहीं कर रही है। राजे अपनी उपलब्धियों में यह गिनाती हैं कि वे सरकार आपके द्वार के माध्यम से गांव-ढाणी तक के लोगों से सीधा संवाद करती हैं। यहां यह भी सवाल उठता है कि अब सरकार किसके द्वार खड़ी है? क्या राजे सरकार प्रदेश की जनता को भूल गई? जब सीएम किसी क्षेत्र में जाते हैं तो उस क्षेत्र में सक्रियता अपने आप बढ़ जाती है। राजे के सार्वजनिक समारोह नहीं होने से प्रदेश भी सुस्त पड़ा हुआ है। बहुत से मंत्री, विधायक और कलक्टर चाहते हैं कि सीएम उनके क्षेत्र में आए और समारोहों में भाग ले। ऐसे ढेरों प्रस्ताव सीएम सचिवालय में पड़े हुए हैं। लेकिन राजे किसी भी समारोह पर सहमति नहीं दे रही हैं। जहां तक केन्द्र सरकार और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व का सवाल है तो अभी तक भी ऐसा कोई संकेत नहीं आया है जिसमें राजे को हटाया जा रहा है बल्कि राजे को बचाने और सीएम की कुर्सी पर बनाए रखने के लिए संसद का मानसून सत्र ही दांव पर लगा दिया। इस दो ढाई माह की अवधि में राजे ने मीडिया का भी सामना नहीं किया। इसके विपरीत एम.पी. के सीएम शिवराज सिंह चौहान व्यापम घोटाले के बाद भी रोजाना सार्वजनिक समारोह में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। इतना ही नहीं मीडिया का भी लगातार सामना कर रहे हैं। सवाल उठता है कि जब सीएम राजे स्वयं को प्रदेश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता मानती हैं तो फिर जनता का सामना क्यों नहीं कर रहीं? क्या सीएम राजे का केन्द्र की मोदी सरकार और भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व से कोई विवाद हो गया है? राजे का इस तरह का व्यवहार राजस्थान में भाजपा को नुकसान पहुंचा रहा है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-0982907151

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