Saturday 19 September 2015

अजमेर को न अमरीका बनाएगा स्मार्ट और न स्मार्ट


सिटी दायरे में किशनगढ़ और पुष्कर शामिल हैं।
अजमेर के जो नागरिक अमरीका के सहयोग से स्मार्ट सिटी का सपना देख रहे हैं, उन्हें अब जाग जाना चाहिए। अजमेर जिला प्रशासन से लेकर केन्द्र सरकार तक के पास ऐसी कोई योजना नहीं है जिसमें अजमेर को अमरीका के सहयोग से स्मार्ट बनाया जाना है। पर यह बात अलग है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने पूर्व में ऐसी घोषणा की थी, लेकिन पीएम की घोषणा का सरकार में कोई दस्तावेज नहीं है। इसी प्रकार स्मार्ट सिटी के दायरे में किशनगढ़ और पुष्कर को शामिल करने का भी कोई निर्णय सरकारी स्तर पर नहीं हुआ है। 19 सितम्बर को अजयमेरु प्रेस क्लब के एक समारोह में पत्रकारों ने नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत से स्मार्ट सिटी की योजना की प्रगति के बारे में जानना चाहा तो गहलोत ने कहा कि स्मार्ट सिटी के दायरे में किशनगढ़ और पुष्कर को शामिल करने का निर्णय कभी हुआ ही नहीं। उन्हें खुद आश्चर्य है कि बिना निर्णय के ही मीडिया में किशनगढ़ और पुष्कर के शामिल होने की खबरें छप रही हैं। उन्होंने कहा कि अजमेर के संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने स्मार्ट सिटी के माहौल को बनाया है। लोगों में स्मार्ट सिटी के प्रति जागरूकता बढ़ाई। इसके लिए भटनागर की प्रशंसा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी की परिकल्पना उन शहरों की है जहां स्थानीय निकाय ही पानी, बिजली, सफाई, सड़क एवं अन्य प्राथमिक सुविधाएं उपलब्ध करवाता है। स्मार्ट सिटी के जो मापदंड हैं उसमें यह जरूरी है कि शहरवासियों को 24 घंटे बिजली, पानी, परिवहन आदि की सुविधा के साथ-साथ सीवरेज सिस्टम पूरी तरह लागू हो। उन्होंने कहा कि अजमेर में पानी सप्लाई जलदाय विभाग के पास, बिजली की सप्लाई विद्युत निगम के पास और सीवरेज सिस्टम तो अभी शुरू ही नहीं हुआ है। ऐसे में स्मार्ट सिटी के लिए जो सुविधाएं चाहिए वह फिलहाल अजमेर में नहीं हैं। गहलोत ने कहा कि हाल ही में केन्द्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए जो मापदंड निर्धारित किए हैं, उन्हें पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। चूंकि अजमेर सम्पूर्ण शहरी क्षेत्र है। इसलिए यहां अलग से कोई स्मार्ट शहर नहीं बनाया जा सकता है। पुरानी सम्पत्तियां तोड़कर किसी भी शहर को स्मार्ट नहीं बनाया जा सकता है। वैसे भी सरकार भूमि अवाप्ति के लिए धनराशि नहीं देती है। उन्होंने कहा कि अजमेर शहर की जो वर्तमान स्थिति है उसी में कुछ नया किया जाएगा। नगर निगम के पास ऐसी कोई जानकारी नहीं है जिसमें अजमेर को स्मार्ट बनाने के लिए अमरिका का सहयोग मिल रहा है। प्रेस क्लब के समारोह में अजमेर के प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी भी शामिल हुए। देवनानी ने भी माना कि स्मार्ट सिटी के दायरे में किशनगढ़ और पुष्कर शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया है। हो सकता है कि प्रशासन के कुछ अधिकारियों ने अपने स्तर पर किशनगढ़ और पुष्कर को स्मार्ट सिटी के दायरे में शामिल करने की योजना बनाई हो। सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन भी नहीं है। देवनानी और गहलोत के उक्त बयानों के बाद सवाल उठता है कि पिछले एक साल से अजमेर में स्मार्ट सिटी का ढिंढोरा क्यों पीटा जा रहा है? अभी भी संभागीय आयुक्त भटनागर रोजाना स्मार्ट सिटी को लेकर बैठकें करते हैं। सरकार का जनसम्पर्क विभाग रोजाना भटनागर की ओर से प्रेस नोट जारी करता है। सवाल उठता है कि क्या स्मार्ट सिटी के नाम पर अजमेर के लोगों को बेवकूफ बनाया जाता रहा? भटनागर तो 30 सितम्बर को सरकारी सेवा से रिटायर होकर अपने घर चले जाएंगे। लेकिन अजमेर के नागरिक स्मार्ट नहीं होने का दर्द झेलते रहेंगे। सवाल उठता है कि जब सरकार के पास कोई योजना ही नहीं है तो फिर लोगों को स्मार्ट सिटी का सपना क्यों दिखाया गया? स्मार्ट सिटी का मुद्दा पीएम नरेन्द्र मोदी की प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है। मोदी जब अमरिकी गए थे तब इस बात का जोर शोर से प्रचार किया गया कि मोदी ने राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ जो समझौते किए उनमें अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का समझौता भी शामिल किया गया है। सत्ता में बैठे लोगों को अब यह बताना चाहिए कि मोदी-ओबामा समझौते का क्या हुआ? किसी भी प्रशासन और सरकार को जनभावनाओं के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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