Friday 18 September 2015

स्मार्ट सिटी के सत्र में चार वक्ता-दो श्रोता।

लिटरेचर फेस्टिवल में शहरवासियों का टोटा।
अंतर्राष्ट्रीय पटल पर धार्मिक और सांस्कृतिक शहर माने जाने वाले अजमेर में 18 से 20 सितम्बर के बीच दूसरा अजेमर लिटरेचर फेस्टिवल हो रहा है। यहां के एक समारोह स्थल पर 18 सितम्बर को शुरुआत के अवसर पर स्मार्ट सिटी, कितना स्मार्ट विषय पर एक सत्र रखा गया। निर्धारित समय पर सत्र के वक्ता अजमेर के संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर, भाजपा के सांसद वी.पी. सिंह, प्रदेश के रिटायर चीफ टाउन प्लानर दिलीप पांडे तथा कॉलेज व्याख्याता रिपुंंजय सिंह मंच पर आसीन हो गए, लेकिन चारों दिग्गज वक्ताओं को यह देख कर आश्चर्य हुआ कि उन्हें सुनने वाले मात्र दो व्यक्ति हैं। ये भाग्यशाली श्रोता रहे पत्रकार राजेन्द्र गुंजल और आईटी के गुरु सरदार जी.एस.बिरदी। थोड़ी देर बाद चार वक्ता, दो श्रोताओं ने इधर-उधर की बात की, लेकिन बाद में ये छह जने भी फेस्टिवल के उस सत्र में चले गए, जहां आम आदमी पार्टी के नेता और कवि कुमार विश्वास गुफ्तगू कर रहे थे। वक्ताओं के बोलने की चाहत को ध्यान में रखते हुए फेस्टिवल के आयोजकों ने कुमार विश्वासके गुफ्तगू वाले सत्र में ही स्मार्ट सिटी के सत्र को मर्ज कर दिया। चूंकि कुमार विश्वास की गुफ्तगू थी, इसलिए यह पाण्डाल खचाखच भरा हुआ था। चारों वक्ता इस बात से खुश थे कि अब अच्छे श्रोता मिल गए हैं, लेकिन अपनी गुफ्तगू के बाद कुमार विश्वास ने जैसे ही पाण्डाल छोड़ा, वैसे ही तमाशबीन भीड़ भी चली गई। किसी को भी अपने शहर के स्मार्ट होने में रुचि नहीं थी। बाद में संभागीय आयुक्त भटनागर की उपस्थिति को देखते हुए कुछ स्कूली बच्चों और नागरिक को पाण्डाल में बैठाया। लेकिन तब तक स्मार्ट सिटी का माहौल खत्म हो चुका था।
स्मार्ट सिटी पर गंभीरता नहीं:
संभागीय आयुक्त भटनागर माने या नहीं, लेकिन अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने का अभी तक भी कोई गंभीरता नजर नहीं आई। 16 सितम्बर को ही एक सरकारी बैठक में भटनागर ने कहा कि अजमेर देश के उन सौ शहरों में तो शामिल हो गया है, जिन्हें स्मार्ट बनाना, लेकिन अब टॉप टेन में शामिल होने की चुनौती है। इससे ऐसा लगता है कि स्मार्ट सिटी को लेकर कोई प्रतियोगिता हो रही है। पहली प्रतियोगिता 100 के दायरे में शामिल होने की थी और अब दस के दायरे की है। सवाल उठता है कि जब प्रतियोगिता ही जीतनी है तो फिर पीएम नरेन्द्र मोदी की उस घोषणा का क्या हुआ, जिसमें कहा गया था कि अमरीका के सहयोग से अजमेर को स्मार्ट बनाया जाएगा। अजेमर को स्मार्ट बनाने का झंडा अभी भटनागर खुद लेकर चले रहे हैं, लेकिन आगामी 30 सितम्बर को जब भटनागर संभागीय आयुक्त के पद से रिटायर हो जाएंगे, तब क्या होगा। शहरवासियों की रुचि इसलिए नहीं है कि योजना की गंभीरता नहीं है।
कुमार विश्वास ही रहे आकर्षण का केन्द्र:
लिटरेचर फेस्टिवल में 18 सितम्बर को पहले दिन कुमार विश्वास ही आकर्षण का केन्द्र रहे। विश्वास को सुनने के लिए तो श्रोता उपलब्ध थे लेकिन जब दूसरे पाण्डाल में गांधी बनाम गांधीगिरी का सत्र चल रहा था जब सुप्रसिद्ध फिल्म समीक्षक जयप्रकाश चौकसे को श्रोता ही नहीं मिले, ऐसे में चौकसे सत्र छोड़कर चले गए लेकिन बाद में जब कुछ स्कूली बालिकाओं को लाकर बैठाया गया तो चौकसे ने कहा कि ये मेरे स्तर के श्रोता नहीं हैं। चौकसे इतने नाराज हुए कि वे पाण्डाल छोड़कर अपने कमरे में चले गए।
नहीं आई कलक्टर:
एक ओर संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर दो श्रोताओं के बीच भी गद्गद थे तो वहीं अजमेर की जिला कलक्टर आरुषि मलिक लिटरेचर फेस्टिवल में आई ही नहीं। मलिक को नारी मन की तलाश विषय पर आयोजित सत्र में अपना व्याख्यान देना था। सत्र में श्रीमती धमेन्द्र, मीरा कुमार, विमलेश शर्मा जैसी वक्ता तो उपस्थित हो गई, लेकिन कलक्टर मलिक फेस्टिवल में कहीं भी नजर नहीं आई। यह बात अलग है कि कलक्टर ने आयोजकों से फेस्टिवल में आने का वायदा किया था।
पानी की बोतल 40 रुपए में:
फेस्टिवल के आयोजकों की ओर से समारोह स्थल पर एक केंटीन भी लगाई गई। इस केबिन पर एक लीटर की पानी की बोतल 40 रुपए में बिक रही थी। चूंकि अजमेर में इन दिनों भीषण गर्मी और उमस का वातावरण है इसलिए लोगों को प्यास भी अधिक लग रही थी। लोगों ने मजबूरी में 20 रुपए में आधा लीटर और 40 रुपए में एक लीटर पानी की बोतल खरीद कर अपनी प्यास बुझाई। जब पानी ही 40 रुपए लीटर में बिका तो अन्य पेय और खाद्य सामग्री की कीमतों का अंदाजा लगाया जा सकता है। हालांकि ऐसी केंटीन देश भर के लिटरेचर फेस्टिवल में लगती हैं। इसमें आयोजकों का कोई दोष नहीं है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511

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