Friday 27 July 2018

आईटीआई संचालकों और एनसीवीटी के अधिकारियों की आपसी खींचतान से राजस्थान के हजारों विद्यार्थी सेमेस्टर परीक्षा से वंचित।

आईटीआई संचालकों और एनसीवीटी के अधिकारियों की आपसी खींचतान से राजस्थान के हजारों विद्यार्थी सेमेस्टर परीक्षा से वंचित। जोधपुर से लेकर दिल्ली तक कोई सुनने वाला नहीं।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बार बार स्वरोजगार पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए भारत सरकार पानी की तरह पैसा भी बहा रही है। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि आईटीआई के माध्यम से विभिन्न कार्यों का प्रशिक्षण ले रहे राजस्थान के हजारों विद्यार्थी सेमेस्टर परीक्षा से वंचित हो रहे हैं। छह माह में एक बार होने वाली यह परीक्षा इस बार 26 जुलाई से शुरू हो रही है, लेकिन हजारों विद्यार्थी परीक्षा के प्रवेश पत्र से वंचित है। जबकि ऐसे विद्यार्थियों ने ई-मित्र के जरिए फीस भी जमा करवा दी। असल में फीस जमा होने के बाद संबंधित आईटीआई संचालक को एनसीवीटी के पोर्टल पर जो सूचना दर्ज करवानी थी, वह समय रहते नहीं करवाई गई। इसलिए एनसीवीटी की वेबसाइट से ऐसे आईटीआई के विद्यार्थियों के प्रवेश पत्र डाउनलोड नहीं हो रहे हैं। इस संबंध में संचालकों का कहना है कि सर्वर की परेशानी की वजह से सूचना दर्ज नहीं हुई। यानि यह विवाद प्राइवेट आईटीआई संचालकों और एनसीवीटी के अधिकारियों के बीच का है, जिसका खामियाजा गरीब विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है। इससे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्व रोजगार के उद्देश्य पर भी पानी फिर रहा है।
कोई सुनने वाला नहींः
केन्द्रीय श्रम मंत्रालय के अधीन ही नेशनल काउंसलिंग वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) कार्य करता है। यह संस्था ही राष्ट्रीय स्तर पर आईटीआई के विद्यार्थियों की परीक्षा आयोजित करती है। राजस्थान में इस संस्था का क्षेत्रीय कार्यालय जोधपुर में हैं, लेकिन जोधपुर से लेकर दिल्ली तक पीड़ित विद्यार्थिओं  की सुनने वाला कोई नहीं है। राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे प्रधानमंत्री की स्वरोजगार की योजनाओं को सफल बनाने का तो दावा करती हैं, लेकिन अपने प्रदेश के हजारों युवाओं के भविष्य का ख्याल नहीं कर रहीं। यदि आईटीआई के हजारों विद्यार्थी परीक्षा से वंचित रहे तो एक वर्ष बर्बाद हो जाएगा। विद्यार्थियों ने जब परीक्षा शुल्क जमा करा दिया तो फिर परीक्षा से वंचित क्यों किया जा रहा है। जानकारों के अनुसार दिल्ली में बैठे एनसीवीटी के अधिकारी अपने पोर्टल पर सूचना दर्ज करने की छूट दे दें तो विद्यार्थियों के प्रवेश पत्र अभी भी डाउनलोड हो सकते हैं। सवाल उठता है कि एनसीवीटी में व्याप्त लाल फीताशाही के खिलाफ आवाज कौन उठाएगा? कार्यवाही करनी है तो उन संचालकों के विरुद्ध की जाए, जिन्होंने समय पर सूचना दर्ज नहीं की। राजस्थान में तो परेशान विद्यार्थियों की कोई सुनने वाला ही नहीं है। इस मामले में और अधिक जानकारी भरतपुर के नरेश शर्मा से मोबाइल नम्बर 9982490211 पर ली जा सकती है।
जिम्मेदारों की टालमटोल नीतिः
दिल्ली स्थित एनसीवीटी परीक्षा के प्रभारी एसके गुप्ता का कहना रहा कि हमने एनके गुप्ता को राजस्थान में परीक्षा नियंत्रक बना रखा है। उन्हीें से संवाद किया जाए, जबकि एनके गुप्ता का दो टूक कहना रहा कि मैं कुछ नहीं कर सकता। वेबसाइट का नियंत्रण दिल्ली के एसके गुप्ता के पास है। मैंने पूर्व में इसी तरह के मामले में अस्थायी प्रवेश पत्र जारी कर विद्यार्थियों को परीक्षा दिलवा दी थी, लेकिन ऐसे विद्यार्थियों का परिणाम आज तक भी जारी नहीं हुआ है। अब मैं कोई जोखिम नहीं ले सकता है। इस मामले में आईटीआई संचालक पूरी तरह दोषी हैं।

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