Tuesday 10 July 2018

सरकार के इशारे पर नाचने वाले अफसर ही राजनीतिक दलों के टिकट पाते हैं।

सरकार के इशारे पर नाचने वाले अफसर ही राजनीतिक दलों के टिकट पाते हैं। अब जातिगत आधार भी दिलाता है जीत। पर जनसेवा से कोई सरोकार नहीं। जीटीवी पर लाइव प्रसारण।
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9 जुलाई को रात 8 बजे जीटीवी के राजस्थान न्यूज चैनल पर अफसरों के राजनीतिक में आने पर एक लाइव प्रोग्राम हुआ। इसमें पत्रकार की हैसियत से मुझे भी भाग लेने का अवसर मिला। सेवानिवृत्त आईपीएस विजेन्द्र सिंह झाला और भाजपा के प्रवक्ता मनीष पारीक ने प्रोग्राम के एंकर राहुल अवस्थी के सवालों के जवाब अपने अपने नजरिए से दिए। वहीं मैंने दो टूक शब्दों में कहा कि जो अफसर अपने कार्यकाल में सरकार के इशारे पर नाचता है उसे ही विधानसभा अथवा लोकसभा चुनाव में टिकट मिलता है। राज्य में पिछले साढ़े चार वर्षों से भाजपा का शासन है। इस अवधि में रिटायर होने वाले जिन अफसरों ने सरकार के इशारे पर काम किया, आज वे ही नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट हासिल करने के लिए भाजपा के दरवाजे पर खड़े हैं। जिन अफसरों का मुस्लिम बहुल्य क्षेत्रों से लगाव रहा है वे अब कांग्रेस का टिकट चाहते हैं। अब उम्मीदवारी के पीछे जातिगत आधार भी जुड़ गया है। 30 से लेकर 36 वर्ष तक अपने गांव अथवा शहर से बाहर नौकरी करने वाले अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद अपने गांव और शहर में आकर विधायक और सांसद बनने का सपना देखते हैं। इसके पीछे मजबूत जातिगत आधार होता है।
विचारधारा से कोई सरोकार नहींः
कार्यकर्ता अपनी विचारधारा के अनुरूप भाजपाई अथवा कांग्रेसी होता है, लेकिन राजनीति में आने वाले अफसरों की कोई विचारधारा नहीं होती। इन्हें तो 36 वर्ष की आरएएस, आरपीएस, आईएएस, आईपीएस की शाही नौकरी के बाद राजनीति में भी सत्ता का सुख भोगना होता है। राजस्थान में सबसे उपयुक्त उदाहरण केन्द्रीय मंत्री सीआर च ौधरी का है। अशोक गहलोत जब कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री थे, तब च ौधरी को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया। यह पहला अवसर था, जब सरकार ने किसी आरएएस को आयोग का सदस्य नियुक्त किया। तब यह माना गया कि च ौधरी कांग्रेस की विचारधारा के हैं, लेकिन भाजपा का शासन आने पर च ौधरी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शरण में भी चले गए और आयोग का अध्यक्ष पद भी हासिल कर लिया। आयोग के अध्यक्ष के पद पर रहते हुए च ौधरी नागौर जिले में सर्वाधिक लोकप्रिय हो गए। यही वजह रही कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के मौके पर नागौर के सभी भाजपा नेताओं को पछाड़ते हुए च ौधरी की जीत में नागौर के जाट समुदाय की एक तरफा वोटिंग रही। जाट नेता होने की वजह से ही सीआर च ौधरी को केन्द्रीय मंत्रीमंडल में भी शामिल कर लिया गया।
वसुंधरा और पायलट के सम्पर्क में है आनेक रिटायर अफसरः
नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट के सम्पर्क में अनेक रिटायर अधिकारी है। ऐसे अधिकारी अपने अपने पैतृक क्षेत्र में जातिगत आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं। देखना है कितने अफसरों को टिकट हासिल होते हैं। कुछ अधिकारी भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर घनश्याम तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी से भी टिकट की जुगाड़ में है।
एस.पी.मित्तल) (10-07-18)
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