अजमेर जिले के नसीराबाद शहर के नागरिकों में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के खिलाफ जबरदस्त रोष है। बूचडख़ाना हटाओ संघर्ष समिति के पदाधिकारियों मिश्रीलाल जिंदल, व सुनील जैन को 16 जनवरी से आमरण अनशन शुरू करना था लेकिन एसडीओ जयप्रकाश नारायण ने कानून का डंडा चलाया, उससे घबराकर जैन व जिंदल ने आमरण अनशन स्थगित करने की घोषणा कर दी। एसडीओ ने 15 जनवरी को ही दोनों पदाधिकारियों को बुलाया और चेतावनी दी कि आमरण अनशन शुरू किया तो गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इसके साथ ही धारा 144 का नोटिस थमा दिया। इतना ही नहीं गत आंदोलन में जिन लोगों को नामजद किया था उनके ऊपर भी गिरफ्तारी की तलवार लटका दी। पुलिस ने तब और हद कर दी जब सुशील जैन के पुत्र सुधीर जैन को किसी पुराने मामले में थाने पर लाकर बैठा लिया। भाजपा के शासन में हुई प्रशासन की इस कार्यवाही से आंदोलन तो टल गया लेकिन नसीराबाद के नागरिकों में भारी नाराजगी है। प्रशासन ने गत 10 अगस्त को जो समझौता किया था उसके मुताबिक नसीराबाद के अवैध बूचडख़ानों को हटाया जाना था। लेकिन अब प्रशासन का कहना है कि बूचडख़ाना हटाने का काम नसीराबाद स्थित छावनी बोर्ड का है। यानी प्रशासन ने अपनी जिम्मेदारी छावनी बोर्ड पर डाल दी है। मालूम हो कि नसीराबाद में अवैध रूप से पशुओं के कटने से पूरा वातावरण दूषित हो रहा है। शहर भर की नालियों में खून ही खून नजर आता है और मांस के टुकड़े इधर-उधर बिखरे रहते हैं। जो लोग बूचडख़ाने चला रहे हैं उन्होंने भी अन्य स्थान पर भूमि मिलने पर बूचडख़ाने स्थानान्तरित करने पर सहमति दे रखी है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि प्रशासन नसीराबाद में ही बूचडख़ाने बनाए रखना चाहता है।
(एस.पी. मित्तल) (16-01-2016)
(spmittal.blogspot.in) M-09829071511
No comments:
Post a Comment