Monday 11 January 2016

देवनानी के जन्म दिन का जश्न ज्यादा प्रभावी होता


यदि साथी मंत्री अनिता भदेल भी शामिल होतीं।
अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक और राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने 11 जनवरी को अपना जन्म दिन धूमधाम से मनाया। शाम को संत कंवरराम कॉलोनी स्थित अपने निवास पर सुंदरकांड का पाठ और सामूहिक भोज का आयोजन किया तो दिन में शिक्षा विभाग ने सरकारी समारोह आयोजित कर मंत्री का जन्म दिन मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सरकार की योजनाओं में लेपटॉप भी जन्मदिन के मौके पर देवनानी के हाथों से बंटवा दिए। पंडित दीनदयाल उपाध्याय और स्वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों की मूर्तियों का अनावरण भी जन्मदिन पर ही किया। हालांकि ऐसे सभी समारोह सरकारी थे, लेकिन समारोह में जन्मदिन के ही गुणगान हुए। यानि सुबह से लेकर रात तक देवनानी के जन्मदिन के जश्न का माहौल रहा, लेकिन यदि जश्न के इस माहौल में शहर के दूसरे भाग दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल भी होतीं तो जश्न का प्रभाव कुछ ज्यादा होता। सवाल उठता है कि जब श्रीमती भदेल भी इसी अजमेर शहर से भाजपा की विधायक-मंत्री हैं तो फिर देवनानी के जन्म दिन के समारोह में शामिल क्यों नहीं हुई? आश्चर्य तो इस बात का भी है कि देवनानी ने श्रीमती भदेल के दक्षिण क्षेत्र में दो महापुरुषों की प्रतिमाओं का अनावरण किया। लेकिन उसमें भी श्रीमती भदेल नहीं दिखीं। क्या ऐसा हो सकता है कि देवनानी अपने जन्मदिन के समारोह में श्रीमती भदेल को आमंत्रित करते और श्रीमती भदेल नहीं आती। यदि शिष्टाचार वश निमंत्रण देने की पंरपरा भी दोनों के बीच समाप्त हो गई है तो फिर अजमेर शहर में भाजपा की राजनीति का अंदाजा लगाया जा सकता है। स्वयं भाजपा के कार्यकर्ताओं के भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि भदेल और देवनानी के बीच इतना झगड़ा क्यों हंै? देवनानी, भदेल के सुरक्षित क्षेत्र और भदेल देवनानी के सामान्य क्षेत्र से चुनाव लडऩे की भी इच्छुक नहीं है, लेकिन फिर भी दोनों में इतनी संवादहीनता है कि एक-दूसरे को जन्म दिन की शुभकामनाएं भी नहीं दे रहे हैं। 
11 जनवरी को इधर देवनानी के जन्मदिन का जश्न धूमधाम से शुरू हुआ तो उधर श्रीमती भदेल अजमेर से भीलवाड़ा चली गई। भदेल भीलवाड़ा की प्रभारी मंत्री भी हैं। देवनानी के जन्म दिन के जश्न को ध्यान में रखते हुए ही भदेल ने 11 जनवरी को ही भीलवाड़ा में कार्यक्रम निर्धारित करवा दिए। भदेल भले ही भीलवाड़ा में रही हो, लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस रहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में आयोजित मूर्तियों के अनावरण समारोह में बुलाया तक नहीं गया। शिक्षा विभाग के किसी भी अधिकारी में इतनी हिम्मत नहीं थी कि सरकारी समारोह में क्षेत्रीय विधायक की हैसियत से श्रीमती भदेल को आमंत्रित करते। शिक्षा विभाग में आम चर्चा है कि यदि किसी शिक्षक को भी भदेल से बात करते देख लिया जाए तो उसे अजमेर से बाहर ही जाना पड़ेगा। ऐसे में अजमेर में नियुक्त शिक्षा अधिकारियों की तो बिसात ही नहीं है। गंभीर बात तो यह है कि भाजपा के प्रदेश स्तरीय नेता इन दोनों मंत्रियों के झगड़े का तमाश देखरहे हैं। ऐसा नहीं कि मंत्रियों के झगड़े की जानकारी सीएम वसुंधरा राजे को न हो, लेकिन शायद राजनीति इसे ही कहा जाता है कि मंत्री झगड़ेंगे तभी तो महारानी का महत्त्व होगा। भले ही पार्टी का भट्टा बैठ जाए। यहां यह उल्लेखनीय है कि अजमेर शहर प्रदेश के उन पांच शहरों में शामिल हैं, जहां भाजपा संगठन के चुनाव नहीं हो सके। इसका कारण भी देवनानी और भदेल के बीच राजनीतिक खाई का होना है। यदि इसके बाद भी भाजपा का कोई नेता यह कहे कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा तो फिर शहरवासी हंसेंगे हीे। 

(एस.पी. मित्तल)  (11-01-2016)
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