Wednesday 13 January 2016

मसूद अजहर की गिरफ्तारी के मायने



अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री काल में वर्ष 1999 में जिस आतंकी मसूद अजहर को जबरन रिहा करना पड़ा, उसी मसूद अजहर को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के दबाव में 13 जनवरी को पाकिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया है। वाजपेयी के शासन काल में जब कंधार कांड हुआ था, तब मसूद सहित कई खूंखार आतंकियों को छोडऩा पड़ा। ताकि भारतीय विमान में सवार यात्रियों की जान बचा सके। रिहा होने के बाद मसूद ने जैश-ए-मोहम्मद अतंकी संगठन बनाया। मसूद के संगठन ने न केवल भारत में आतंकी वारदातें की बल्कि पाकिस्तान में भी आत्मघाती विस्फोट करवाए। अभी हाल ही में भारत के पंजाब प्रांत के पठानकोट के एयरफोर्स बेस पर भी जो आतंकी हमला हुआ, उसमें भी मसूद अजहर की ही भूमिका सामने आई। मोदी सरकार ने पाकिस्तान को इस बात के पुख्ता सबूत दिए हैं कि मसूद अजहर ने बहावलपुर की मस्जिद में बैठकर ही पाठानकोट के हमले के दिशा निर्देश दिए। इन सबूतों के आधार पर ही पाकिस्तान की नवाज शरीफ सरकार को मसूद की गिरफ्तारी के लिए बाध्य होना पड़ा। पाकिस्तान में मसूद की जो गिरफ्तारी हुई, उसका श्रेय मोदी सरकार के राजनीतिक दबाव को ही जाता है। अब उम्मीद की जानी चाहिए कि पाक सरकार अन्य भारत विरोधी आतंकवादियों के खिलाफ भी सख्त कार्यवाही करेगी। ऐसा न हो कि थोड़े दिनों बाद ही मसूद को उसी तरह छोड़ दिया जाए जिस तरह 26/11 के मुम्बई हमले के बाद हाफिज सईद को छोड़ दिया गया था। तब पाक सरकार ने हाफिज सईद को गिरफ्तार तो किया, लेकिन बाद में सबूतों का अभाव बताकर रिहा कर दिया। 

(एस.पी. मित्तल)  (13-01-2016)
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