Thursday 28 January 2016

महिलाएं क्यों नहीं चढ़ा सकती शनि मंदिर में तेल।



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महाराष्ट्र के शनि सिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के तेल चढ़ाने को लेकर पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है, कोई भी व्यक्ति इस बहस से दूर नहीं रहना चाहता है। जो लोग धर्म में दखलंदाजी के पक्षधर हैं वो भी इस आग लगाने वाली बहस में घी डालने का काम कर रहे हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से लेकर आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेयता श्रीश्री रविशंकर भी इस बहस में कूद पड़े हैं। सबको लगता है कि यदि धर्म की परंपराओं में बदलाव की जरुरत है तो उसे समय के साथ किया जाना चाहिए। यानि सब लोग चाहते हैं कि महाराष्ट्र के शनि मंदिर में महिलाएं प्रवेश करें और प्रतिमा पर तेल चढ़ाएं। यह बात अलग है कि इस शनि मंदिर में महिला के प्रवेश नहीं देने की परंपरा बरसों पुरानी हैं। लेकिन अब लोग चाहते हैं कि महिला और पुरुष में भेदभाव करने वाली इस परंपरा को तोड़ दिया जाए। चूंकि यह परंपरा हिन्दू धर्म से जुड़ी हुई है, इसलिए इसे महिला और पुरुष की समानता से जोड़ा जा रहा है। यदि मंदिर के ट्रस्ट ने महिलाओं को तेल चढ़ाने की अनुमति नहीं दी तो दुनिया भर में यह प्रचारित होगा की भारत में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है। हो सकता है कि इस मुद्दे को आगे चलकर महिलाओं के साथ असहिष्णुता से जोड़ दिया जाए। 
जहां तक शनि सिंगणापुर मंदिर के ट्रस्ट का सवाल है तो भी हाल ही में इस ट्रस्ट का अध्यक्ष अनिता शेट्टी नाम की एक महिला को बनाया गया है। इतना ही नहीं शालिनी लांडे नाम की एक और महिला को ट्रस्ट का सदस्य नियुक्त किया गया है। यानि समय के साथ धार्मिक परंपराओं में जो बदलाव की बयार आ रही है, उससे शनि मंदिर भी अछूता नहीं है। इस मंदिर में महिलाएं प्रवेश करें और प्रतिमा पर तेल चढ़ाए, यह मामला क्या मंदिर ट्रस्ट पर नहीं छोड़ा जा सकता है?  क्या जिस ट्रस्ट की अध्यक्ष महिला है, वह ट्रस्ट महिलाओं के साथ कोई भेदभाव करेगा? हो सकता है कि भविष्य में ट्रस्ट ही महिलाओं को प्रवेश का निर्णय ले ले। लेकिन इस मुद्दे पर जिस तरह राजनीति और टीवी चैनलों पर बहस हो रही है, उसे उचित नहीं माना जा सकता। अधिकांश चैनलों पर महिलाएं ही एंकर का काम करती हैं और ऐसी टीवी एंकर नोएडा और मुम्बई के स्टूडियों में बैठकर किसी से भी कुछ भी सवाल पूछ सकती है। भले ही ऐसे टीवी पत्रकारों को मंदिर की धार्मिक परंपराओं की कोई जानकारी न हो। सवाल उठता है कि क्या शनि मंदिर में तेल चढ़ा देने से महिलाएं पुरुषों की बराबरी कर लेंगी? भारतीय संस्कृति में तो महिला को देवी स्वरूप माना गया है। ऐसे में हिन्दू संस्कृति में तो महिलाओं के साथ भेदभाव हो ही नहीं सकता। जब कभी भेदभाव की बात सामने आती है तो उसमें पुरुष का स्वार्थ होता है। जो लोग भारतीय संस्कृति को थोड़ा बहुत भी समझते हैं, उन्हें अच्छी तरह पता है कि हिन्दू धर्म में महिलाओं के साथ कभी भी भेदभाव नहीं होता। मेरी नजर में शनि मंदिर में तेल चढ़ाने का मुद्दा महिला-पुरुष की समानता का है ही नहीं। यह शनि सिंगणापुर मंदिर के निजी ट्रस्ट का विषय है। खगोल विज्ञान में तो शनि को एक ग्रह माना गया है और इस ग्रह का ही पूरे ब्रह्मांड पर असर पड़ता है, जिससे न पुरुष और न महिला अछूती है।
(एस.पी. मित्तल)  (28-01-2016)
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