Sunday 24 January 2016

क्या अमित शाह नरेन्द्र मोदी को फिर से पीएम बनवा सकेंगे।



चुनौती भरा होगा भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल। 
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24 जनवरी को दिल्ली में अमित शाह को दोबारा से भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया है। सब कुछ पहले से तय था, इसलिए गले में मालाएं डालने के अलावा कुछ नहीं हुआ। कामकाज छोड़कर भाजपा शासित राज्यों के सीएम, बड़े केन्द्रीय मंत्री पहले से ही बधाई देने के लिए मौजूद थे। अमित शाह अब आगामी तीन वर्ष तक भाजपा के अध्यक्ष रहेंगे। सब जानते हैं कि नरेन्द्र मोदी को पीएम बनवाने में उत्तर प्रदेश से जीते भाजपा के 71 सांसदों की ही भूमिका थी। अमित शाह यूपी के प्रभारी थे, इसलिए इन 71 सांसदों की जीत का श्रेय भी शाह को ही दिया गया। शाह की ऐसी लहर चली कि राजनाथ सिंह के केन्द्रीय मंत्री बनने पर शाह को ही भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। महाराष्ट्र और हरियाणा में जीत दिलवाने के बाद अमित शाह दिल्ली और बिहार में मात खा गए। बिहार में जिस तरह से गैर भाजपा दलों का गठजोड़ हुआ, उससे अमित शाह के लिए आने वाला समय चुनौती पूर्ण होगा। इस वर्ष पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में विधानसभा के चुनाव होने है। भाजपा का केरल को छोड़कर शेष दोनों राज्यों में कोई ज्यादा प्रभाव नहीं है। हो सकता है कि इन तीनों राज्यों में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़े। अगले वर्ष यूपी और पंजाब में चुनाव होने है। यदि बिहार की गणित यूपी में दोहराई गई तो अमित शाह को यूपी में भी हार का सामना करना पड़ेगा। सब जानते हैं कि मुलायम सिंह यादव और लालू प्रसाद यादव समधी हैं। लालू यह चाहेंगे कि बिहार जैसे परिणाम यूपी में भी सामने आए। पंजाब में भी भाजपा और अकाली दल का तीसरी बार चुनाव जीना मुश्किल नजर आ रहा है। 2018 के अंत में राजस्थान, एमपी आदि के चुनाव भी हो जाएंगे। इसके तुरंत बाद अमित शाह को लोकसभा चुनाव का सामना करना पड़ेगा। इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या अमित शाह नरेन्द्र मोदी को दोबारा से पीएम बनवा सकते हैं? इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी के भरोसे की वजह से ही अमित शाह दोबारा से अध्यक्ष बन पाए। भले ही शाह पार्टी अध्यक्ष हों, लेकिन सरकार में शाह का पूरा दखल है। यहां तक कि भाजपा शासित राज्यों की सरकारों पर भी अमित शाह ही मुहर लगाते हैं। अमित शाह जो भी निर्णय लेते हैं, उस पर नरेन्द्र मोदी की भी सहमति होती है। अमित शाह को भी इस बात का अहसास है कि आगामी तीन वर्ष उनके लिए चुनौतीपूर्ण होंगे। 
मोदी भले ही विदेशों में भारत का डंका बजवा रहे हों, लेकिन भारत में भाजपा सरकार की स्थिति कमजोर हुई है। असल में सत्ता का सुख तो भाजपा के नेता भोग रहे हैं, लेकिन आम जनता के लिए जो काम करने चाहिए वो नहीं किए गए हैं। विधायकों सांसदों और मंत्रियों का व्यवहार इतना खराब है कि आम लोग गुस्से में हैं। यही वजह है कि राजस्थान में हाल ही में पंचायतों, स्थानीय निकायों के जो चुनाव हुए है, उसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है। नरेन्द्र मोदी कई बार कह चुके हैं कि सरकार की योजनाओं की जानकारी आम जनता तक पहुंचाई जाए, लेकिन भाजपा के नेताओं को सत्ता का सुख भोगने से फुर्सत ही नहीं मिल रही है। देखना होगा कि इन तीन वर्षों में अमित शाह कौन सा चात्मकार करते हैं। 
(एस.पी. मित्तल)  (24-01-2016)
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