Saturday 30 January 2016

आखिर कश्मीर में क्या चाहती हैं महबूबा मुफ्ती



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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन 7 जनवरी को हुआ था। तब यह उम्मीद थी कि अगले 2-3 दिन में पीडीपी की प्रमुख और सईद की बेटी महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री की शपथ ले लेंगी। लेकिन 30 जनवरी तक भी महबूबा ने सीएम पद की शपथ नहीं ली है और अब कहा जा रहा है कि निकट भविष्य में भी महबूबा सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठेंगी। इतना ही नहीं महबूबा ने उस सरकारी आवास को भी खाली कर दिया है जो उनके पिता को मुख्यमंत्री रहते हुए मिला था। इससे महबूबा ने यह संकेत दिए हैं कि मुख्यमंत्री बनने की कोई जल्दबाजी नहीं है और महबूबा मुख्यमंत्री अपनी शर्तों पर बनेंगी। सब जानते हैं कि कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार चल रही थी। 87 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के 25 और पीडीपी के 27 विधायक हैं। भाजपा तो चाहती थी कि मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के अगले ही दिन महबूबा सीएम बन जाए। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि महबूबा अपनी शर्तों पर मुख्यमंत्री बनना चाहती है या अपने भाई को मुख्यमंत्री बनाना चाहती हैं। हालांकि अभी महबूबा ने अपनी ओर से सार्वजनिक घोषणा नहीं की है। लेकिन भाजपा पर पूरा दबाव बनाया है कि उन्हीं की शर्त पर सीएम का पद स्वीकार किया जाए। इसे भाजपा की राजनैतिक मजबूरी ही कहा जाएगा कि वह महबूबा के परिवार को मुख्यमंत्री का पद थाली में परोसकर दे रही है। आज कश्मीर के जो हालात हो गए हैं उसमें भाजपा कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती है। सब जानते हैं कि महबूबा कश्मीर के अलगाववादियों का समर्थन करती रही हैं। महबूबा ने कई बार कहा है कि कश्मीर की समस्या के समाधान के लिए भारत और पाकिस्तान को आपस में वार्ता करनी चाहिए। भले ही महबूबा के पिता मुख्यमंत्री रहे हों लेकिन महबूबा पूरी तरह कश्मीर को भारत का अंग नहीं मानती हैं। शायद इसी सोच के खातिर महबूबा चाहती हैं कि उनके भाई को सीएम की कुर्सी पर बैठा दिया जाए ताकि वे स्वयं पीडीपी के अध्यक्ष की हैसियत से केन्द्र सरकार की नीतियों की आलोचना करती रहे। सीएम की कुर्सी पर बैठने के बाद महबूबा के लिए अलगाववादियों का सीधा समर्थन करना संवैधानिक दृष्टि से सही नहीं होगा। महबूबा यह भी चाहती है कि कश्मीर में सेना और सीआरपीएफ को जो विशेष अधिकार मिले हुए हैं उन्हें भी खत्म किया जाएगा। इतना ही नहीं महबूबा कश्मीर से सेना की वापसी भी चाहती हैं। महबूबा यह शर्तें तब रख रही है जब कश्मीर में खुलेआम आईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराए जा रहे हैं। यह बात अलग है कि पाकिस्तान में जब उमरदराज नाम के एक क्रिकेट प्रेमी ने आस्ट्रेलिया पर भारत की जीत के मौके पर तिरंगा झंडा फहरा दिया तो उसे जेल भेज दिया गया। उमरदराज को पाकिस्तान में देश विरोधी कृत्य करने का आरोपी माना गया है। यानि पाकिस्तान में यदि कोई नागरिक भारत का झंडा दिखा भी दे तो उसे देशद्रोही माना जाता है और कश्मीर में खुलेआम आतंकी संगठन आईएस और पाकिस्तान का झंडा लहराया जाता है। इतना ही नहीं कश्मीर की धरती पर खड़े होकर पाकिस्तान जिन्दाबाद का नारा लगाकर स्वयं को गौरवांवित महसूस करते हैं। इसके बावजूद भी महबूबा का दबाव है कि कश्मीर को और स्वतंत्रता प्रदान की जाए।
(एस.पी. मित्तल)  (30-01-2016)
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