Sunday 31 January 2016

अजमेर में स्मार्ट सिटी पर अब कांग्रेस कर रही है नौटंकी।


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स्मार्ट सिटी के नाम पर गत दो वर्षों से अजमेर के नागरिकों को भाजपा बेवकूफ बनाती रही और अब विरोध के नाम पर कांग्रेस नौटंकी कर रही है। कांग्रेस की ओर से 30 जनवरी को कलेक्ट्रेट के बाहर तीन घंटे का धरना दिया है। कांग्रेस के नेताओं ने जोश के साथ कहा कि स्मार्ट सिटी के नाम पर भाजपा ने जो झूठ बोला है, उसका अब बदला लिया जाएगा। नेताओं ने कहा कि प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और शहर अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता यदि आह्वान करेंगे तो अजमेर में भाजपा के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा। कांग्रेस को यह धरना इसलिए देना पड़ा, क्योंकि केन्द्र सरकार ने 20 स्मार्ट सिटी के शहरों की घोषणा की है, उसमें अजमेर का नाम शामिल नहीं है, जबकि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं घोषणा की थी। गत नगर निगम के चुनाव में भी भाजपा ने प्रधानमंत्री की घोषणा को आगे रखकर प्रचार किया। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस नगर निगम और भाजपा के खिलाफ कोई आंदोलन कर सकती है? 30 जनवरी को जिन कांग्रेस नेताओं के हाथ में धरने की कमान थी, उन नेताओं के रिश्तेदार अथवा परिचित नगर निगम में ठेकेदारी का काम करते हैं। एक बहुचर्चित नेता तो सफाई के ठेके में साझेदार भी बताया जाता है। पहले भी इसी कांग्रेसी नेता के पास सफाई का ठेका था। यह माना कि शहर अध्यक्ष महेन्द्र सिंह रलावता कि संगठन में पकड़ है, लेकिन क्या रलावता भाजपा शासित नगर निगम के खिलाफ कोई बड़ा आंदोलन कर सकते हैं? सब जानते हैं कि रलावता के सगे भाई गजेन्द्र सिंह रलावता अजमेर नगर निगम में उपायुक्त के पद पर कार्यरत हैं।
मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का सबसे ज्यादा भरोसा रलावता पर ही है। इस भरोसे का पता इससे भी चलता है कि पिछले दिनों जब सीईओ एच.गुइटे एक माह के अवकाश पर गए तो गहलोत ने रलावता को ही सीईओ का अतिरिक्त कार्य सौंपने के निर्देश दिए। इतना ही नहीं रलावता को पुष्कर नगर पालिका के ईओ का अतिरिक्त प्रभार भी सौंप रखा था। जहां तक रलावता की कार्य कुशलता का सवाल है तो उस पर किसी को भी संदेह नहीं है। रलावता ने अपनी मेहनत से जिला प्रशासन और भाजपा के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का भरोसा जीता है। शहर में निगम की ओर से जो भी महत्त्वपूर्ण काम होते हैं,उसमें रलावता की सक्रिय भूमिका होती है। ऐसे में कांग्रेस भाजपा शासित नगर निगम के खिलाफ कोई आंदोलन करें, इससे संशय नजर आता है। इसे अजमेर के नागरिकों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पिछले दो साल से भाजपा के नेता स्मार्ट सिटी का झुनझुना बजाते रहे और अब विरोध के नाम पर कांग्रेस नौटंकी कर रही है। 
गांधी की पुण्यतिथि पर एकत्रित हुए कांग्रेसी:
कांग्रेस की ओर से 30 जनवरी को धरना तब रखा गया जब कांग्रेसी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर एकत्रित हुए। यदि गांधी जी की पुण्यतिथि नहीं होती तो इतने कांग्रेसी धरने में शामिल नहीं हो सकते थे। भले ही पुण्यतिथि पर कांग्रेसी एकत्रित हुए हो,लेकिन धरने पर कांग्रेसियों की एकजुटता नजर आई। शहर अध्यक्ष रलावता के साथ-साथ पूर्व मंत्री ललित मोदी पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल, युवा नेता हेमंत भाटी, राजेश टंडन, प्रताप यादव, शैलेन्द्र अग्रवाल, सबा खान आदि उपस्थित थे। 
गहलोत है ताकतवर:
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कांग्रेस आंदोलन की कितनी भी घोषणा कर ले, लेकिन नगर निगम में वो ही होगा जो मेयर धर्मेन्द्र गहलोत चाहेंगे। गहलोत की निगम पर मजबूत पकड़ है। गहलोत के कार्यकाल में भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के पार्षद संतुष्ट रहते हैं। गहलोत के पूर्व के कार्यकाल में भी कांग्रेस के पार्षद पांच वर्ष तक गहलोत की जय-जयकार करते रहे और वर्तमान में भी कांग्रेस के पार्षद गहलोत के कामकाज से संतुष्ट नजर आते हैं। यदि कभी गहलोत को विरोध का सामना करना पड़ा तो भाजपा के कुछ पार्षद ही विरोध कर सकते हैं।
(एस.पी. मित्तल)  (31-01-2016)
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